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स्काउट एंड गाइड का महत्व और जीवन में इसके फायदे, जानिए

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Published : Dec 29, 2022, 2:29 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

भारत में स्काउटिंग मदन मोहन मालवीय, एनी बेसेंट, पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रयासों से 1909 में आई. शुरुआत में इसे बालचर सेवा समिति, बॉयज स्काउट्स एसोसिएशन, हिंदुस्तान स्काउट्स एसोसिएशन, गर्ल गाइड इन इंडिया जैसे अलग अलग नामों से चलाया जाता था. 7 नवंबर 1950 को आजादी के बाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री अब्दुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में सभी संगठन को मिलाकर एक संगठन बनाया गया. इसका नाम भारत स्काउट और गाइड bharat scouts and guides रखा गया. आइये जानते हैं स्काउट एंड गाइड का महत्व Importance of scout and guide, इसके जीवन में लाभ क्या हैं. यह किस तरह काम करता है और इसका स्वरूप क्या है.

Importance of scout and guide
स्काउट एंड गाइड का महत्व
स्काउट एंड गाइड का महत्व

सरगुजा: स्काउट एंड गाइड विश्व का सबसे बड़ा वर्दीधारी संगठन है. यह बचपन से ही व्यक्तित्व के विकास की नींव रखता है. एक बेहतर नागरिक बनाने के लिए समाज के प्रति जिम्मेदारी और कर्तव्यों की प्रेरणा स्काउट एंड गाइड में दी जाती है. 3 वर्ष से 25 वर्ष की उम्र के बच्चे स्काउट एंड गाइड (Importance of scout and guide) का हिस्सा होते हैं. इसके लिये उम्र की सीमा और उसके कैडर तय किये गये हैं.


स्काउट एंड गाइड का महत्व: स्काउट गाइड एक सैन्य अधिकारी लॉर्ड रॉबर्ट स्टीफेन्सन स्मिथ बेडन पॉवेल ने 1907 में शुरू किया. वर्तमान में स्काउट गाइड संगठन विश्व के 216 देशों और उपनिवेशों में संचालित है. यह मनोवैज्ञानिक आधार पर स्टूडेंट्स का विकास कर स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का उत्तरदायी नागरिक बनने में मदद करती है. उम्र के हिसाब से अलग अलग विंग बनाई गई हैं.Importance of scout and guide

  • बन्नी: 3 से 5 वर्ष के शिशुओं के लिए संचालित सबसे छोटी शाखा.
  • कब: 5 से 10 वर्ष के बालकों के लिए संचालित गतिविधि. रुडयार्ड किपलिंग के प्रसिद्ध पुस्तक "दी जंगल बुक " पर आधारित, यह 1916 में शुरू किया गया.
  • बुलबुल: 5 से 10 वर्ष के बालिकाओं की गतिविधि, एक विशेष कहानी "तारा की स्टोरी" पर संचालित, यह भी 1916 में शुरू हुई.

    स्काउटिंग: 10 से 17 वर्ष के बालकों की गतिविधि, लार्ड बेडन पॉवेल के सैन्य अभ्यास पर आधारित जीवन के लिये उपयोगी प्रशिक्षण. यह प्रशिक्षण 1907 में शुरू किया गया.
  • गाइडिंग: 10 से 17 वर्ष की गतिविधि. जीवन उपयोगी कला का प्रशिक्षण. यह 1910 में प्रारंभ किया गया.
  • रोवरिंग: 15 से 25 वर्ष के युवाओं की गतिविधि व्यक्तित्व विकास एवं जीवन उपयोगी कलाओं का प्रशिक्षण. साहसिक गतिविधियां, समाज सेवा, सामुदायिक सेवा का प्रशिक्षण. यह प्रशिक्षण 1918 से शुरू किया गया.


    बैंगलोर में जम्बूरी का आयोजन: छत्तीसगढ़ के स्काउट एंड गाइड के राज्य आयुक्त शैलेन्द्र प्रताप सिंह बताते हैं "यह समाज सेवा में योगदान देने के लिए महत्वपूर्ण है. व्यक्तित्व के विकास के लिये आवश्यक है. एक अच्छा नागरिक कैसे बनें, यह इसमें सिखाया जाता है. भारत में स्काउट एंड गाइड
    (Scouts and Guides in India) 1950 में शुरू किया गया. समाज में अपनी उपयोगिता कैसे सिद्ध करेंगे, यह इसमे सिखाया जाता है. इसमें सिखाये गए अनुशासन जीवन भर आपको प्रभावित करते हैं. पूरे देश के बच्चे जम्बूरी कैम्प में आते हैं, इसलिए कोरोना काल में यह बंद था. अभी फिर से किया गया है. हाल ही में बैंगलोर में अंतरराष्ट्रीय जम्बूरी हुआ. इसमें हमारी टीम भी गई थी. 4 जनवरी को राजस्थान के कोटा में भी जम्बूरी आयोजित है."



