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सरगुजा: हवा में घुल रहा 'जहर', धूल से लोगों को सांस लेने में दिक्कत

ग्रामीणों ने बताया कि क्रेशर से उड़ने वाली धूल के कारण उनको हमेशा सर्दी खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है.

स्टोन क्रशर से हवा में घुल रहा जहर
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Published : May 15, 2019, 1:20 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: जिले में सारे नियम कायदे को ताक पर रख गिट्टी क्रेशर का संचालन किया जा रहा है. जिससे यहां के लोग बीमार हो रहे हैं. क्रेशर से उड़ने वाली धूल लोगों के फेफड़े पर सीधा असर कर रही है, लेकिन किसी जिम्मेदार को कोई परवाह नहीं है.

स्टोन क्रशर से हवा में घुल रहा जहर

25 गिट्टी क्रेशर संचालित
खनिज विभाग के मुताबिक जिले में कुल 25 गिट्टी क्रेशर संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश क्रेशर संचालक प्रदूषण नियंत्रण यंत्रों के बिना ही क्रेशर का संचालन कर रहे हैं. नियम है कि क्रेशर संचालक को इलाके में दूर तक धूल उड़ने से रोकने के लिए पौध रोपण कराना है, लेकिन पौध रोपण तो दूर धूल उड़ने से रोकने के लिए संचालक ने न तो मशीनों की स्क्रीन पर एमएस सीट लगाई है और न ही वॉटर स्प्रिंकलर.

ग्रामीण हो रहे परेशान
ग्रामीणों ने बताया कि क्रेशर से उड़ने वाली धूल के कारण उनको हमेशा सर्दी खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है. इतना ही नहीं धूल घर के अंदर रखे भोजन-पानी में भी चला जाता है. ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं देते हैं.

प्रशासन से आस
पर्यावरण अधिकारी एसके वर्मा बताते हैं कि उनके कर्मचारी दो-तीन महीने में गिट्टी क्रेशर की जांच के लिए जाते हैं. इसके अलावा ईटीवी भारत की पहल के बाद अधिकारी निरीक्षण कर नियमों का उल्लंघन करने वाले क्रेशर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं.

सरगुजा: जिले में सारे नियम कायदे को ताक पर रख गिट्टी क्रेशर का संचालन किया जा रहा है. जिससे यहां के लोग बीमार हो रहे हैं. क्रेशर से उड़ने वाली धूल लोगों के फेफड़े पर सीधा असर कर रही है, लेकिन किसी जिम्मेदार को कोई परवाह नहीं है.

स्टोन क्रशर से हवा में घुल रहा जहर

25 गिट्टी क्रेशर संचालित
खनिज विभाग के मुताबिक जिले में कुल 25 गिट्टी क्रेशर संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश क्रेशर संचालक प्रदूषण नियंत्रण यंत्रों के बिना ही क्रेशर का संचालन कर रहे हैं. नियम है कि क्रेशर संचालक को इलाके में दूर तक धूल उड़ने से रोकने के लिए पौध रोपण कराना है, लेकिन पौध रोपण तो दूर धूल उड़ने से रोकने के लिए संचालक ने न तो मशीनों की स्क्रीन पर एमएस सीट लगाई है और न ही वॉटर स्प्रिंकलर.

ग्रामीण हो रहे परेशान
ग्रामीणों ने बताया कि क्रेशर से उड़ने वाली धूल के कारण उनको हमेशा सर्दी खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है. इतना ही नहीं धूल घर के अंदर रखे भोजन-पानी में भी चला जाता है. ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं देते हैं.

प्रशासन से आस
पर्यावरण अधिकारी एसके वर्मा बताते हैं कि उनके कर्मचारी दो-तीन महीने में गिट्टी क्रेशर की जांच के लिए जाते हैं. इसके अलावा ईटीवी भारत की पहल के बाद अधिकारी निरीक्षण कर नियमों का उल्लंघन करने वाले क्रेशर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं.

Intro:सरगुजा- जिले के धौरपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बरियो से धौरपुर मार्ग पर प्रशासन के नियमों को ताक में रखकर कई गिट्टी क्रेशर संचालित है जो यहां के लोगों के जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

दरअसल वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के संदर्भ में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड दिल्ली द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार क्रेशर मशीन की स्क्रीन को एमएस सीट से ढककर उसमें सेक्शन पाइप द्वारा धूल बाहर निकालकर अन्य चेंबर में एकत्रित कर ,जल छिड़काव करना होता है , वही जीरो गिट्टी के अंतिम ड्रॉपिंग बिंदु पर टेलीस्कोविक शूट स्थापित करना होता है, इसके अलावा परिसर में वृक्षारोपण करना और परिसर में धूल जमा ना हो , इसलिए लगातार सफाई तथा डम्प को तारपोलिंन से ढककर रखना जरूरी है इतना ही नहीं क्रेशर संचालकों को नियमानुसार मजदूरों की सुरक्षा के लिए उन्हें मास्क उपलब्ध कराना अनिवार्य है।

लेकिन जिले में गिट्टी क्रेशर संचालकों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम कायदों को ताक पर रखकर कारोबार कर रहे है नियमानुसार परिसर में वृक्षारोपण करना तो दूर अब तक उन्होंने धूल उड़ने से रोकने के लिए ना तो मशीनों की स्क्रीन पर एमएस सीट लगाई है और ना ही वॉटर स्प्रिंकलर।

