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भारतीय मौसम विभाग के 150 साल: सरगुजा के रियासत कालीन मौसम विज्ञान केंद्र का क्या है इतिहास, जानिए

India Meteorological Department History मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर अंबिकापुर में नए कार्यालय के भवन का शुभारंभ किया गया. इस दौरान अंबिकापुर पीजी कॉलेज के विद्यार्थी मौसम विज्ञान कार्यालय पहुंचे. इन विद्यार्थियों को मौसम विभाग में चलने वाली गतिविधियों से अवगत कराया गया. अंबिकापुर के मौसम विज्ञानी अक्षय मोहन भट्ट ने सरगुजा और भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र के इतिहास के बारे में जानकारी साझा की.

India Meteorological Department Anniversary
भारतीय मौसम विभाग के 150 साल
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 16, 2024, 6:01 PM IST

सरगुजा के रियासत कालीन मौसम विज्ञान केंद्र का इतिहास

अम्बिकापुर: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के 150 साल पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर मौसम विभाग साल भर अपना स्थापना दिवस सेलिब्रेट करेगा. भारत के इतने पुराने विभाग का सरगुजा में इतिहास और भी पुराना है. सरगुजा में मौसम विभाग का कार्यालय रियासत काल से स्थापित है, सरगुजा गजेटियर के अनुसार, सन 1900 से पहले ही सरगुजा में मौसम विभाग का कार्यालय संचालित है.

नए भवन का किया गया शुभारंभ: मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर अंबिकापुर में नए कार्यालय के भवन का शुभारंभ किया गया. इस अवसर पर आम लोगों को मौसम विज्ञान केंद्रों के कार्यों से अवगत कराने के लिए नई पहल की गई है. इस साल मौसम विज्ञान केंद्र आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. पीजी कॉलेज के विद्यार्थी मौसम विज्ञान कार्यालय पहुंचे और मौसम विभाग में चलने वाली गतिविधियों के बारे जाना. इस दौरान छात्रों ने कहा कि "जो अब तक हम किताबों में पढ़ते थे, उसे सामने देखने का अवसर मिला. ये अनुभव बेहद नया था. पहले कभी भी ऐसे यंत्र नहीं देखे थे."

अंग्रेजों ने रखी थी मौसम विभाग की नींव: मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर उप राष्ट्रपति ने संबोधित किया. उन्होंने कुछ नए एप्लिकेशन भी लांच किये है. इस मौके पर अंबिकापुर में मौसम विज्ञानी अक्षय मोहन भट्ट ने बताया, "मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना अंग्रेज सरकार में हुई थी. वो अपने हिसाब से अपने लिए मौसम का आंकलन करते थे. उस समय आम जनता को इसका लाभ नहीं मिल पाता था. कई बार जनता के लिए मौसम की जानकारी देने आग्रह किया गया, लेकिन ब्रिटश कंपनी ने उसे अनसुना कर दिया.

साल 1871 में एक भीषण चक्रवात आया. इस तूफान में पश्चिम बंगाल तहस नहस हो गया था और भारी तादात में मृत्यु हुई थी. जिसके बाद मौसम विभाग के स्थापना की पहल हुई. ऐसा मौसम विभाग स्थापित किया जाये, जिससे आम लोगों को सुविधा मिल सके. इस उद्देश्य से 15 जनवरी 1875 को मौसम विभाग की स्थापना की गई. जिसे मौसम विज्ञान विभाग का नाम दिया गया. तब से डेढ़ सौ साल की लम्बी यात्रा करते हुए आज हम यहां पहुंचे हैं. - अक्षय मोहन भट्ट, मौसम विज्ञानी

सरगुजा के मौसम विभाग का इतिहास: जानकारी के अनुसार, अंबिकापुर में मौसम वेध शाला का इतिहास आजादी के पहले का है. सरगुजा गजेटियर में इसका जिक्र मिलता है. साल 1900 के आस पास या इससे पहले यहां के राजाकाल में भी यहां मौसम वेध शाला थी. सरगुजा के पाल, मैनपाट, कोरिया और चांगभखार से उनको मौसम की जानकारी मिलती थी. यहां जो स्थानीय अस्तबल है, वहां इसका कोआर्डिनेटर सेंटर था. वहां आंकड़े कलेक्ट करके नागपुर मौसम कार्यालय भेजा जाता था. जब देश आजाद हुआ तो मौसम कार्यालय स्थानीय प्रशासन के पास था. अम्बिकापुर के जिला अस्पताल में इसका कार्यालय था. फिर ये सरगुजा कलेक्ट्रटेट के पास लगने लगा और 1982-83 के आस पास इसे साइंस एन्ड टेक्नोलॉजी विभाग को दे दिया गया. तब से अंबिकापुर के कुमार पैलेस सर्किट हाउस में यह स्थापित है. लेकिन अब कतकालो में एक एकड़ की जमीन में नया कार्यालय भवन बनाया गया है.

