सरगुजा: हिरण्यकश्यप के अहंकार की हार और प्रह्लाद की भक्ति के उदाहरण स्वरूप मनाया जाने वाला होली का पर्व देश भर में लोग अपने अपने तरीके से मनाते हैं. कहीं रंग गुलाल से सराबोर होते हैं, तो कहीं रंग भरी मटकी को फोड़ने की प्रतियोगिता होती है.
होली के पहले रात में होलिका दहन किया जाता है और उसके बाद होली मनाई जाती है, होलिका दहन का इतिहास बड़ा अनूठा है और ऐसी ही अनूठी है सरगुजा के करजी गांव की होलिका दहन की परंपरा. यहां के लोग अंधविश्वास में धधकती आग पर नंगे पांव चलते हैं.
करजी गांव के लोग होलिका दहन के बाद उसी दहकती होलिका पर नंगे पांव चलते हैं, इन लोगों का दावा है कि धधकती आग पर नंगे पांव चलने के बाद भी इन्हें कोई नुकसान नहीं होता है. यहां के लोगों कहते हैं कि ये परंपार सालों पुरानी है और उन्हें पूर्वजों से मिली है. कुछ इसे भगवान विष्णु का चमत्कार मानते हैं.