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सरगुजा: मक्के की फसलों पर 'अमेरिकी' अटैक, चिंता में डूबा अन्नदाता

अमेरिका से आए कीट ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी है.

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Published : Aug 23, 2019, 12:09 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

फसल पर कीट का हमला

सरगुजा: जिले के साथ-साथ समूचे छत्तीसगढ़ में मक्के की फसल को तेजी से तबाह करने वाले कीट का प्रकोप बढ़ रहा है. अमेरिका से आए इस हमलावर ने सरगुजा में मौजूद मक्के के खेतों पर हमला बोल दिया है.

फसल पर कीट का हमला


आलम यह है कि इस खतरनाक कीट ने सरगुजा संभाग में आने वाले मक्के के सभी खेतों को अपनी चपेट में ले लिया है. ऐसे में अब कृषि वैज्ञानिक इस हमलावर से छुटकारा पाने की जुगत में लगे हुए हैं.

मक्के की फसल को बनाया निशाना
मामूली सा दिखने वाला यह कीट अमेरिका से सरगुजा पहुंचा है. फॉल आर्मी वार्म नाम के इस हमलावर कीट ने सरगुजा संभाग के मक्के की खेती को अपनी चपेट में ले लिया है.

खेती पर आया संकट
आलम यह है कि पहले से सूखे की मार झेल रहे सरगुजा जिले में अब मक्के की खेती पर भी संकट खड़ा हो गया है. दरअसल अमेरिका से यह कीट बस्तर होते हुए सरगुजा पहुंचा है और यहां मौजूद मक्के की खेती को जमकर नुकसान पहुंचा रहा है.

फसल को नष्ट कर रहा कीट
वर्तमान में इस कीट का प्रकोप मक्के की खेती में तेजी से देखा जा रहा है. सरगुजा संभाग में करीब 85000 हेक्टेयर में मक्के की बोआई की गई है. आर्मी वार्म नाम का कीट ने ज्यादातर खेतों में खड़ी फसलों को नष्ट कर रहे हैं.

एक बार में देती है 200 अंडे
सबसे गंभीर बात यह है कि एक आर्मी वार्म कीट एक समय में 200 से ज्यादा अंडे देती है और ऐसे में अगर एक कीट भी किसी एक इलाके में लगी फसल में पहुंचती है, तो उस इलाके में इसकी आबादी तेजी से फैल रही है. यही कारण है कि कृषि वैज्ञानिक किसानों को कीटनाशक के साथ एक यंत्र भी लगाने की सलाह दे रहे हैं. इस यंत्र में मादा कीट की गंध हैं जिसकी तलाश में वह उस यंत्र में फंस सकते हैं और नर और मादा के संयोग को रोक कर इनके सर्कल को भी तोड़ा जा सकता है.

तेजी से होती है बढ़ोत्तरी
कीट की मादा प्रजाति की विशेषता यह है की वह 100 किलोमीटर तक की उड़ सकती है, लिहाजा अंदाजा लगाया जा सकता है कि, इस कीट की संख्या में कितनी बढ़ोत्तरी होती होगी.

दूसरी फसलों पर भी बढ़ा खतरा
बहरहाल जिस तरह से अमेरिका से निकलकर यह कीट बस्तर होते हुए सरगुजा पहुंचा है, उससे फसलों पर खतरा बढ़ गया है. गंभीर बात यह कि अगर इसे जल्द नहीं रोका गया, तो यह कीट दूसरी फसलों को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

वैज्ञानिकों के पास नहीं है उपाय
वर्तमान में कृषि वैज्ञानिकों के पास भी इसके रोकथाम के लिए पुख्ता उपाय मौजूद नहीं हैं. इस वजह ने किसानों के साथ कृषि विभाग की और कृषि वैज्ञानिकों की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं.

सरगुजा: जिले के साथ-साथ समूचे छत्तीसगढ़ में मक्के की फसल को तेजी से तबाह करने वाले कीट का प्रकोप बढ़ रहा है. अमेरिका से आए इस हमलावर ने सरगुजा में मौजूद मक्के के खेतों पर हमला बोल दिया है.

फसल पर कीट का हमला


आलम यह है कि इस खतरनाक कीट ने सरगुजा संभाग में आने वाले मक्के के सभी खेतों को अपनी चपेट में ले लिया है. ऐसे में अब कृषि वैज्ञानिक इस हमलावर से छुटकारा पाने की जुगत में लगे हुए हैं.

मक्के की फसल को बनाया निशाना
मामूली सा दिखने वाला यह कीट अमेरिका से सरगुजा पहुंचा है. फॉल आर्मी वार्म नाम के इस हमलावर कीट ने सरगुजा संभाग के मक्के की खेती को अपनी चपेट में ले लिया है.

खेती पर आया संकट
आलम यह है कि पहले से सूखे की मार झेल रहे सरगुजा जिले में अब मक्के की खेती पर भी संकट खड़ा हो गया है. दरअसल अमेरिका से यह कीट बस्तर होते हुए सरगुजा पहुंचा है और यहां मौजूद मक्के की खेती को जमकर नुकसान पहुंचा रहा है.

