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SPECIAL: सरगुजा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सेहत में सुधार, खाने की क्वॉलिटी पहले से बेहतर

सरगुजा मेडिकल कॉलेज में भोजन की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हुई है. सरकारी व्यवस्था के तहत चल रही कैंटीन को प्राइवेट ठेकेदार को सौंप दिया गया. इतना ही नही कैंटीन के बाहर ही डाइटीशियन का दफ्तर बना दिया आया. अब डाइटीशियन और हॉस्पिटल कंसल्टेंट दोनों ही रोजाना किचन में बनने वाले खाने की जांच करते हैं. ये खाने को पहले खुद चखते हैं. उसके बाद भोजन मरीजों में वितरित किया जाता है.

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Published : Mar 7, 2021, 9:54 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर

सरगुजा: शासकीय मेडिकल कालेज अस्पताल कभी भोजन व्यवस्था को लेकर सुर्खियों में रहता था. आए दिन यहां मरीजों को मिलने वाले खाने में शिकायत मिलती रहती थी. अस्पताल की ओर से संचालित रसोई और उसके लंबे खर्च को लेकर हमेशा से विवाद बना रहता था. लेकिन अब यहां भोजन की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हुई है.

सरगुजा मेडिकल कॉलेज के खाने की क्वॉलिटी में सुधार

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का गृह और विधानसभा क्षेत्र होने के चलते अंबिकापुर में स्वास्थ्य विभाग मुस्तैदी में रहता है. सरगुजा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से कुछ ही दूर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का निवास है. अक्सर मंत्री या उनके परिजन अस्पताल के औचक निरीक्षण पर पहुंच जाते हैं. शायद यही कारण है कि अब मरीजों को अच्छा खाना मिल रहा है.

किचन के बाहर डाइटीशियन का पहरा

अस्पताल की रसोई का विवाद इतना अधिक था की मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने खुद संज्ञान लिया था. सरकारी व्यवस्था के तहत चल रही कैंटीन को प्राइवेट ठेकेदार को सौंप दिया गया. इतना ही नही कैंटीन के बाहर ही डाइटीशियन का दफ्तर बना दिया आया. अब डाइटीशियन और हॉस्पिटल कंसल्टेंट दोनों ही रोजाना किचन में बनने वाले खाने की जांच करते हैं, ये खाने को पहले खुद चखते हैं. उसके बाद भोजन मरीजों में वितरित किया जाता है. अस्पताल अधीक्षक भी बिल भुगतान के समय प्रतिदिन के मेन्यू के हिसाब से नोट शीट की जांच करते हैं.

सरगुजा: इस सरकारी अस्पताल में है बच्चों के इलाज की बेहतर सुविधाएं

100 और 160 रुपए भुगतान

अस्पताल में भोजन व्यवस्था निजी हाथों में है. किचन स्टाफ, खाने की सामग्री, समेत भोजन वितरण तक की जिम्मेदारी ठेकेदार की है. इस एवज में ठेकेदार को प्रतिदिन सामान्य मरीज के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 100 रुपए और प्रसव वाली महिलाओं को 160 रुपए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है. 100 रुपए शासन की ओर से दिया जाता है. बाकी 60 रुपए एनएचएम भुगतान करता है.अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 400 से ज्यादा मरीजो के लिए खाना बनता है.

छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में नहीं होंगी निजी दवा दुकान: सिंहदेव

डाइट चार्ट के हिसाब से खाना

डाइटीशियन सुमन सिंह बताती हैं कि सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम का नाश्ता, रात का खाना और दूध, ये आहार नियमित रूप से मरीजों को दिया जाता है. इसके लिए साप्ताहिक मेन्यू चार्ट बनाया गया है. हर दिन अलग अलग मेन्यू के हिसाब से खाना बनता है. सुबह के नाश्ते में फल भी दिया जाता है. सामान्य मरीजो के आलवा विशेष बीमारी वाले मरीजों के लिए डाइटीशियन अलग से मेन्यू चार्ट बनाती हैं, जिसके आधार पर उन्हें वह खाना दिया जाता है.

