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SPECIAL: ये कैसा वन अधिकार पत्र, जिस पर अपना ही धान बेचने का अधिकार नहीं..?

ये कैसा वन अधिकार पत्र, जिस पर धान बेचने का अधिकार नहीं है. ये अल्फाज राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले पंडो जनजाति के किसानों के हैं. जिन्हें अपने धान बेचने के लिए दफ्तरों के खरीदी केंद्रों के चक्कर काटने पड़ रहें हैं. हाथ में अधिकार पत्र रखकर दर-दर भटक रहें हैं. किसान बस सरकार और विपक्ष के बयानों से पेट भर रहा है. पंडो परिवार को मदद की दरकार है.

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पंडो जनजाति के किसान परेशान
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Published : Dec 19, 2020, 11:07 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: कांग्रेस की सरकार ने वन भूमि पर काबिज लोगों को वन अधिकार पत्र तो दिया, लेकिन इस भूमि पर खेती करने के अधिकार से वनवासी अब तक वंचित हैं. अजीब बात यह है कि उसी जमीन पर बने KCC, किसान क्रेडिट कार्ड से खाद और कृषि कार्य के लिए कर्ज दिया गया. कर्ज लेकर जब फसल तैयार हुई तो धान खरीदने से मना कर दिया गया. कारण था वन भूमि का रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध ना होना. मामले में विपक्ष राजनीतिक लाभ लेने से पीछे नहीं हटा. नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने सरकार पर सवाल उठाए. कहा कि 2 साल का ऐसा उत्सव आपको मुबारक हो. विपक्ष पर पलटवार करते हुए कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने कहा ये तो 15 साल की विरासत में हमें मिला है.

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति के लोग परेशान

पढ़ें: सूरजपुर: केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने ग्रामीण अंचलों में कही विकास की बात, लोगों को मिलेगी सुविधाएं

ये पूरा मामला केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के गोद ग्राम का है. जिस गांव को सरगुज़ा सांसद और जनजातीय मामलों की केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने गोद लिया है. इतना ही नहीं ये गांव प्रदेश के स्वास्थ्य और पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव की विधानसभा के उस हिस्से में आता है, जो चुनाव परिणामों में उनका अभेद किला है. उदयपुर के सोनतराई ग्राम पंचायत के किसान सरकार की नाकामी का दंश झेल रहे हैं. राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति के लोग सहकारी समिति से खेती के लिए कर्ज तो ले चुके हैं, लेकिन धान नहीं बिकने से अब कर्ज को चुकाने की चिंता सता रही है.

जिस जमीन पर दिया कर्ज उसका धान खरीदने में आपत्ति

मृगाडांड़ गांव में रहने वाले 7 पंडो परिवार हैं, जिन्हें सरकार ने वन अधिकार पत्र दिया था. उस जमीन पर खेती करने के लिए श्यामलाल पंडो ने 9 हजार 735 रुपये कर्ज लिया. समल साय ने 17000, अनिल ने 27000, धरम साय ने 30000, जवाहिर पंडो ने 8000, रन साय ने 8000 और मान कुंवर ने 9000 रुपये का कर्ज सहकारी बैंक से लिया था. इसके अलावा कुछ किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड से खाद और बीज भी उधार लिया था.

पढ़ें: SPECIAL: पंडोनगर से जुड़ी है देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू की यादें, लोग मानते हैं पिता तुल्य

धान खरीदने से इनकार

शासकीय प्रक्रिया पर नजर डालें तो कृषि लोन सिर्फ उसी को मिलता है, जिसके पास कृषि कार्य के लिए वैध जमीन हो. मतलब इन किसानों को लोन देकर सरकार खुद इन्हें इनकी जमीन की वैधता का प्रमाण पत्र दे रही है, लेकिन दूसरी ओर इसी सरकार के सिस्टम ने इनका धान खरीदने से इनकार कर दिया है.

पंडो जनजातीय की स्थिति दयनीय

नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक सरगुज़ा दौरे पर थे. उन्होंने प्रेसवार्ता में सरकार पर निशाना साधा. कहा कि राष्ट्रपति द्वारा संरक्षित पंडो जनजातीय की स्थिति दयनीय है. सरकार उत्सव मना रही है, तो उन्हें मुबाकर हो ऐसा उत्सव.

15 साल की विरासत में मिली है समस्याएं

पंडो जनजाति के लोगों की समस्याओं ने जब सियासी मोड़ ले लिया, तब भला कांग्रेस कहां चुप बैठने वाली थी. सरगुजा जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि ये समस्याएं 15 साल की सरकार से विरासत में मिली है. इनका तो 70 मीट्रिक टन धान खरीदने में सांस फूलता रहा. हमारी सरकार 90 मीट्रिक टन धान खरीद रही है. हमें गर्व है कि आज हमारा पंडो जनजाति जो वर्षों से उस जमीन को जोत रहा था. आज उनकी जमीन का अधिकार मिला, जिससे वो इस बात का दावा कर पा रहे हैं.उदयपुर क्षेत्र में 12 वन ग्राम हैं. जहां ये दिक्कत है. हम लोगों ने नवंबर महीने में ही शासन को पत्र लिखा था. त्रुटियां हुई है, लेकिन एक दो दिन में ही उम्मीद है कि सुधार हो जाएगा. ये किसान अपना धान बेच सकेंगे.

