सरगुजा: इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पार्टियों का चुनाव कार्यालय नहीं खुल रहा है. बगैर चुनाव कार्यालय खुले ही पार्टी के नेता चुनावी प्रचार कर रहे हैं. सोशल साइट इनका अड्डा बन गया है. पार्टी के नेता सोशल मीडिया के जरिए ही मीटिंग तक संचालित कर रहे हैं. हालांकि इनका कार्यालय कभी नहीं खुलता.
फील्ड में अधिक एक्टिव हैं कार्यकर्ता: इंटरनेट और सोशल साइट्स से बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. इस बदलाव का पूरा उपयोग चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियां कर रही है.इस बारे में ईटीवी भारत ने बीजेपी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से बातचीत की. बातचीत के दौरान पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि हर दिन उनका कार्यालय खुलता है. अधिकतर कार्यकर्ता फील्ड में नजर आ रहे हैं.
क्या कहते हैं कांग्रेस कार्यकर्ता: कांग्रेस जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि, "जिला कांग्रेस कार्यालय तो हर दिन खुलता है. लेकिन इस समय कार्यकर्ता फील्ड पर ज्यादा एक्टिव हैं. फील्ड में ही कार्यकर्ता काम कर रहे हैं. फोन से सबसे सम्पर्क हो जाता है. सोशल साइट्स के जरिए मीटिंग हो जाती है. कार्यालय जाने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है. ऑनलाइन माध्यम होने से राजनीतिक दलों को कई मायनों में फायदा हुआ है."
क्या कहती है बीजेपी: भाजपा संवाद प्रमुख संतोष दास का कहना है कि, "पीएम मोदी ने ऑनलाइन माध्यम का ऐसा उपयोग किया कि सबको सीखने को मिला. पिछले चुनाव में ऑनलाइन रैलियां तक की गई. सभी राजनीतिक दलों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का फायदा मिल रहा है. इस चुनाव में चुनाव कार्यालय कम खुल रहे हैं. इसका कारण यह भी है कि चुनाव आयोग ने पार्टी कार्यालय का रेट काफी बढ़ा दिया है. ऐसे में प्रत्याशी या राजनीतिक दल को खर्च का हिसाब भी तो देना ही है. इसलिए ऑनलाइन माध्यम से मीटिंग का उपयोग बढ़ गया है. इससे खर्च में भी कम होता है"
बता दें कि कार्यालय न खुलने की बात पर पार्टी के नेताओं ने माना कि पहले के मुकाबले अब कार्यालय जाकर काम करने का सिलसिला कम हुआ है. ऑनलाइन माध्यम से काम हो रहा है. इससे खर्चों में भी कमी आती है. निर्वाचन आयोग को दिया जाने वाला खर्च के हिसाब से भी राजनीतिक दल बच रहे हैं. कार्यकर्ताओ से नियमित संवाद स्थापित करना हो या फिर कोई मीटिंग करना हो. सब कुछ ऑनलाइन हो जा रहा है. यानी कि इस बार चुनावी माहौल में राजनेता बिना दफ्तर के चुनावी कैंपेन को चला रहे हैं.