ऐसे में रोजाना बड़ी तादात में क्रेशरों से निकलने वाला धूल हवा में
घुल कर मजदूरों सहित गांव में रहने वाले लोगों की सेहत पर खतरा बन रही है।

खनिज विभाग के अनुसार जिले में कुल 25 गिट्टी क्रेशर संचालित हो रहे हैं लेकिन इनमें से अधिकांश क्रेशर संचालक प्रदूषण नियंत्रण यंत्रओं के बिना ही क्रेशर का संचालन कर रहे हैं।

ग्रामीण शिव प्रसाद यादव ने बताया कि क्रेसर मशीन से थोड़ी ही दूरी पर उनका घर है यहां से उड़ने वाली धूल के कारण उनको हमेशा सर्दी खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है, इतना ही नहीं धूल घर के अंदर रखे भोजन पानी मैं भी चला जाता है घर के छत में पूरा डस्ट जम जाता है लेकिन कोई अधिकारी देखने तक नहीं आते हैं।

वहीं पर्यावरण अधिकारी एसके वर्मा के अनुसार गिट्टी क्रेसर में दो तीन महीने में जांच के लिए उनके कर्मचारी जरूर जाते है लेकिन आखरी बार कब जांच में गए जानकारी नही है ।

वही etv की टीम के पहल के बाद अधिकारी निरीक्षण कर नियमों का उल्लंघन करने वाले क्रेशर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं।

ऐसे में वहां के लोग आज भी आस लगाए बैठे है कि कब उनको इस धूल से छुटकारा मिले।

बाईट 01- शिवप्रसाद यादव (स्थानीय निवासी)

बाईट 02- नोहर साय मानिकपुरी (स्थानीय निवासी)

बाईट 03- विवेक साहू (इंस्पेक्टर खनिज विभाग)

बाईट 04 - एस के वर्मा (पर्यावरण संरक्षण अधिकारी)










Body:सरगुजा- जिले के धौरपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बरियो से धौरपुर मार्ग पर प्रशासन के नियमों को ताक में रखकर कई गिट्टी क्रेशर संचालित है जो यहां के लोगों के जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

दरअसल वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के संदर्भ में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड दिल्ली द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार क्रेशर मशीन की स्क्रीन को एमएस सीट से ढककर उसमें सेक्शन पाइप द्वारा धूल बाहर निकालकर अन्य चेंबर में एकत्रित कर ,जल छिड़काव करना होता है , वही जीरो गिट्टी के अंतिम ड्रॉपिंग बिंदु पर टेलीस्कोविक शूट स्थापित करना होता है, इसके अलावा परिसर में वृक्षारोपण करना और परिसर में धूल जमा ना हो , इसलिए लगातार सफाई तथा डम्प को तारपोलिंन से ढककर रखना जरूरी है इतना ही नहीं क्रेशर संचालकों को नियमानुसार मजदूरों की सुरक्षा के लिए उन्हें मास्क उपलब्ध कराना अनिवार्य है।

लेकिन जिले में गिट्टी क्रेशर संचालकों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम कायदों को ताक पर रखकर कारोबार कर रहे है नियमानुसार परिसर में वृक्षारोपण करना तो दूर अब तक उन्होंने धूल उड़ने से रोकने के लिए ना तो मशीनों की स्क्रीन पर एमएस सीट लगाई है और ना ही वॉटर स्प्रिंकलर।

ऐसे में रोजाना बड़ी तादात में क्रेशरों से निकलने वाला धूल हवा में
घुल कर मजदूरों सहित गांव में रहने वाले लोगों की सेहत पर खतरा बन रही है।

खनिज विभाग के अनुसार जिले में कुल 25 गिट्टी क्रेशर संचालित हो रहे हैं लेकिन इनमें से अधिकांश क्रेशर संचालक प्रदूषण नियंत्रण यंत्रओं के बिना ही क्रेशर का संचालन कर रहे हैं।

ग्रामीण शिव प्रसाद यादव ने बताया कि क्रेसर मशीन से थोड़ी ही दूरी पर उनका घर है यहां से उड़ने वाली धूल के कारण उनको हमेशा सर्दी खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है, इतना ही नहीं धूल घर के अंदर रखे भोजन पानी मैं भी चला जाता है घर के छत में पूरा डस्ट जम जाता है लेकिन कोई अधिकारी देखने तक नहीं आते हैं।

वहीं पर्यावरण अधिकारी एसके वर्मा के अनुसार गिट्टी क्रेसर में दो तीन महीने में जांच के लिए उनके कर्मचारी जरूर जाते है लेकिन आखरी बार कब जांच में गए जानकारी नही है ।

वही etv की टीम के पहल के बाद अधिकारी निरीक्षण कर नियमों का उल्लंघन करने वाले क्रेशर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं।

ऐसे में वहां के लोग आज भी आस लगाए बैठे है कि कब उनको इस धूल से छुटकारा मिले।

बाईट 01- शिवप्रसाद यादव (स्थानीय निवासी)

बाईट 02- नोहर साय मानिकपुरी (स्थानीय निवासी)

बाईट 03- विवेक साहू (इंस्पेक्टर खनिज विभाग)

बाईट 04 - एस के वर्मा (पर्यावरण संरक्षण अधिकारी)










Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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