सरगुजा : लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मनरेगा के तहत काम शुरू करा दिए गए हैं. जिला प्रशासन की ओर से जिले के 374 ग्राम पंचायतों में 23 हजार से ज्यादा मजदूरों को रोजगार दिया गया है. मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए काम कर रहे हैं. सबसे खास बात यह है कि जो ग्रामीण जिस ग्राम पंचायत का है, उसे उसी ग्राम पंचायत क्षेत्र में काम करने का मौका मिल रहा है, ताकि उनकी रोजी-रोटी चलती रहे.
कोरोना वायरस से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन के दौरान शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है, जिसके कारण अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. सबसे बुरी स्थिति दिहाड़ी मजदूरों की है, जिन्हें रोज काम करके अपने और परिवार का भरण-पोषण करना पड़ता था. लॉकडाउन में ये ग्रामीण मजदूर बेरोजगार हो गए थे, हालांकि शासन के निर्देश के बाद हर ग्रामीण को राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं जिन ग्रामीणों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, उन्हें भी विभिन्न मदों से राशन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है.
374 ग्राम पंचायतों में 1,907 कार्य स्वीकृत
ग्राम पंचायतों में पर्याप्त मात्रा में चावल और राशन उपलब्ध करा दिया गया है, लेकिन इन सबके साथ अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी ग्रामीणों को राशि की जरूरत पड़ती है. इस आर्थिक संकट में इन ग्रामीणों को रोजगार मिल सके और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहे, इसके लिए कलेक्टर सारांश मित्तर ने सरगुजा जिले के 374 ग्राम पंचायतों में 1 हजार 907 कार्यों को स्वीकृत किया है और हर रोज 23 हजार 346 मजदूर मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं.
आर्थिक संकट से मिलेगी निजात
मनरेगा के तहत तालाब गहरीकरण और सिंचाई से जुड़े काम कराए जा रहे हैं. डबरी, कूप, तालाब निर्माण और गहरीकरण का काम भी चल रहा है. वहीं मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्यों में प्राथमिकता जल और सिंचाई से संबंधित कार्यों को दिया जा रहा है. सबसे खास बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्यों से ग्रामीणों को रोजगार मिला है. इससे ग्रामीणों को आर्थिक संकट से निजात मिलेगी.
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
ग्रामीणों को अपने गांव से बाहर जाए बिना ही काम मिल रहा है, जो अच्छी बात है. इसके साथ ही मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्यों के दौरान मजदूरों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है. कार्यस्थल पर खुदाई और अन्य कार्यों के लिए निर्धारित दूरी पर घेरा बनाकर उनसे उसी गोले के अंदर काम कराया जा रहा है. मजदूरों के लिए मास्क या कपड़े से चेहरे को ढंकना भी अनिवार्य किया गया है. समय-समय पर साबुन से 20 सेकेंड तक हाथ धोने की सलाह भी दी गई है, ताकि किसी भी तरह से संक्रमण का खतरा न हो.
हर रोज 23 हजार से ज्यादा मजदूर कर रहे काम
कलेक्टर सारांश मित्तर ने बताया कि लॉकडाउन में लोग बाहर जाकर काम नहीं कर पा रहे हैं, जिसके कारण अर्थव्यवस्था रुकी हुई है. इसलिए ग्राम पंचायतों में मनरेगा के काम उपलब्ध कराए गए हैं. जिले में हर रोज 23 हजार से ज्यादा मजदूर काम कर रहे हैं. मजदूरों से मास्क और सैनेटाइजर के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए काम लिया जा रहा है.