फसल को नष्ट कर रहा कीट
वर्तमान में इस कीट का प्रकोप मक्के की खेती में तेजी से देखा जा रहा है. सरगुजा संभाग में करीब 85000 हेक्टेयर में मक्के की बोआई की गई है. आर्मी वार्म नाम का कीट ने ज्यादातर खेतों में खड़ी फसलों को नष्ट कर रहे हैं.

एक बार में देती है 200 अंडे
सबसे गंभीर बात यह है कि एक आर्मी वार्म कीट एक समय में 200 से ज्यादा अंडे देती है और ऐसे में अगर एक कीट भी किसी एक इलाके में लगी फसल में पहुंचती है, तो उस इलाके में इसकी आबादी तेजी से फैल रही है. यही कारण है कि कृषि वैज्ञानिक किसानों को कीटनाशक के साथ एक यंत्र भी लगाने की सलाह दे रहे हैं. इस यंत्र में मादा कीट की गंध हैं जिसकी तलाश में वह उस यंत्र में फंस सकते हैं और नर और मादा के संयोग को रोक कर इनके सर्कल को भी तोड़ा जा सकता है.

तेजी से होती है बढ़ोत्तरी
कीट की मादा प्रजाति की विशेषता यह है की वह 100 किलोमीटर तक की उड़ सकती है, लिहाजा अंदाजा लगाया जा सकता है कि, इस कीट की संख्या में कितनी बढ़ोत्तरी होती होगी.

दूसरी फसलों पर भी बढ़ा खतरा
बहरहाल जिस तरह से अमेरिका से निकलकर यह कीट बस्तर होते हुए सरगुजा पहुंचा है, उससे फसलों पर खतरा बढ़ गया है. गंभीर बात यह कि अगर इसे जल्द नहीं रोका गया, तो यह कीट दूसरी फसलों को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

वैज्ञानिकों के पास नहीं है उपाय
वर्तमान में कृषि वैज्ञानिकों के पास भी इसके रोकथाम के लिए पुख्ता उपाय मौजूद नहीं हैं. इस वजह ने किसानों के साथ कृषि विभाग की और कृषि वैज्ञानिकों की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं.

Intro:सरगुजा : सरगुजा समेत समूचे छत्तीसगढ़ में मक्के की फसल को तेजी से तबाह करने वाले कीट का प्रकोप बढ़ रहा है, अमेरिका से आए इस हमलावर ने सरगुजा के मक्के की खेती में हमला बोल दिया है, आलम यह है कि इस खतरनाक कीट ने सरगुजा संभाग के मक्के के सभी खेतों को अपनी चपेट में ले लिया है ऐसे में अब कृषि वैज्ञानिक इस हमलावर से छुटकारा पाने की जुगत में लगे हुए हैं।

मामूली सी दिखने वाला या कीट अमेरिका से सरगुजा पहुंचा हुआ है, फॉल आर्मी वार्म नाम से जाने जाने वाले इस हमलावर कीटनाशक ने सरगुजा संभाग के मक्के की खेती को अपनी चपेट में ले लिया है और आलम यह है कि पहले से सूखे की मार झेल रहे सरगुजा जिले में अब मक्के की खेती पर भी संकट खड़ा हो गया है दरअसल अमेरिका से यह कीट बस्तर होते हुए सरगुजा पहुंचा है और यहां मौजूद मक्के की खेती को जमकर नुकसान पहुंचा रहा है।


Body:वर्तमान में इस कीट का प्रकोप मक्के की खेती में तेजी से देखा जा रहा है, सरगुजा संभाग में करीब 85000 हेक्टेयर में मक्के की बोआई की गई है ज्यादातर खेतों में इसके की फसलों को नष्ट कर रहे हैं गंभीर बात यह है कि एक कीट एक समय में 200 से ज्यादा अंडे देती है और ऐसे में अगर एक कीट भी किसी एक इलाके मे लगी फसल में पहुंचती है तो उस इलाके में तेजी से फैल रही है यही कारण है कि कृषि वैज्ञानिक किसानों को कीटनाशक के साथ एक यंत्र भी लगाने की सलाह दे रहे हैं जिसमें मादा कीट की गंध हैं जिसकी तलाश में वह उस यंत्र में फस सकते हैं और नर और मादा के संयोग को रोक कर इनके सर्कल को भी तोड़ा जा सकता है। कीट की मादा प्रजाति की विशेषता है की वह 100 किलोमीटर तक की यात्रा उड़ कर कर सकती है, लिहाजा इसके फैलाव अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।


Conclusion:बहरहाल जिस तरह से अमेरिका से निकलकर यह कीट बस्तर होते हुए सरगुजा पहुंचा है उसे खतरे की घंटी बढ़ गई है गंभीर बात यह कि अगर इसे जल्द नहीं रोका गया तो यह कीट दूसरे फसलों को भी नुकसान पहुंचा सकती है और वर्तमान में कृषि वैज्ञानिकों के पास भी इसके रोकथाम के लिए पुख्ता उपाय नहीं जिसने किसानों के साथ कृषि विभाग की और कृषि वैज्ञानिकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

121_जी पी पैकरा वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक (इंदिरा गांधी कृषि विज्ञान केंद्र अजरिमा सरगुजा)

देश दीपक सरगुजा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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