सरगुजा: सरगुजा रियासत के दीवान रघुराज सिंह को संविधान सभा मे सदस्य बनाया गया था. इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ से और भी महान विभूतियां हुई हैं, जिन्हें इस समिति में शामिल किया गया था. रघुराज सिंह सरगुजा स्टेट के दीवान के पद से ट्रांसफर लेकर राजकुमार कॉलेज रायपुर चले गये थे. वो राजकुमार कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में कार्य कर रहे थे. सरगुजा स्टेट के शासकीय दस्तावेज में आज भी ठाकुर रघुराज सिंह के नाम और हस्ताक्षर मिलते हैं.
राजकुमार कॉलेज के थे प्रिंसिपल: इतिहास के जानकार गोविंद शर्मा बताते हैं "सरगुजा में डेपुटेशन से आये थे, वो स्टेट के दीवान थे. उनकी वर्किंग बहोत अच्छी थी और सरगुजा महाराज काफी पारखी व्यक्ति थे. अपने आदमियों को पहचानने की बारीकियां थी. उनके अंदर ठाकुर रघुराज सिंह दीवान थे, यहां पर फिर वो राजकुमार कालेज चले गये. वहां वो या तो प्रोफेसर रहे या प्रिंसिपल रहे, लेकिन राजकुमार कालेज चले गए थे. ऐसा हमने अपने पिता जी लोगों से सुना था."
युवराज ने संभाली दीवानी: गोविंद शर्मा बताते हैं "बाद में यहां उनके जाने के बाद सरगुजा के आखरी दीवान के रूप के महाराज के पुत्र जो राजकुमार थे अम्बिकेश्वर शरण सिंह देव वो आखरी दीवान बने. उसके बाद स्टेट मर्जर हो गया. ये अविभक्त मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी एमएस सिंहदेव के पिता और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के ग्रैंड फादर थे."
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सरगुजा महाराज ने की थी अनुशंसा: गोविंद शर्मा बताते हैं "31 दिसंबर 1947 तक तो सरगुजा स्टेट का अस्तित्व था. 1 जनवरी 1948 को सरगुजा,कोरिया, चांगभखार को मिलाकर के एक सरगुजा जिला बनाया गया. जिसके पहले कलेक्टर जेडी केरावाला और नृपत सिंह एसपी थे. ठाकुर रघुराज सिंह को राजकुमार कालेज चले गए थे. वो बहुत विद्वान थे. तो महाराज रामानुज शरण सिंहदेव की अनुशंसा पर संविधान सभा मे ठाकुर रघुराज सिंह को भी शामिल किया गया."
संविधान निर्माण में छत्तीसगढ़ के लोगों का योगदान: संविधान निर्माण परिषद में छत्तीसगढ़ से पंडित रविशंकर शुक्ल, डॉक्टर छेदीलाल बैरिस्टर और घनश्याम गुप्त निर्वाचित हुए. भारतीय संविधान सभा के लिए छत्तीसगढ़ के राजाओं की ओर से सरगुजा के दीवान रघुराज सिंह नॉमिनेट हुए. छत्तीसगढ़ की रियासती जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए पंडित किशोरी मोहन त्रिपाठी, रायगढ़ और कांकेर के रामप्रसाद पोटाई निर्वाचित किए गए.