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SPECIAL: अपने गांव की पहली सरपंच बनी मितानिन, जश्न छोड़कर पहले कराया प्रसव

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Published : Jan 30, 2020, 10:59 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सत्ता सुख और पद के मोह में जहां लोग अपनों को भूल जाते हैं, तो वहीं सरगुजा के किशुनपुर ग्राम पंचायत में नवनिर्वाचित महिला सरपंच ने समाजसेवा की अनूठी मिशाल पेश की है.

mitanin became first sarpanch of the village kishunpur in sarguja
लोगों के लिए मिसाल बनी सरपंच आशा

सरगुजा: डॉक्टर्स को हम 'धरती का भगवान' कहते हैं, लेकिन उन्हें भूल जाते हैं जो अस्पताल में हमारे इलाज के दौरान हमारी तीमारदारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते. छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्यकर्मियों में एक पद होता है मितानिन का. इनका काम होता है स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने का और जरूरत पड़ने पर मदद करने का. हम आपको छत्तीसगढ़ की ऐसी मितानिन से मिलवाते हैं, जो सरपंच का चुनाव लड़ीं, जीती लेकिन जब कर्म की बात आई तो सबके लिए मिसाल बन गईं.

लोगों के लिए मिसाल बनी सरपंच आशा

मितानिन से सरपंच बनी आशा देवी जैसे ही चुनाव जीतीं उनके घर पर जश्न का माहौल था, लेकिन तभी गांव में एक रेखा नाम की महिला को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल लाया गया. नवनिर्वाचित सरपंच जश्न छोड़ प्रसूता को लेकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गईं, जहां महिला का सुरक्षित प्रसव कराया और महिला ने एक बेटे को जन्म दिया.

mitanin became first sarpanch of the village kishunpur in sarguja
अपने घर में आशा देवी

नया ग्राम पंचायत है किशुनपुर
दरअसल संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से 22 किलोमीटर दूर सकालो ग्राम पंचायत के एक हिस्से को काटकर नए ग्राम पंचायत का निर्माण किया गया है. गांव का नाम किशुनपुर है और गांव के पहले चुनाव में गांव की मितानिन आशा देवी चुनाव लड़ रही थी.

mitanin became first sarpanch of the village kishunpur in sarguja
शहरी स्वास्थ्य केंद्र सरगुजा

जश्न के माहौल को छोड़कर सरंपच ने निभाया अपना दायित्व
28 जनवरी को यहां मतदान हुआ और उसी दिन शाम को मतगणना हुई और आशा देवी ने सरपंच पद का चुनाव जीता. गांव के लोग बधाई देने आशा के घर पहुंचने लगे. जश्न का माहौल बना हुआ था, लेकिन तभी आशा को खबर मिली की गांव की 23 वर्षीय रेखा को प्रसव पीड़ा हो रही है. जिसके बाद आशा देवी ने जश्न छोड़ा और अपने पति के साथ तुरंत प्रसूता को लेकर शहरी स्वास्थ्य केंद्र नवापारा पहुंची, जहां रेखा के एक बेटे को जन्म दिया.

mitanin became first sarpanch of the village kishunpur in sarguja
किशुननगर में मितानिन के पद पर आशा

सरपंच रहते हुए मितानिन का काम करना चाहती है आशा
आशा देवी मितानिन के पद पर पदस्थ हैं, लेकिन अब वो गांव की सरपंच हैं. जाहिर है कि मितानिन के काम के लिए मिलने वाले मानदेय की वजह से नौकरी करना उनकी मजबूरी नहीं है, लेकिन फिर भी आशा सरपंच रहते हुए मितानिन का काम करना चाहती हैं. वो मितानिन रहते हुए सामाजिक क्षेत्र में जुड़कर समाजसेवा करना चाहती हैं.

mitanin became first sarpanch of the village kishunpur in sarguja
अस्पताल में रेखा के साथ आशा

सरगुजा: डॉक्टर्स को हम 'धरती का भगवान' कहते हैं, लेकिन उन्हें भूल जाते हैं जो अस्पताल में हमारे इलाज के दौरान हमारी तीमारदारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते. छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्यकर्मियों में एक पद होता है मितानिन का. इनका काम होता है स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने का और जरूरत पड़ने पर मदद करने का. हम आपको छत्तीसगढ़ की ऐसी मितानिन से मिलवाते हैं, जो सरपंच का चुनाव लड़ीं, जीती लेकिन जब कर्म की बात आई तो सबके लिए मिसाल बन गईं.

