सरगुजा : कई राज्यों में आतंक मचाने वाला टिड्डी दल अब छत्तीसगढ़ में भी उत्पात मचाने लगा है. बता दें कि टिड्डियों का एक दल सरगुजा पहुंच चुका है. देर शाम तक प्रशासन को इस बात का पता चला, लेकिन प्रशासन की टीम प्रभावित गांव तक नहीं पहुंच पाई थी. वहीं इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद कृषि विभाग की टीम मौके के लिए रवाना हो सकी है. बता दें कि टिड्डियों के आतंक को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने पहले ही सभी जिलों में अलर्ट जारी कर दिया था.
दरअसल सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड के पड़ौली गांव में किसानों के गन्ने के खेत में टिड्डी दल देखे गए हैं. टिड्डी दल ने गन्ने के खेतों में अपना डेरा जमाया हुआ है. वहीं टिड्डियों की गांव में आने की सूचना ग्रामीणों ने मीडिया को दी, जिसके बाद मीडिया ने इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी तब जाकर राहत दल मौके के लिए रवाना हो पाए. वहीं टिड्डी दल के आतंक से किसान डरे हुए हैं और अपने फसलों के लिए चिंतित है. ऐसे में किसानों की चिंता वाजिब है, क्योंकि टिड्डियों का ये दल पूरी खड़ी फसल को मिनटों में ही चट कर जाते हैं. अब देखना होगा की प्रशासन इस आफत से कैसे और कब तक निपटने में कामयाब होता है.
कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने दी जानकारी
जानकारी के मुताबिक कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एम. आर. भगत मौके के लिए रवाना हो गए हैं. डिप्टी डायरेक्टर अपने साथ एक टैंकर और 200 लीटर कीटनाशक लेकर गए हैं. डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि टिड्डी दल के आने की सूचना पर पहले ही कीटनाशक की खरीदी कर ली गई थी. जानकारी के मुताबिक सरगुजा में पाया गया टिड्डी दल स्थानीय है, लेकिन फिर भी टिड्डियों के कारण गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है.
कैसे पनपते हैं टिड्डी दल
यह प्रवासी टिड्डे अंटार्कटिक को छोड़कर बाकी सभी महाद्वीप में पाए जाते हैं. ये पश्चिमी अफ्रीका, इजिप्ट से लेकर दक्षिण एशिया तक में पाए जाते हैं. ये टिड्डे अपने जन्म के शुरुआती कुछ दिन तक उड़ नहीं सकते. इस दौरान वह अपने आसपास की घास खाकर बड़े होते हैं. टिड्डी घास की महक का पीछा करते रहते हैं. आमतौर पर इन्हें बड़ा होने में एक माह तक का समय लगता है, लेकिन अनुकूल वातावरण में इनके बढ़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. जब एक जगह पर खाना खत्म हो जाता है, तो पंख वाले बड़े टिड्डे एक खास गंध छोड़ते हैं, जिसका मतलब होता है कि अब खाने के लिए आगे बढ़ने का समय आ गया है. ऐसे ही टिड्डियों के समूह के समूह जुड़ते जाते हैं और यह विनाशकारी विशालकाय झुंड बन जाते हैं.
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टिड्डियों से नुकसान
टिड्डी हवा के रुख के साथ उड़ते हैं और एक दिन में करीब 150 किलोमीटर का सफर कर सकते हैं. जब यह झुंड बनाकर खाने की तलाश में निकलते हैं, तो रास्ते में पड़ने वाली किसी भी वनस्पति को नहीं छोड़ते. रेगिस्तानी टिड्डी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे विनाशकारी कीट माना जाता है. यह एक वर्ग किलोमीटर के छोटे से झुंड में ही एक दिन में 35,000 लोगों के भोजन के बराबर वनस्पति खा लेते हैं.
कहां से आईं टिड्डियां ?
पूरी दुनिया में रेगिस्तानी टिड्डी के प्रकोप से लगभग तीन करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित है. इतने क्षेत्र में उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी अफ्रीकन देश, अरब देशों, अरेबियन पेनिनसुला, दक्षिणी सोवियत रूस, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत सहित करीब 64 देश शामिल हैं. सामान्य दिनों में जब इनका प्रभाव कम होता है, तब भी यह 30 देशों के एक करोड़ 60 लाख वर्ग किमी क्षेत्र मेंव टिड्डी पाए जाते हैं.
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रेगिस्तानी टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला राजस्थान के जैसलमेर में 16 मई 2019 के बाद देखा गया. उस समय यह छितरी हुई अवस्था में थे. भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण एवं अनुसंधान विभाग के अनुसार, मई 2019 में 246 जगहों पर सर्वे किया गया था, जिनमें से 46 स्थानों पर टिड्डी दल पाए गए थे. बीकानेर जिले के कुछ इलाकों में भी टिड्डी दल देखे गए थे.