ETV Bharat / state

VIDEO: यहां इस 'खतरनाक' परंपरा को निभा कर होलिका दहन करते हैं लोग

करजी गांव के लोग होलिका दहन के बाद उसी दहकती होलिका पर नंगे पांव चलते हैं, इन लोगों का दावा है कि धधकती आग पर नंगे पांव चलने के बाद भी इन्हें कोई नुकसान नहीं होता है.

सरगुजा
author img

By

Published : Mar 21, 2019, 3:00 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: हिरण्यकश्यप के अहंकार की हार और प्रह्लाद की भक्ति के उदाहरण स्वरूप मनाया जाने वाला होली का पर्व देश भर में लोग अपने अपने तरीके से मनाते हैं. कहीं रंग गुलाल से सराबोर होते हैं, तो कहीं रंग भरी मटकी को फोड़ने की प्रतियोगिता होती है.

वीडियो

होली के पहले रात में होलिका दहन किया जाता है और उसके बाद होली मनाई जाती है, होलिका दहन का इतिहास बड़ा अनूठा है और ऐसी ही अनूठी है सरगुजा के करजी गांव की होलिका दहन की परंपरा. यहां के लोग अंधविश्वास में धधकती आग पर नंगे पांव चलते हैं.

करजी गांव के लोग होलिका दहन के बाद उसी दहकती होलिका पर नंगे पांव चलते हैं, इन लोगों का दावा है कि धधकती आग पर नंगे पांव चलने के बाद भी इन्हें कोई नुकसान नहीं होता है. यहां के लोगों कहते हैं कि ये परंपार सालों पुरानी है और उन्हें पूर्वजों से मिली है. कुछ इसे भगवान विष्णु का चमत्कार मानते हैं.

सरगुजा: हिरण्यकश्यप के अहंकार की हार और प्रह्लाद की भक्ति के उदाहरण स्वरूप मनाया जाने वाला होली का पर्व देश भर में लोग अपने अपने तरीके से मनाते हैं. कहीं रंग गुलाल से सराबोर होते हैं, तो कहीं रंग भरी मटकी को फोड़ने की प्रतियोगिता होती है.

वीडियो

होली के पहले रात में होलिका दहन किया जाता है और उसके बाद होली मनाई जाती है, होलिका दहन का इतिहास बड़ा अनूठा है और ऐसी ही अनूठी है सरगुजा के करजी गांव की होलिका दहन की परंपरा. यहां के लोग अंधविश्वास में धधकती आग पर नंगे पांव चलते हैं.

करजी गांव के लोग होलिका दहन के बाद उसी दहकती होलिका पर नंगे पांव चलते हैं, इन लोगों का दावा है कि धधकती आग पर नंगे पांव चलने के बाद भी इन्हें कोई नुकसान नहीं होता है. यहां के लोगों कहते हैं कि ये परंपार सालों पुरानी है और उन्हें पूर्वजों से मिली है. कुछ इसे भगवान विष्णु का चमत्कार मानते हैं.

Intro:सरगुजा : हिरण्यकश्यप के दम्भ और अहंकार की हार और प्रह्लाद की भक्ति के उदाहरण स्वरूप मनाया जाने वाला होली का पर्व असल देश भर में लोग अपने अपने तरीको से मनाते हैं। कहीं रंग गुलाल से सराबोर होते है तो कहीं रंग भरी मटकी को फोड़ने की प्रतियोगिता होती है, लेकिन होली के पहले रात में होलिका दहन किया जाता है और उसके बाद होली मनाई जाती है, होलिका दहन का इतिहास बड़ा अनूठा है और ऐसी ही अनूठी है सरगुजा के करजी गांव की होलिका दहन की परंपरा।

यहां लोग होलिका दहन के बाद उसी दहकती होलिका पर नंगे पांव चलते हैं, सुनकर हैरानी जरूर होगी लेकिन तशवीरो में आप देख सकते हैं की लोग धधकती आग पर चल रहे हैं, औऱ बड़ी बात यह है की धधकती आग पर नंगे पांव चलने के बाद भी इन्हें कोई हानि नही होती सभी सुरक्षित होते हैं, यह किसी चमत्कार से कम नही है, पर ग्रामीण बताते है की यह परंपरा वर्षो पुरानी है लोग अपने पूर्वजों को देखकर ऐसा करते आ रहे है मतलब आदिकाल से यह परम्परा यहां चल रही है, कुछ लोगो का मानना है की भगवान विष्णु की कृपा से यह चमत्कार संभव होता है। जिस तरह हिरण्यकश्यप के कहने पर उसकी बहन अपने ही बेटे विष्णु के भक्त प्रहलाद को आग में लेकर बैठी थी और ना जलने वाली चादर ओढ़ने के बाद भी होलिका जल गई थी लेकिन भगवान विष्णु के प्रभाव से प्रहलाद को आग की लपटें छू भी नही पाई थी उसी तरह इस गांव मे लोग आग पर चलते हैं औऱ उन्हें कोई नुकसान नही होता है।

वॉक थ्रू

देश दीपक सरगुजा



Body:सरगुजा : हिरण्यकश्यप के दम्भ और अहंकार की हार और प्रह्लाद की भक्ति के उदाहरण स्वरूप मनाया जाने वाला होली का पर्व असल देश भर में लोग अपने अपने तरीको से मनाते हैं। कहीं रंग गुलाल से सराबोर होते है तो कहीं रंग भरी मटकी को फोड़ने की प्रतियोगिता होती है, लेकिन होली के पहले रात में होलिका दहन किया जाता है और उसके बाद होली मनाई जाती है, होलिका दहन का इतिहास बड़ा अनूठा है और ऐसी ही अनूठी है सरगुजा के करजी गांव की होलिका दहन की परंपरा।

यहां लोग होलिका दहन के बाद उसी दहकती होलिका पर नंगे पांव चलते हैं, सुनकर हैरानी जरूर होगी लेकिन तशवीरो में आप देख सकते हैं की लोग धधकती आग पर चल रहे हैं, औऱ बड़ी बात यह है की धधकती आग पर नंगे पांव चलने के बाद भी इन्हें कोई हानि नही होती सभी सुरक्षित होते हैं, यह किसी चमत्कार से कम नही है, पर ग्रामीण बताते है की यह परंपरा वर्षो पुरानी है लोग अपने पूर्वजों को देखकर ऐसा करते आ रहे है मतलब आदिकाल से यह परम्परा यहां चल रही है, कुछ लोगो का मानना है की भगवान विष्णु की कृपा से यह चमत्कार संभव होता है। जिस तरह हिरण्यकश्यप के कहने पर उसकी बहन अपने ही बेटे विष्णु के भक्त प्रहलाद को आग में लेकर बैठी थी और ना जलने वाली चादर ओढ़ने के बाद भी होलिका जल गई थी लेकिन भगवान विष्णु के प्रभाव से प्रहलाद को आग की लपटें छू भी नही पाई थी उसी तरह इस गांव मे लोग आग पर चलते हैं औऱ उन्हें कोई नुकसान नही होता है।

वॉक थ्रू

देश दीपक सरगुजा



Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.