वनग्राम का रकबा ऑनलाइन नहीं होने से हुई दिक्कत

ये तमाम परेशानी इसलिए हुई क्योंकि ऑनलाइन पोर्टल में रकबा दर्ज होने के बाद वह लॉक हो जाता है. स्थानीय स्तर पर कुछ नहीं किया जा सकता. नए वन ग्रामों में वितरित वन अधिकार पत्रों के जमीनों का रकबा दर्ज नहीं होने से समस्या हुई है. कांग्रेस का दावा है कि जल्द ही पोर्टल में सुधार करा कर ऐसे लोगों की दिक्कतें दूर की जाएगी.

सरगुजा: कांग्रेस की सरकार ने वन भूमि पर काबिज लोगों को वन अधिकार पत्र तो दिया, लेकिन इस भूमि पर खेती करने के अधिकार से वनवासी अब तक वंचित हैं. अजीब बात यह है कि उसी जमीन पर बने KCC, किसान क्रेडिट कार्ड से खाद और कृषि कार्य के लिए कर्ज दिया गया. कर्ज लेकर जब फसल तैयार हुई तो धान खरीदने से मना कर दिया गया. कारण था वन भूमि का रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध ना होना. मामले में विपक्ष राजनीतिक लाभ लेने से पीछे नहीं हटा. नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने सरकार पर सवाल उठाए. कहा कि 2 साल का ऐसा उत्सव आपको मुबारक हो. विपक्ष पर पलटवार करते हुए कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने कहा ये तो 15 साल की विरासत में हमें मिला है.

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति के लोग परेशान

पढ़ें: सूरजपुर: केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने ग्रामीण अंचलों में कही विकास की बात, लोगों को मिलेगी सुविधाएं

ये पूरा मामला केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के गोद ग्राम का है. जिस गांव को सरगुज़ा सांसद और जनजातीय मामलों की केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने गोद लिया है. इतना ही नहीं ये गांव प्रदेश के स्वास्थ्य और पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव की विधानसभा के उस हिस्से में आता है, जो चुनाव परिणामों में उनका अभेद किला है. उदयपुर के सोनतराई ग्राम पंचायत के किसान सरकार की नाकामी का दंश झेल रहे हैं. राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति के लोग सहकारी समिति से खेती के लिए कर्ज तो ले चुके हैं, लेकिन धान नहीं बिकने से अब कर्ज को चुकाने की चिंता सता रही है.

जिस जमीन पर दिया कर्ज उसका धान खरीदने में आपत्ति

मृगाडांड़ गांव में रहने वाले 7 पंडो परिवार हैं, जिन्हें सरकार ने वन अधिकार पत्र दिया था. उस जमीन पर खेती करने के लिए श्यामलाल पंडो ने 9 हजार 735 रुपये कर्ज लिया. समल साय ने 17000, अनिल ने 27000, धरम साय ने 30000, जवाहिर पंडो ने 8000, रन साय ने 8000 और मान कुंवर ने 9000 रुपये का कर्ज सहकारी बैंक से लिया था. इसके अलावा कुछ किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड से खाद और बीज भी उधार लिया था.

पढ़ें: SPECIAL: पंडोनगर से जुड़ी है देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू की यादें, लोग मानते हैं पिता तुल्य

धान खरीदने से इनकार

शासकीय प्रक्रिया पर नजर डालें तो कृषि लोन सिर्फ उसी को मिलता है, जिसके पास कृषि कार्य के लिए वैध जमीन हो. मतलब इन किसानों को लोन देकर सरकार खुद इन्हें इनकी जमीन की वैधता का प्रमाण पत्र दे रही है, लेकिन दूसरी ओर इसी सरकार के सिस्टम ने इनका धान खरीदने से इनकार कर दिया है.

पंडो जनजातीय की स्थिति दयनीय

नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक सरगुज़ा दौरे पर थे. उन्होंने प्रेसवार्ता में सरकार पर निशाना साधा. कहा कि राष्ट्रपति द्वारा संरक्षित पंडो जनजातीय की स्थिति दयनीय है. सरकार उत्सव मना रही है, तो उन्हें मुबाकर हो ऐसा उत्सव.

15 साल की विरासत में मिली है समस्याएं

पंडो जनजाति के लोगों की समस्याओं ने जब सियासी मोड़ ले लिया, तब भला कांग्रेस कहां चुप बैठने वाली थी. सरगुजा जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि ये समस्याएं 15 साल की सरकार से विरासत में मिली है. इनका तो 70 मीट्रिक टन धान खरीदने में सांस फूलता रहा. हमारी सरकार 90 मीट्रिक टन धान खरीद रही है. हमें गर्व है कि आज हमारा पंडो जनजाति जो वर्षों से उस जमीन को जोत रहा था. आज उनकी जमीन का अधिकार मिला, जिससे वो इस बात का दावा कर पा रहे हैं.उदयपुर क्षेत्र में 12 वन ग्राम हैं. जहां ये दिक्कत है. हम लोगों ने नवंबर महीने में ही शासन को पत्र लिखा था. त्रुटियां हुई है, लेकिन एक दो दिन में ही उम्मीद है कि सुधार हो जाएगा. ये किसान अपना धान बेच सकेंगे.

वनग्राम का रकबा ऑनलाइन नहीं होने से हुई दिक्कत

ये तमाम परेशानी इसलिए हुई क्योंकि ऑनलाइन पोर्टल में रकबा दर्ज होने के बाद वह लॉक हो जाता है. स्थानीय स्तर पर कुछ नहीं किया जा सकता. नए वन ग्रामों में वितरित वन अधिकार पत्रों के जमीनों का रकबा दर्ज नहीं होने से समस्या हुई है. कांग्रेस का दावा है कि जल्द ही पोर्टल में सुधार करा कर ऐसे लोगों की दिक्कतें दूर की जाएगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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