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सरगुजा के रियासत कालीन मौसम विज्ञान केंद्र का इतिहास

अम्बिकापुर: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के 150 साल पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर मौसम विभाग साल भर अपना स्थापना दिवस सेलिब्रेट करेगा. भारत के इतने पुराने विभाग का सरगुजा में इतिहास और भी पुराना है. सरगुजा में मौसम विभाग का कार्यालय रियासत काल से स्थापित है, सरगुजा गजेटियर के अनुसार, सन 1900 से पहले ही सरगुजा में मौसम विभाग का कार्यालय संचालित है.

नए भवन का किया गया शुभारंभ: मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर अंबिकापुर में नए कार्यालय के भवन का शुभारंभ किया गया. इस अवसर पर आम लोगों को मौसम विज्ञान केंद्रों के कार्यों से अवगत कराने के लिए नई पहल की गई है. इस साल मौसम विज्ञान केंद्र आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. पीजी कॉलेज के विद्यार्थी मौसम विज्ञान कार्यालय पहुंचे और मौसम विभाग में चलने वाली गतिविधियों के बारे जाना. इस दौरान छात्रों ने कहा कि "जो अब तक हम किताबों में पढ़ते थे, उसे सामने देखने का अवसर मिला. ये अनुभव बेहद नया था. पहले कभी भी ऐसे यंत्र नहीं देखे थे."

अंग्रेजों ने रखी थी मौसम विभाग की नींव: मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर उप राष्ट्रपति ने संबोधित किया. उन्होंने कुछ नए एप्लिकेशन भी लांच किये है. इस मौके पर अंबिकापुर में मौसम विज्ञानी अक्षय मोहन भट्ट ने बताया, "मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना अंग्रेज सरकार में हुई थी. वो अपने हिसाब से अपने लिए मौसम का आंकलन करते थे. उस समय आम जनता को इसका लाभ नहीं मिल पाता था. कई बार जनता के लिए मौसम की जानकारी देने आग्रह किया गया, लेकिन ब्रिटश कंपनी ने उसे अनसुना कर दिया.

साल 1871 में एक भीषण चक्रवात आया. इस तूफान में पश्चिम बंगाल तहस नहस हो गया था और भारी तादात में मृत्यु हुई थी. जिसके बाद मौसम विभाग के स्थापना की पहल हुई. ऐसा मौसम विभाग स्थापित किया जाये, जिससे आम लोगों को सुविधा मिल सके. इस उद्देश्य से 15 जनवरी 1875 को मौसम विभाग की स्थापना की गई. जिसे मौसम विज्ञान विभाग का नाम दिया गया. तब से डेढ़ सौ साल की लम्बी यात्रा करते हुए आज हम यहां पहुंचे हैं. - अक्षय मोहन भट्ट, मौसम विज्ञानी

सरगुजा के मौसम विभाग का इतिहास: जानकारी के अनुसार, अंबिकापुर में मौसम वेध शाला का इतिहास आजादी के पहले का है. सरगुजा गजेटियर में इसका जिक्र मिलता है. साल 1900 के आस पास या इससे पहले यहां के राजाकाल में भी यहां मौसम वेध शाला थी. सरगुजा के पाल, मैनपाट, कोरिया और चांगभखार से उनको मौसम की जानकारी मिलती थी. यहां जो स्थानीय अस्तबल है, वहां इसका कोआर्डिनेटर सेंटर था. वहां आंकड़े कलेक्ट करके नागपुर मौसम कार्यालय भेजा जाता था. जब देश आजाद हुआ तो मौसम कार्यालय स्थानीय प्रशासन के पास था. अम्बिकापुर के जिला अस्पताल में इसका कार्यालय था. फिर ये सरगुजा कलेक्ट्रटेट के पास लगने लगा और 1982-83 के आस पास इसे साइंस एन्ड टेक्नोलॉजी विभाग को दे दिया गया. तब से अंबिकापुर के कुमार पैलेस सर्किट हाउस में यह स्थापित है. लेकिन अब कतकालो में एक एकड़ की जमीन में नया कार्यालय भवन बनाया गया है.

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