अंबिकापुर: एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार इस तरह के आयोजनों से स्थानीय संस्कृति को जोड़ने की बात कर रही है. वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे जनता को उलझाने की साजिश बता रहा है. भाजपा ने सरकार पर आरोप लगाया है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार विकास के मुद्दों से लोगों को दूर कर प्रदेश के लोगों को बोरे बासी जैसे आयोजनों में व्यस्त कर रही है.
"सरकार कर रही प्रोपेगेंडा": आम नागरिक राकेश तिवारी कहते हैं कि "जब से सरकार बनी है. 2 साल कोरोना में बीत गया. फिर 2 साल से सीएम साहब का भौंरा, बाटी, गिल्ली डंडा यचला. 2022 से बोरे बासी चल रहा है. हम लोग छोटे छोटे थे. सरगुजा की माटी में पैदा हुये. तब से देख रहे हैं. इसको हम लोग बोथा बासी बोलते हैं. बोरे बासी कोई शौक से नहीं खाता, वे गांव के लोग जो बेचारे गरीब होते हैं. उनके पास खाने की व्यवस्था नहीं होती. वो बोरे बासी खाते हैं. केवल बोरे बासी खाने और खिलाने से क्या होगा, किसी भी फोटो में आप देख लीजिये 4 श्रमिकों को बैठाकर के बाकी सब चमचमाते हुये डोंगा और कटोरा में बोरे बासी खा रहे हैं. सरकार क्या संदेश देना चाह रही है. इससे श्रमिकों का तो कोई हित होना नहीं है. रोसाइया संघ का भी मानदेय कम बढ़ाया गया."
भजापा ने सरकार पर लगाया आरोप: भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष नकुल सोनकर का कहना है कि "ऐसे आयोजनों से सरकार अपने घोषणा पत्र में किए गए वादों से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है. इस तरह के आयोजन से लोगों को जोड़कर, सरकार वादे पूरा नहीं कर रही है. वह लोगों को बेवकूफ बनाने का काम कर रही है. डॉ. रमन सिंह ने अपने कार्यकाल में जो विकास किया उस विकास की चिड़िया को कांग्रेस ने जेब में बंद कर लिया है. केवल इस प्रकार के ढोंग का काम करके डाइनिंग टेबल में बैठकर बोरे बासी खाकर वह जनता को बेवकूफ बना रहे हैं. असल में मजदूरों का सम्मान तब माना जाता, जब उनके लिये कोई योजना बनाई जाती"
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"ये कोई त्योहार नहीं है": मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि "भोजन ये एक प्रकार का सेवन है, ये कोई त्योहार नहीं है. श्रम करने से पहले ये माना जाता है कि, रात को ठंडे पानी में चावल रखा जाता है. फिर उसे सुबह खाया जाता है. इससे गर्मी नहीं लगती. काम करने में सहूलियत होती है. जैसे हम, आम का पना पीते हैं, प्याज खाते हैं कि लू नहीं लगेगी. हर राजनैतिक दल ये करती है, कांग्रेस भी कर रही है, उसमें तो कोई हर्जा नहीं है."