सरगुजा/अंबिकापुर: कोविड 19 से निपटने में छत्तीसगढ़ सरकार पूरी तरह व्यस्त है. मुख्यमंत्री समेत स्वास्थ्य मंत्री भी लगातार दिन रात कोरोना संक्रमितों की संख्या, इलाज और रोकथाम के लिए लॉकडाउन जैसे कदम उठा रहे हैं. सूबे में मरीजों की बढ़ती संख्या ने चिंता बढ़ाई तो अब क्वॉरेंटाइन सेंटर, कोविड अस्पताल के साथ आइसोलेशन सेंटर बनाए जा रहे हैं. जाहिर है की इस पूरी कवायद में खर्च भी बहुत हो रहा है. लेकिन कोरोना से लड़ने के लिए जो सबसे जरूरी आसान और सस्ता तरीका था उसे सब भूले हुए हैं.
दरअसल हम बात कर रहे हैं WHO सहित तमाम चिकित्सकों के उस सलाह की जिसमें बार-बार यह बताया गया की कोरोना से इंसान की इम्यूनिटी से बनने वाली एंटीबॉडी ही लड़ सकती है. यानी कोरोना का वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश करते ही मानव शरीर उस वायरस से लड़ने के लिये खुद ही एंटीबॉडी बनाना शरू कर देता है. फिर धीरे-धीरे वो एंटीबॉडी कोरोना के वायरस का खात्मा कर देती है. लेकिन एंटीबॉडी के निर्माण से सबसे अहम बात है इंसान का इम्यून हाई होना. मीडिया और सोशल साइट्स के जरिए यह खूब प्रचारित है कि कोरोना से लड़ने में इम्यूनिटी हाई रखना फायदेमंद है.
घर में ही आसानी से उपलब्ध होंगे ये सामान
कोरोना से लड़ने के इस जरूरी नुस्खे पर अब तक कोई विशेष ध्यान ना तो सरकार का है और ना ही प्रशासन का. जानकारों का कहना है कि एलोपैथी में मल्टीविटामिन, विटामिन सी जैसी दवाइयां उपलब्ध हैं जो इम्यूनिटी बढ़ाती हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इससे बेहतर इम्यूनिटी बूस्टर तो हमारे घर में ही मौजूद है. इसके लिए आयुष मंत्रालय ने बाकायदा गाइडलाइंस जारी कर रखी हैं. मतलब, नींबू, अदरक, तुलसी, लहसुन, हल्दी, दूध, जीरा जैसे तमाम घरेलू चीजों के सेवन से इंसान अपनी इम्यूनिटी नेचुरली बढ़ा सकता है.
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अस्पताल जाने की नहीं आएगी नौबत
इन सब से अलग अंबिकापुर का आयुर्वेद विभाग जिसे इस महामारी में लोगों को इम्यूनिटी बढ़ाने की दवाइयों का वितरण करना चाहिए, घरेलू नुस्खों की जानकारी लोगों तक पहुंचानी चाहिए वो आराम कर रहे हैं. इम्यूनिटी बढ़ाने के इस फार्मूले पर सरकार गंभीर होकर यदि काम करे तो शायद बहुत से लोगों को अस्पताल तक जाने की नौबत ही ना आए. इस सस्ते कारगर प्रयास से सरकार अपने लोगों की जान और प्रदेश का राजस्व दोनों की ही हिफाज़त कर सकती है.
स्वास्थ्य मंत्री की दलील
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है कि आयुष विभाग को निर्देश दिया जा चुके हैं. वो लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. लेकिन सरगुजा में तो इस तरह का कोई प्रयास फिलहाल तो होता नहीं दिख रहा है.