सरगुजा: कोरोना संक्रमण की वजह से लगाए गए लॉकडाउन में स्ट्रीट वेंडर्स के सामने बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है. स्ट्रीट वेंडर्स छोटी पूंजी के साथ व्यवसाय करते हैं. एक दिन में जितनी कमाई होती है. उतने में किसी तरह उनका घर चलता है, लेकिन यदि एक दो दिन भी व्यवसाय बंद हो जाए तो इस वर्ग के लोगों के पास कुछ नहीं बचता. सरगुजा में कड़े लॉकडाउन के बीच स्ट्रीट वेंडर्स पेट पालने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
मजबूरन कुछ स्ट्रीट वेंडर्स कुछ पैसे कमाने निकले लेकिन इन्हें भी प्रशासन की कार्रवाई का शिकार होना पड़ा. एक स्ट्रीट वेंडर ने बताया की उससे 5 सौ रुपये का चालान काटा गया. उसके पास कुल पूंजी ही 5 सौ रुपये थी. हालांकि लॉकडाउन के नियमों के तहत 23 अप्रैल तक किसी भी स्ट्रीट वेंडर्स को निकालने की अनुमति नहीं थी.
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लॉकडाउन में सभी स्ट्रीट वेंडर्स बेहद परेशान हैं. इनमें से कुछ को अब राहत मिली है. 24 अप्रैल से सुबह 6 बजे से दोपहर 3 बजे तक ठेले में घूमकर, सब्जी, फल और राशन बेचने की अनुमति दी गई है. जिससे इस वर्ग के लोग इतना तो कमा लेंगे कि उनके घर में चूल्हा जल सके. इसके अलावा भी एक बड़ा वर्ग है जो अब भी आभाव में गुजारा करने को मजबूर है. धोबी, नाई, चाय वाले, साइकल-बाइक रिपेयर और पंचर बनाने वालों के सामने अब भी लॉकडाउन का संकट खड़ा है.
पीएम स्वनिधि योजना से मिली थी राहत
हालांकि पिछले लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार ने पीएम स्वनिधि योजना शुरू की. जिसके तहत बहुत से स्ट्रीट वेंडर्स को 10 हजार रुपये का लोन दिया गया. इस लोन की किश्त को ऑनलाइन पेड करने पर ऐसी स्कीम बनाई की उसमें कैशबैक मिला. जिससे स्ट्रीट वेंडर्स को 10 हजार के लोन पर ब्याज ना के बराबर ही लग रहा है. इस योजना के तहत अंबिकापुर में 1902 स्ट्रीट वेंडर ने लोन के लिए आवेदन किया है. जिसमें से 985 वेंडर्स को लोन मिल चुका है, 98 लाख 50 हजार रुपये का लोन सिर्फ अंबिकापुर में स्ट्रीट वेंडर्स को दिया गया है.
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घर चलाने का संकट
स्ट्रीट वेंडर्स का कहना है कि इस बार हुए लॉकडाउन में फिर से वे बर्बाद हो जाएंगे. पीएम स्वनिधि की राशि भी समय पर नहीं चुका पाएंगे. ऐसे में इन स्ट्रीट वेंडर्स को राज्य और केंद्र सरकार कैसे राहत पहुंचाएगी ये तो लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही पता चलेगा. फिलहाल तो स्ट्रीट वेंडर्स के सामने पेट पालने का संकट आ खड़ा हुआ है.