लोगों के लिए मिसाल बनी सरपंच आशा

मितानिन से सरपंच बनी आशा देवी जैसे ही चुनाव जीतीं उनके घर पर जश्न का माहौल था, लेकिन तभी गांव में एक रेखा नाम की महिला को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल लाया गया. नवनिर्वाचित सरपंच जश्न छोड़ प्रसूता को लेकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गईं, जहां महिला का सुरक्षित प्रसव कराया और महिला ने एक बेटे को जन्म दिया.

mitanin became first sarpanch of the village kishunpur in sarguja
अपने घर में आशा देवी

नया ग्राम पंचायत है किशुनपुर
दरअसल संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से 22 किलोमीटर दूर सकालो ग्राम पंचायत के एक हिस्से को काटकर नए ग्राम पंचायत का निर्माण किया गया है. गांव का नाम किशुनपुर है और गांव के पहले चुनाव में गांव की मितानिन आशा देवी चुनाव लड़ रही थी.

mitanin became first sarpanch of the village kishunpur in sarguja
शहरी स्वास्थ्य केंद्र सरगुजा

जश्न के माहौल को छोड़कर सरंपच ने निभाया अपना दायित्व
28 जनवरी को यहां मतदान हुआ और उसी दिन शाम को मतगणना हुई और आशा देवी ने सरपंच पद का चुनाव जीता. गांव के लोग बधाई देने आशा के घर पहुंचने लगे. जश्न का माहौल बना हुआ था, लेकिन तभी आशा को खबर मिली की गांव की 23 वर्षीय रेखा को प्रसव पीड़ा हो रही है. जिसके बाद आशा देवी ने जश्न छोड़ा और अपने पति के साथ तुरंत प्रसूता को लेकर शहरी स्वास्थ्य केंद्र नवापारा पहुंची, जहां रेखा के एक बेटे को जन्म दिया.

mitanin became first sarpanch of the village kishunpur in sarguja
किशुननगर में मितानिन के पद पर आशा

सरपंच रहते हुए मितानिन का काम करना चाहती है आशा
आशा देवी मितानिन के पद पर पदस्थ हैं, लेकिन अब वो गांव की सरपंच हैं. जाहिर है कि मितानिन के काम के लिए मिलने वाले मानदेय की वजह से नौकरी करना उनकी मजबूरी नहीं है, लेकिन फिर भी आशा सरपंच रहते हुए मितानिन का काम करना चाहती हैं. वो मितानिन रहते हुए सामाजिक क्षेत्र में जुड़कर समाजसेवा करना चाहती हैं.

mitanin became first sarpanch of the village kishunpur in sarguja
अस्पताल में रेखा के साथ आशा
Intro:सरगुज़ा : सत्ता सुख, पद के मोह में जहां लोग अपनो को भूल जाते हैं तो वहीं सरगुज़ा जिले के किशुनपुर ग्राम पंचायत में नवनिर्वाचित महिला सरपंच ने समाज सेवा की अनूठी मिशाल पेश की है.. मितानिन से सरपंच बनी आशा देवी जैसे ही चुनाव जीतीं उनके घर पर जश्न का माहौल था, लेकिन तभी गांव में एक महिला को प्रसव पीड़ा होने पर नवनिर्वाचित सरपंच जश्न छोड़ प्रसूता को लेकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गईं जहां महिला का सुरक्षित प्रसव कराया गया और महिला ने एक बेटे को जन्म दिया।

दरअसल संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से 22 किलोमीटर दूर सकालो ग्राम पंचायत के एक हिस्से को काटकर नये ग्राम पंचायत का निर्माण किया गया है, गांव का नाम है किशुनपुर और गांव के पहले चुनाव में गांव की मितानिन आशा देवी चुनाव लड़ रही थी, 28 जनवरी को यहां मतदान हुआ और उसी दिन शाम को मतगणना हुई और आशा देवी ने सरपंच पद का चुनाव जीता,गांव के लोग बधाई देने आशा के घर पहुँचने लगे, जश्न का माहौल निर्मित था, लेकिन तभी आशा को खबर मिली की गांव की 23 वर्षीय रेखा को प्रसव पीड़ा हुई लिहाजा आशा देवी ने जश्न को छोड़ा और अपने पति जालंधर के साथ तुरन्त ही रेखा को लेकर शहरी स्वास्थ्य केंद्र नवापारा पहुंची जहाँ रेखा के एक बेटे को जन्म दिया।


Body: आशा देवी मितानिन के पद पर पदस्थ है लेकिन अब वो गांव की सरपंच हैं जाहिर है की मितानिन के काम के लिए मिलने वाले मानदेय की वजह से नौकरी करना उनकी मजबूरी नही है, लेकिन फिर भी आशा सरपंच रहते हुये मितानिन का काम करना चाहती हैं वो मितनानी रहते हुए सामाजिक क्षेत्र में जुड़कर समाज की सेवा करना चाहती हैं।

बहरहाल आज जहां छोटे से पद को पाकर लोग वीआईपी कल्चर से ग्रसित हो जाते हैं तो वहीं आशा देवी जैसी कर्मप्रधानता समाज को बड़ा संदेश देती है, आशा की कर्तव्य निष्ठा को हमारा सलाम....

बाईट01_आशा देवी (नव निर्वाचित सरपंच)

बाईट02_जालंधर (आशा के पति)

बाईट03_आयुष जायसवाल (प्रभारी चिकित्सा अधिकारी नवापारा)

देश दीपक सरगुज़ा


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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