साफ सुथरा किचन

हमने मरीजों से बात की. उन्होंने बताया की खाना बढ़िया और समय पर मिलता है. इसके साथ ही किचन में जाकर हमने साफ-सफाई और गुणवत्ता की पड़ताल भी की. किचन साफ-सुथरा था. स्टाफ भी अनुशासन में काम कर रहे थे. कच्चा राशन और सब्जी का स्टॉक भी गुणवत्तायुक्त था. लगातार सरगुजा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सेहत सुधर रही है.

सरगुजा: शासकीय मेडिकल कालेज अस्पताल कभी भोजन व्यवस्था को लेकर सुर्खियों में रहता था. आए दिन यहां मरीजों को मिलने वाले खाने में शिकायत मिलती रहती थी. अस्पताल की ओर से संचालित रसोई और उसके लंबे खर्च को लेकर हमेशा से विवाद बना रहता था. लेकिन अब यहां भोजन की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हुई है.

सरगुजा मेडिकल कॉलेज के खाने की क्वॉलिटी में सुधार

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का गृह और विधानसभा क्षेत्र होने के चलते अंबिकापुर में स्वास्थ्य विभाग मुस्तैदी में रहता है. सरगुजा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से कुछ ही दूर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का निवास है. अक्सर मंत्री या उनके परिजन अस्पताल के औचक निरीक्षण पर पहुंच जाते हैं. शायद यही कारण है कि अब मरीजों को अच्छा खाना मिल रहा है.

किचन के बाहर डाइटीशियन का पहरा

अस्पताल की रसोई का विवाद इतना अधिक था की मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने खुद संज्ञान लिया था. सरकारी व्यवस्था के तहत चल रही कैंटीन को प्राइवेट ठेकेदार को सौंप दिया गया. इतना ही नही कैंटीन के बाहर ही डाइटीशियन का दफ्तर बना दिया आया. अब डाइटीशियन और हॉस्पिटल कंसल्टेंट दोनों ही रोजाना किचन में बनने वाले खाने की जांच करते हैं, ये खाने को पहले खुद चखते हैं. उसके बाद भोजन मरीजों में वितरित किया जाता है. अस्पताल अधीक्षक भी बिल भुगतान के समय प्रतिदिन के मेन्यू के हिसाब से नोट शीट की जांच करते हैं.

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100 और 160 रुपए भुगतान

अस्पताल में भोजन व्यवस्था निजी हाथों में है. किचन स्टाफ, खाने की सामग्री, समेत भोजन वितरण तक की जिम्मेदारी ठेकेदार की है. इस एवज में ठेकेदार को प्रतिदिन सामान्य मरीज के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 100 रुपए और प्रसव वाली महिलाओं को 160 रुपए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है. 100 रुपए शासन की ओर से दिया जाता है. बाकी 60 रुपए एनएचएम भुगतान करता है.अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 400 से ज्यादा मरीजो के लिए खाना बनता है.

छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में नहीं होंगी निजी दवा दुकान: सिंहदेव

डाइट चार्ट के हिसाब से खाना

डाइटीशियन सुमन सिंह बताती हैं कि सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम का नाश्ता, रात का खाना और दूध, ये आहार नियमित रूप से मरीजों को दिया जाता है. इसके लिए साप्ताहिक मेन्यू चार्ट बनाया गया है. हर दिन अलग अलग मेन्यू के हिसाब से खाना बनता है. सुबह के नाश्ते में फल भी दिया जाता है. सामान्य मरीजो के आलवा विशेष बीमारी वाले मरीजों के लिए डाइटीशियन अलग से मेन्यू चार्ट बनाती हैं, जिसके आधार पर उन्हें वह खाना दिया जाता है.

साफ सुथरा किचन

हमने मरीजों से बात की. उन्होंने बताया की खाना बढ़िया और समय पर मिलता है. इसके साथ ही किचन में जाकर हमने साफ-सफाई और गुणवत्ता की पड़ताल भी की. किचन साफ-सुथरा था. स्टाफ भी अनुशासन में काम कर रहे थे. कच्चा राशन और सब्जी का स्टॉक भी गुणवत्तायुक्त था. लगातार सरगुजा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सेहत सुधर रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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