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सरकार की मदद से बेटे को आखिरी बार देख पाए मां-बाप, नम आंखों से दी विदाई

सरकार की मदद से परिजन अपने बेटे को नम आंखों से दी विदाई दे पाए. यह सब राज्य सरकार और विधायक अंबिका सिंहदेव के कारण संभव हो सका.

मृत पड़ा बेटा
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Published : Jul 27, 2019, 11:12 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

बैकुंठपुर : विधायक अंबिका सिंहदेव और सरपंच की नेक पहल से एक बूढ़े मां-बाप अपने बेटे के शव का अंतिम दर्शन करने मुंबई पहुंचे. अंबिका सिंहदेव और राज्य सरकार की मदद से यह संभव हो पाया.

सरकार की मदद से बेटे को नम आंखों से दी विदाई

दंपत्ति का बेटा घर बार छोड़ मुंबई जा बसा था और पिछले 8 साल से मजदूरी कर रहा था. इस दौरान उसने एक बार भी परिवार से मिलने और बात करने की की कोशिश नहीं की. मां-बाप बेटे के इंतजार में कई साल बीता दिए, लेकिन पूरे 8 साल बाद जब उन्हें बेटे की सूचना मिली भी तो ऐसे हालात में जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी.

लोगों से लगाई मदद की गुहार
दंपत्ति को 17 जुलाई को को पुलिस के जरिए सूचना मिली की उनके बेटे विजेंद्र की मौत हो चुकी है. इतना सुनते ही उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. बूढ़े मां-बाप जिंदा रहते अपने बेटे से नहीं मिल पाए, लेकिन उनकी आखिरी इच्छा थी की वे उसके अंतिम दर्शन कर पाएं, लेकिन गरीबी और लाचारी के कारण वो ऐसा कर पाने में असमर्थ थे, नतीजतन उन्होंने लोगों से मदद की गुहार लगाई.

अंबिका सिंहदेव ने की मदद
गांव के सरपंच के जरिए मामले की जानकारी विधायक अंबिका सिंहदेव को मिली कि, विजेंद्र के मां-बाप बेटे के अंतिम दर्शन के लिए मुंबई जाना चाहते हैं. विधायक ने राज्य सरकार से बात कर परिजन के मुंबई जाने का इंतजाम किया. साथ ही पुलिस विभाग के एक आरक्षक को भी साथ भेजा गया ताकि उन्हें किसी तरह की समस्या न हो.

बेटे की स्थिति देखकर टपटपा गई आंखे
वहां पहुंच उन्होंने देखा जिस मां-बाप को अकेला छोड़ उसने पलायन कर लिया था. वह बेटा भी खुश नहीं था. उनका बेटा अपना पेट पालने के लिए लगातार आठ साल से मुंबई में मजदूरी कर रहा था, उसके पास रहने के लिए न घर था और न कोई सुविधा. आज पूरा परिवार सदमे में है. वहीं विजेंद्र की मौत के कारण अब भी अज्ञात है.

मौत का कारण अज्ञात
छत्तीसगढ़ के मजदूरों के पलायन बड़े पैमाने पर हो रहा लगातार मौत की खबरें आने का सिलसिला जारी है. अब देखना होगा पोस्टमार्टम के बाद विजेंद्र के मौत का क्या कारण सामने आता है और इस घटना के बाद सरकार पलायन को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है.

बैकुंठपुर : विधायक अंबिका सिंहदेव और सरपंच की नेक पहल से एक बूढ़े मां-बाप अपने बेटे के शव का अंतिम दर्शन करने मुंबई पहुंचे. अंबिका सिंहदेव और राज्य सरकार की मदद से यह संभव हो पाया.

सरकार की मदद से बेटे को नम आंखों से दी विदाई

दंपत्ति का बेटा घर बार छोड़ मुंबई जा बसा था और पिछले 8 साल से मजदूरी कर रहा था. इस दौरान उसने एक बार भी परिवार से मिलने और बात करने की की कोशिश नहीं की. मां-बाप बेटे के इंतजार में कई साल बीता दिए, लेकिन पूरे 8 साल बाद जब उन्हें बेटे की सूचना मिली भी तो ऐसे हालात में जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी.

लोगों से लगाई मदद की गुहार
दंपत्ति को 17 जुलाई को को पुलिस के जरिए सूचना मिली की उनके बेटे विजेंद्र की मौत हो चुकी है. इतना सुनते ही उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. बूढ़े मां-बाप जिंदा रहते अपने बेटे से नहीं मिल पाए, लेकिन उनकी आखिरी इच्छा थी की वे उसके अंतिम दर्शन कर पाएं, लेकिन गरीबी और लाचारी के कारण वो ऐसा कर पाने में असमर्थ थे, नतीजतन उन्होंने लोगों से मदद की गुहार लगाई.

