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National Nutrition Week 2023: मां का दूध नवजात बच्चों के लिए होता है सबसे बड़ा पोषक तत्व, इन डाइट के जरिए बढ़ा सकते हैं मदर मिल्क !

National Nutrition Week 2023: बच्चों के पोषक आहार में मदर मिल्क बेहद खास है. यही कारण है कि डॉक्टर्स भी मां का दूध अधिक मात्रा में बच्चों के देने की बात कहते हैं. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाशी कुजूर से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि किन आहारों का सेवन कर मदर मिल्क को बढ़ाया जा सकता है.

National Nutrition Week 2023
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2023
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 1, 2023, 8:37 PM IST

डॉ अविनाशी कुजूर

सरगुजा: राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 1 सितंबर से 7 सितंबर तक मनाया जा रहा. इस दौरान कुपोषण को दूर करने की कोशिश की जाती है.पोषण सप्ताह में व्यक्ति किस तरह से स्वस्थ और फिट रह सकता है. इसके लिए किसी को भी शुरू से ही ध्यान देना चाहिए. खासकर बच्चों में कुपोषण की शिकायतें अधिक होती है. बच्चों को जन्म से ही खास ध्यान रखना चाहिये. इसमें सबसे अहम कड़ी है नवजात को मिलने वाला मां का दूध. जन्म के बाद अगर नवजात को पर्याप्त मात्रा में मां का दूध मिलता है, तो वो दूध बच्चे के लिए सबसे बेहतर पोषण आहार माना जाता है.

5 साल तक होता है अधिक ग्रोथ: बच्चों का ग्रोथ जन्म से लेकर 5 साल तक सबसे अधिक होता है. इन 5 सालों में बच्चे का विकास जिस स्तर पर होता है. उस स्तर का असर पूरे जीवन देखने को मिलता है. इसलिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि डेढ़ से 2 साल की उम्र तक के बच्चों को मां का दूध जरूर मिलता रहे. कई ऐसी माताएं हैं जो ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराना चाहती है. कुछ में स्तनपान संबंधित समस्याओं के कारण बच्चा मां के दूध से वंचित रह जाता है. इससे बच्चे के सेहत पर असर पड़ता है. इस बारे में ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाशी कुजूर से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि किन आहारों के सेवन से मदर मिल्क को बढ़ाया जा सकता है.

गर्भवती माताओं के प्रसव के बाद अगर दूध की कमी होती है तो माताओं को दूध के साथ ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिये. सुबह-शाम एक गिलास दूध पीएं. इसके साथ ही घरेलू उपाय जैसे पपीता, लौकी, सहजन का सेवन करें. -डॉ. अविनाशी कुजूर, प्रभारी, प्रसूति विभाग

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तरह पदार्थों का करें अधिक सेवन: महिलाओं को प्रसव के बाद अगर दूध की कमी होती है तो उन्हें दूध के साथ ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ देना चाहिए. अक्सर बुजुर्ग महिलाएं कहती हैं कि दूध पीने से उनके टांके पक सकते हैं. हालांकि ये गलत जानकारी है. अगर दूध की कमी हो तो जितना हो सकते तरह पदार्थ दूध के साथ देना चाहिए. घर का पका भोजन देना चाहिए, जिसमें मसाला ना हों. सुबह शाम एक गिलास दूध दें. इसके साथ ही घरेलू उपाय जैसे पपीता, लौकी, सहजन की भाजी का सेवन करना चाहिए. ये पदार्थ प्रसव के बाद महिलाओं का पाचन बढ़ाती हैं. ये सभी चीजें मां का दूध बढ़ाने में भी मददगार साबित होता है.

4 माह तक बच्चों को मिलना चाहिए मां का दूध: इसके साथ-साथ एक आयुर्वेदिक औषधी है शतावरी, जो दूध बढ़ाने में काफी उपयोगी है. ये ग्रेनुअल्स के रूप में मिलते हैं. इसे एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम दूध के साथ देना स्तनपान कराने वाली महिलाओं के सेवन करना चाहिए. इसके साथ ही तरल पदार्थ प्रसव के तुरन्त बाद से महिलाओं को पीना चाहिए. इससे दूध पर्याप्त मात्रा में हो. चिकित्सकों की मानें तो प्रसव के बाद माताएं डेढ़ साल तक ब्रेस्ट फीडिंग करा सकती हैं. लेकिन पहले 4 महीने तक ब्रेस्ट फीडिंग जो होती है तब तक मां का दूध ही बच्चों के लिये पर्याप्त होता है. लेकिन 4 महीने के बाद अतिरिक्त आहार जैसे दाल का पानी, फ्रूट को मसलकर, दाल-चावल को मसलकर बच्चों को खिलाना चाहिए. आटे को भून करके उसे ड्राय फ्रूट और दूध के साथ आप बच्चों को दे सकती हैं. लेकिन इसके अलावा अगर मां कंफर्टेबल हो तो वो डेढ़ साल तक अपना दूध भी दे सकती है. ये बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में मददगार साहित होता है.

