बैकुंठपुर : विधायक अंबिका सिंहदेव और सरपंच की नेक पहल से एक बूढ़े मां-बाप अपने बेटे के शव का अंतिम दर्शन करने मुंबई पहुंचे. अंबिका सिंहदेव और राज्य सरकार की मदद से यह संभव हो पाया.
दंपत्ति का बेटा घर बार छोड़ मुंबई जा बसा था और पिछले 8 साल से मजदूरी कर रहा था. इस दौरान उसने एक बार भी परिवार से मिलने और बात करने की की कोशिश नहीं की. मां-बाप बेटे के इंतजार में कई साल बीता दिए, लेकिन पूरे 8 साल बाद जब उन्हें बेटे की सूचना मिली भी तो ऐसे हालात में जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी.
लोगों से लगाई मदद की गुहार
दंपत्ति को 17 जुलाई को को पुलिस के जरिए सूचना मिली की उनके बेटे विजेंद्र की मौत हो चुकी है. इतना सुनते ही उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. बूढ़े मां-बाप जिंदा रहते अपने बेटे से नहीं मिल पाए, लेकिन उनकी आखिरी इच्छा थी की वे उसके अंतिम दर्शन कर पाएं, लेकिन गरीबी और लाचारी के कारण वो ऐसा कर पाने में असमर्थ थे, नतीजतन उन्होंने लोगों से मदद की गुहार लगाई.
अंबिका सिंहदेव ने की मदद
गांव के सरपंच के जरिए मामले की जानकारी विधायक अंबिका सिंहदेव को मिली कि, विजेंद्र के मां-बाप बेटे के अंतिम दर्शन के लिए मुंबई जाना चाहते हैं. विधायक ने राज्य सरकार से बात कर परिजन के मुंबई जाने का इंतजाम किया. साथ ही पुलिस विभाग के एक आरक्षक को भी साथ भेजा गया ताकि उन्हें किसी तरह की समस्या न हो.
बेटे की स्थिति देखकर टपटपा गई आंखे
वहां पहुंच उन्होंने देखा जिस मां-बाप को अकेला छोड़ उसने पलायन कर लिया था. वह बेटा भी खुश नहीं था. उनका बेटा अपना पेट पालने के लिए लगातार आठ साल से मुंबई में मजदूरी कर रहा था, उसके पास रहने के लिए न घर था और न कोई सुविधा. आज पूरा परिवार सदमे में है. वहीं विजेंद्र की मौत के कारण अब भी अज्ञात है.
मौत का कारण अज्ञात
छत्तीसगढ़ के मजदूरों के पलायन बड़े पैमाने पर हो रहा लगातार मौत की खबरें आने का सिलसिला जारी है. अब देखना होगा पोस्टमार्टम के बाद विजेंद्र के मौत का क्या कारण सामने आता है और इस घटना के बाद सरकार पलायन को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है.