अंबिका सिंहदेव ने की मदद
गांव के सरपंच के जरिए मामले की जानकारी विधायक अंबिका सिंहदेव को मिली कि, विजेंद्र के मां-बाप बेटे के अंतिम दर्शन के लिए मुंबई जाना चाहते हैं. विधायक ने राज्य सरकार से बात कर परिजन के मुंबई जाने का इंतजाम किया. साथ ही पुलिस विभाग के एक आरक्षक को भी साथ भेजा गया ताकि उन्हें किसी तरह की समस्या न हो.

बेटे की स्थिति देखकर टपटपा गई आंखे
वहां पहुंच उन्होंने देखा जिस मां-बाप को अकेला छोड़ उसने पलायन कर लिया था. वह बेटा भी खुश नहीं था. उनका बेटा अपना पेट पालने के लिए लगातार आठ साल से मुंबई में मजदूरी कर रहा था, उसके पास रहने के लिए न घर था और न कोई सुविधा. आज पूरा परिवार सदमे में है. वहीं विजेंद्र की मौत के कारण अब भी अज्ञात है.

मौत का कारण अज्ञात
छत्तीसगढ़ के मजदूरों के पलायन बड़े पैमाने पर हो रहा लगातार मौत की खबरें आने का सिलसिला जारी है. अब देखना होगा पोस्टमार्टम के बाद विजेंद्र के मौत का क्या कारण सामने आता है और इस घटना के बाद सरकार पलायन को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है.

Intro:एंकर-बैकुण्ठपुर विधायक अम्बिका सिंहदेव की पहल से एक गरीब पिता अपने मजदूर मृतक बेटे विजेंद्र की लाश देखने पहुंचा मुम्बई।लाचार पिता को विधायक की पहल से मुख्यमंत्री आवास पर हुई सुनवाई तमाम इंतजाम के साथ हवाई सफर से मौत के 9 वे दिन बाद पहुंचा बेटे की लाश के पास। गरीबी और लाचारी के वजह से सप्ताह भर मृतक बेटे के पास पहुंचने के लिये तलाशता रहा रास्ता।

Body:व्ही. ओ- 1-आपको बता दे कोरिया के ग्राम डोहड़ा का विजेंद्र सिंह 8 वर्ष पूर्व मुम्बई निकला था मजदूरी करने लेकिन वो लौट कर घर नही आ सका , 8 वर्ष बाद मुंबई से आया तो उसके मरने का सन्देश।मुबई पुलिस से सूचना आयी कि 17 जुलाई को विजेंद्र सिंह की मृत्यु हो गई है ।
फिर क्या उसके गरीब माता पिता अपने बेटे की लाश देखने मुम्बई जाने के लिये लोगों से गुहार लगायी अंततः सरपंच के माध्यम से विधायक अम्बिका सिंहदेव को जानकारी मिली ।विधायक ने मुख्यमंत्री से बात कर राज्य सरकार से सभी सुविधा मुहैया करायी। विधायक ने मृतक के पिता के साथ मे अपने जनप्रतिनिधि व शासकीय अमले में पुलिस विभाग का एक आरक्षक हवाई जहाज से भेजने का प्रबंध करवाया। देर शाम अपने प्रतिनिधि के माध्यम से मुम्बई के संबंधित थाना स्टाफ से फोन में बात कर हर मदत करने का आग्रह किया।
व्ही. ओ.-2- मृतक मजदूर विजेंद्र सिंह के घर को देख आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कितनी गरीबी में उसने अपना व परिवार का पेट पालने के लिये लगातार आठ वर्ष से मुबई में मजदूरी कर रहा था। आठ साल काम करने के बाद घर के मुख्य टीना का टूटा हुआ दरवाजा देख आप उसकी माली हालत समझ सकते हैं घर के अंदर आंगन की स्थिति का क्या कहना। लेकिन बूढे मा बाप को उसकी कमाई दौलत नसीब नही हुई जन्म भूमि से दूर उसकी मृत्यु हो गयी । आज पूरा परिवार सदमे में है विजेंद्र की मौत के कारण पर संदेह है।
Conclusion:एफ .व्ही. ओ.- छत्तीसगढ़ के मजदूरों के पलायन बड़े पैमाने पर हो रहा लगातार मौत की खबरे आने का सिलसिला जारी है। अब देखना होगा पोस्टमार्डम के बाद विजेंद्र के मौत का क्या कारण आता है। छत्तीसगढ़ शासन के पहल मुबई पुलिस व प्रशासन किस प्रकार सहयोग करता है।
बाइट-1-अम्बिका सिंहदेव(विधायक बैकुण्ठपुर)
बाइट-3-सरपंच(ग्राम डोहड़ा)
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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