डॉ अविनाशी कुजूर

सरगुजा: राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 1 सितंबर से 7 सितंबर तक मनाया जा रहा. इस दौरान कुपोषण को दूर करने की कोशिश की जाती है.पोषण सप्ताह में व्यक्ति किस तरह से स्वस्थ और फिट रह सकता है. इसके लिए किसी को भी शुरू से ही ध्यान देना चाहिए. खासकर बच्चों में कुपोषण की शिकायतें अधिक होती है. बच्चों को जन्म से ही खास ध्यान रखना चाहिये. इसमें सबसे अहम कड़ी है नवजात को मिलने वाला मां का दूध. जन्म के बाद अगर नवजात को पर्याप्त मात्रा में मां का दूध मिलता है, तो वो दूध बच्चे के लिए सबसे बेहतर पोषण आहार माना जाता है.

5 साल तक होता है अधिक ग्रोथ: बच्चों का ग्रोथ जन्म से लेकर 5 साल तक सबसे अधिक होता है. इन 5 सालों में बच्चे का विकास जिस स्तर पर होता है. उस स्तर का असर पूरे जीवन देखने को मिलता है. इसलिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि डेढ़ से 2 साल की उम्र तक के बच्चों को मां का दूध जरूर मिलता रहे. कई ऐसी माताएं हैं जो ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराना चाहती है. कुछ में स्तनपान संबंधित समस्याओं के कारण बच्चा मां के दूध से वंचित रह जाता है. इससे बच्चे के सेहत पर असर पड़ता है. इस बारे में ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाशी कुजूर से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि किन आहारों के सेवन से मदर मिल्क को बढ़ाया जा सकता है.

गर्भवती माताओं के प्रसव के बाद अगर दूध की कमी होती है तो माताओं को दूध के साथ ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिये. सुबह-शाम एक गिलास दूध पीएं. इसके साथ ही घरेलू उपाय जैसे पपीता, लौकी, सहजन का सेवन करें. -डॉ. अविनाशी कुजूर, प्रभारी, प्रसूति विभाग

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तरह पदार्थों का करें अधिक सेवन: महिलाओं को प्रसव के बाद अगर दूध की कमी होती है तो उन्हें दूध के साथ ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ देना चाहिए. अक्सर बुजुर्ग महिलाएं कहती हैं कि दूध पीने से उनके टांके पक सकते हैं. हालांकि ये गलत जानकारी है. अगर दूध की कमी हो तो जितना हो सकते तरह पदार्थ दूध के साथ देना चाहिए. घर का पका भोजन देना चाहिए, जिसमें मसाला ना हों. सुबह शाम एक गिलास दूध दें. इसके साथ ही घरेलू उपाय जैसे पपीता, लौकी, सहजन की भाजी का सेवन करना चाहिए. ये पदार्थ प्रसव के बाद महिलाओं का पाचन बढ़ाती हैं. ये सभी चीजें मां का दूध बढ़ाने में भी मददगार साबित होता है.

4 माह तक बच्चों को मिलना चाहिए मां का दूध: इसके साथ-साथ एक आयुर्वेदिक औषधी है शतावरी, जो दूध बढ़ाने में काफी उपयोगी है. ये ग्रेनुअल्स के रूप में मिलते हैं. इसे एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम दूध के साथ देना स्तनपान कराने वाली महिलाओं के सेवन करना चाहिए. इसके साथ ही तरल पदार्थ प्रसव के तुरन्त बाद से महिलाओं को पीना चाहिए. इससे दूध पर्याप्त मात्रा में हो. चिकित्सकों की मानें तो प्रसव के बाद माताएं डेढ़ साल तक ब्रेस्ट फीडिंग करा सकती हैं. लेकिन पहले 4 महीने तक ब्रेस्ट फीडिंग जो होती है तब तक मां का दूध ही बच्चों के लिये पर्याप्त होता है. लेकिन 4 महीने के बाद अतिरिक्त आहार जैसे दाल का पानी, फ्रूट को मसलकर, दाल-चावल को मसलकर बच्चों को खिलाना चाहिए. आटे को भून करके उसे ड्राय फ्रूट और दूध के साथ आप बच्चों को दे सकती हैं. लेकिन इसके अलावा अगर मां कंफर्टेबल हो तो वो डेढ़ साल तक अपना दूध भी दे सकती है. ये बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में मददगार साहित होता है.

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