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'नागलोक' में इंसानों और सांपों के लिए देवदूत बना ये युवक

छत्तीसगढ़ के नागलोक के नाम से पहचाने जाने वाले सरगुजा में एक युवक सांपों के साथ-साथ इंसानों का भी जीवन बचा रहा है. लेकिन इस काम के लिए इन्हें किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिलती. सांपों को रेसक्यू करने में जो संसाधन लगते हैं उसका खर्च भी ये खुद ही वहन करते हैं.

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Published : Jan 12, 2021, 10:08 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

man saving the life of snakes and humans
सांपों और इंसानों के रक्षक सत्यम द्विवेदी

सरगुजा: छत्तीसगढ़ के नागलोक के नाम से पहचाने जाने वाले सरगुजा में अब इस समस्या का समाधान दिख रहा है. यहां एक युवक सांपों का जीवन बचा रहा है. साथ ही इंसानों की भी सांपों से रक्षा कर रहा है. ये युवक सरगुजा में सांप और इंसान दोनों के लिए किसी देवदूत से कम नहीं है.

सांपों और इंसानों के रक्षक सत्यम द्विवेदी

सरगुजा संभाग जो कभी सिर्फ सरगुजा जिला हुआ करता था और संभाग के 5 जिले अंबिकापुर, जशपुर, कोरिया, बलरामपुर और सूरजपुर ये सभी नए जिले सरगुजा जिले के हिस्से थे. इस जिले में जशपुर, बलरामपुर और सरगुजा में सांपों की इतनी अधिक बहुलता होती थी कि इसे लोग नागलोक कहते थे. हालांकि आज भी यहां सांपों की अच्छी खासी मौजूदगी है. बारिश के दिनों में सर्प दंश के मामले भी सर्वाधिक यहीं से आते हैं.

जीवन हुआ सुरक्षित

सरगुजा में सांप और इंसान के बीच जीवन की लड़ाई में या तो इंसान मारे जाते हैं या फिर इंसान सांप को मार देता है. लेकिन बीएससी कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर चुके सत्यम द्विवेदी ने ऐसी कला सीखी कि आज वो जहरीले सांप को भी नंगे हाथों से पकड़ लेते हैं. सांप को अपने स्कूटर की डिक्की में रखकर घने जंगलों में छोड़ देते हैं. सत्यम के इस हुनर से इंसानों और सांप दोनों का जीवन बच रहा है.

man saving the life of snakes and humans
सांपों को पकड़ते सत्यम द्विवेदी

पढ़ें: SPECIAL: इस गांव के सपेरों का जीवन अधर में लटका, पहचान के लिए नहीं है एक भी सरकारी दस्तावेज

नहीं मिला शासकीय सहयोग

सत्यम को इस काम में किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिल रही है. वन विभाग के पास भी सांप को रेस्कयू करने के लिए कोई एक्सपर्ट नहीं है. लेकिन इसके बाद भी वन विभाग सत्यम की कला का फायदा आधिकारिक तौर पर नहीं ले रहा है. जबकि प्रशासन और वन विभाग सभी को सत्यम की जरूरत पड़ती है. सत्यम बिना किसी फायदे के अपने साधन से सांप पकड़ने गांव-गांव जाते हैं. फिलहाल सत्यम अब एनजीओ बनाकर स्नेक वेनम और सांपों के संरक्षण के लिए काम करने की योजना बना रहे हैं.

man saving the life of snakes and humans
सत्यम द्विवेदी

6 महीने में पकड़े 500 सांप

सत्यम ने स्नेक कैचर की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. बल्कि खुद से ही इंटरनेट और अन्य माध्यमों से ये कला सीखी है. सत्यम का दावा है कि छत्तीसगढ़ में पहली बार उसने करैत सांप को रेस्क्यू किया है. वहीं बीते 6 महीने में उन्होंने 500 सांपों को रेस्क्यू कर उनकी जान बचाई है. इन 500 सांपों से न जाने कितनी इंसानो की जान बचाने का श्रेय भी सत्यम को जाता है.

ऐसे करें संपर्क

सत्यम सांपों के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के उद्देश्य से अपने यू ट्यूब चैनल में वीडियो भी अपलोड करते हैं.

सरगुजा: छत्तीसगढ़ के नागलोक के नाम से पहचाने जाने वाले सरगुजा में अब इस समस्या का समाधान दिख रहा है. यहां एक युवक सांपों का जीवन बचा रहा है. साथ ही इंसानों की भी सांपों से रक्षा कर रहा है. ये युवक सरगुजा में सांप और इंसान दोनों के लिए किसी देवदूत से कम नहीं है.

सांपों और इंसानों के रक्षक सत्यम द्विवेदी

सरगुजा संभाग जो कभी सिर्फ सरगुजा जिला हुआ करता था और संभाग के 5 जिले अंबिकापुर, जशपुर, कोरिया, बलरामपुर और सूरजपुर ये सभी नए जिले सरगुजा जिले के हिस्से थे. इस जिले में जशपुर, बलरामपुर और सरगुजा में सांपों की इतनी अधिक बहुलता होती थी कि इसे लोग नागलोक कहते थे. हालांकि आज भी यहां सांपों की अच्छी खासी मौजूदगी है. बारिश के दिनों में सर्प दंश के मामले भी सर्वाधिक यहीं से आते हैं.

जीवन हुआ सुरक्षित

सरगुजा में सांप और इंसान के बीच जीवन की लड़ाई में या तो इंसान मारे जाते हैं या फिर इंसान सांप को मार देता है. लेकिन बीएससी कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर चुके सत्यम द्विवेदी ने ऐसी कला सीखी कि आज वो जहरीले सांप को भी नंगे हाथों से पकड़ लेते हैं. सांप को अपने स्कूटर की डिक्की में रखकर घने जंगलों में छोड़ देते हैं. सत्यम के इस हुनर से इंसानों और सांप दोनों का जीवन बच रहा है.

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सांपों को पकड़ते सत्यम द्विवेदी

पढ़ें: SPECIAL: इस गांव के सपेरों का जीवन अधर में लटका, पहचान के लिए नहीं है एक भी सरकारी दस्तावेज

नहीं मिला शासकीय सहयोग

सत्यम को इस काम में किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिल रही है. वन विभाग के पास भी सांप को रेस्कयू करने के लिए कोई एक्सपर्ट नहीं है. लेकिन इसके बाद भी वन विभाग सत्यम की कला का फायदा आधिकारिक तौर पर नहीं ले रहा है. जबकि प्रशासन और वन विभाग सभी को सत्यम की जरूरत पड़ती है. सत्यम बिना किसी फायदे के अपने साधन से सांप पकड़ने गांव-गांव जाते हैं. फिलहाल सत्यम अब एनजीओ बनाकर स्नेक वेनम और सांपों के संरक्षण के लिए काम करने की योजना बना रहे हैं.

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सत्यम द्विवेदी

6 महीने में पकड़े 500 सांप

सत्यम ने स्नेक कैचर की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. बल्कि खुद से ही इंटरनेट और अन्य माध्यमों से ये कला सीखी है. सत्यम का दावा है कि छत्तीसगढ़ में पहली बार उसने करैत सांप को रेस्क्यू किया है. वहीं बीते 6 महीने में उन्होंने 500 सांपों को रेस्क्यू कर उनकी जान बचाई है. इन 500 सांपों से न जाने कितनी इंसानो की जान बचाने का श्रेय भी सत्यम को जाता है.

ऐसे करें संपर्क

सत्यम सांपों के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के उद्देश्य से अपने यू ट्यूब चैनल में वीडियो भी अपलोड करते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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