    परीक्षा में क्या हैं फायदे: जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुहे बताते हैं "स्काउट एंड गाइड के वो बच्चे जो 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा में सम्मिलित हो रहे हैं, उनको बोनस अंक शासन के द्वारा दिया जाता है. जो राज्यपाल से पुरष्कृत होता है उसे 10 अंक दिए जाते हैं. जो राष्ट्रपति से पुरष्कृत होता है, उसे 15 अंक दिए जाते हैं. इससे बच्चों का 2 से 3 प्रतिशत बोर्ड परीक्षाओं में बढ़ता है. जो बच्चे किसी कारणवश फेल हो रहे हैं तो वो पास हो जाते हैं. कई बार बच्चे मेरिट में भी इस नंबर के कारण आ जाते हैं."

स्काउट एंड गाइड का महत्व

सरगुजा: स्काउट एंड गाइड विश्व का सबसे बड़ा वर्दीधारी संगठन है. यह बचपन से ही व्यक्तित्व के विकास की नींव रखता है. एक बेहतर नागरिक बनाने के लिए समाज के प्रति जिम्मेदारी और कर्तव्यों की प्रेरणा स्काउट एंड गाइड में दी जाती है. 3 वर्ष से 25 वर्ष की उम्र के बच्चे स्काउट एंड गाइड (Importance of scout and guide) का हिस्सा होते हैं. इसके लिये उम्र की सीमा और उसके कैडर तय किये गये हैं.


स्काउट एंड गाइड का महत्व: स्काउट गाइड एक सैन्य अधिकारी लॉर्ड रॉबर्ट स्टीफेन्सन स्मिथ बेडन पॉवेल ने 1907 में शुरू किया. वर्तमान में स्काउट गाइड संगठन विश्व के 216 देशों और उपनिवेशों में संचालित है. यह मनोवैज्ञानिक आधार पर स्टूडेंट्स का विकास कर स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का उत्तरदायी नागरिक बनने में मदद करती है. उम्र के हिसाब से अलग अलग विंग बनाई गई हैं.Importance of scout and guide

  • बन्नी: 3 से 5 वर्ष के शिशुओं के लिए संचालित सबसे छोटी शाखा.
  • कब: 5 से 10 वर्ष के बालकों के लिए संचालित गतिविधि. रुडयार्ड किपलिंग के प्रसिद्ध पुस्तक "दी जंगल बुक " पर आधारित, यह 1916 में शुरू किया गया.
  • बुलबुल: 5 से 10 वर्ष के बालिकाओं की गतिविधि, एक विशेष कहानी "तारा की स्टोरी" पर संचालित, यह भी 1916 में शुरू हुई.

    स्काउटिंग: 10 से 17 वर्ष के बालकों की गतिविधि, लार्ड बेडन पॉवेल के सैन्य अभ्यास पर आधारित जीवन के लिये उपयोगी प्रशिक्षण. यह प्रशिक्षण 1907 में शुरू किया गया.
  • गाइडिंग: 10 से 17 वर्ष की गतिविधि. जीवन उपयोगी कला का प्रशिक्षण. यह 1910 में प्रारंभ किया गया.
  • रोवरिंग: 15 से 25 वर्ष के युवाओं की गतिविधि व्यक्तित्व विकास एवं जीवन उपयोगी कलाओं का प्रशिक्षण. साहसिक गतिविधियां, समाज सेवा, सामुदायिक सेवा का प्रशिक्षण. यह प्रशिक्षण 1918 से शुरू किया गया.


    बैंगलोर में जम्बूरी का आयोजन: छत्तीसगढ़ के स्काउट एंड गाइड के राज्य आयुक्त शैलेन्द्र प्रताप सिंह बताते हैं "यह समाज सेवा में योगदान देने के लिए महत्वपूर्ण है. व्यक्तित्व के विकास के लिये आवश्यक है. एक अच्छा नागरिक कैसे बनें, यह इसमें सिखाया जाता है. भारत में स्काउट एंड गाइड
    (Scouts and Guides in India) 1950 में शुरू किया गया. समाज में अपनी उपयोगिता कैसे सिद्ध करेंगे, यह इसमे सिखाया जाता है. इसमें सिखाये गए अनुशासन जीवन भर आपको प्रभावित करते हैं. पूरे देश के बच्चे जम्बूरी कैम्प में आते हैं, इसलिए कोरोना काल में यह बंद था. अभी फिर से किया गया है. हाल ही में बैंगलोर में अंतरराष्ट्रीय जम्बूरी हुआ. इसमें हमारी टीम भी गई थी. 4 जनवरी को राजस्थान के कोटा में भी जम्बूरी आयोजित है."



    परीक्षा में क्या हैं फायदे: जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुहे बताते हैं "स्काउट एंड गाइड के वो बच्चे जो 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा में सम्मिलित हो रहे हैं, उनको बोनस अंक शासन के द्वारा दिया जाता है. जो राज्यपाल से पुरष्कृत होता है उसे 10 अंक दिए जाते हैं. जो राष्ट्रपति से पुरष्कृत होता है, उसे 15 अंक दिए जाते हैं. इससे बच्चों का 2 से 3 प्रतिशत बोर्ड परीक्षाओं में बढ़ता है. जो बच्चे किसी कारणवश फेल हो रहे हैं तो वो पास हो जाते हैं. कई बार बच्चे मेरिट में भी इस नंबर के कारण आ जाते हैं."
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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