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परंपरा से तो जुड़े हैं ही Eco Friendly भी हैं ये गोबर के गणेश - सरगुजा न्यूज

अंबिकापुर के मां ऑर्गेनिक नामक संस्था के युवाओं ने बेहतरीन मिसाल पेश की है. युवाओं ने गोबर से भगवान गणेश की 101 ईकोफ्रेंडली प्रतिमा बनाकर बेची है. इसके पीछे संस्था का उद्देश्य पर्यावरण को बचाना है.

गोबर से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा
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Published : Sep 5, 2019, 12:09 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की महत्ता से सभी परिचित हैं. किसी भी पूजा के पहले भगवान श्री गणेश का पूजन, उनका आह्वान आवश्यक है. पूजा चाहे किसी भी देव या देवी की हो, सबसे पहले भगवान गणेश और उनकी माता गौरी को स्थापित किया जाता है और गाय के गोबर से आकृति बनाकर प्रथम पूज्य श्री गणेश और उनकी माता गौरी की पूजा की प्रथा है.

युवाओं ने बनाई गोबर की प्रतिमा
मां ऑर्गेनिक संस्था के कुछ युवाओं ने इस साल गणेशोत्सव को ईको फ्रेंडली बना दिया है. इन युवाओं ने गोबर से गणेश जी की प्रतिमा बनाई है. जाहिर सी बात है कि जब हर पूजन में गोबर के गणेश बनाना शुभ माना गया है तो फिर गणेश उत्सव के लिये मिट्टी या प्लास्टर आफ पेरिस का उपयोग क्यों.

पर्यावरण की दृष्टि से युवाओं ने गोबर से बनाई भगवान गणेश की प्रतिमा

इस साल इन युवाओं ने गोबर से गणेशजी की 101 प्रतिमा बनाई और इसे प्रयोग के रूप में बाजार में उतारा. गोबर से बनी प्रतिमा तो लेकर लोगों से जो प्रतिक्रिया उन्हें मिली वो इन युवाओं ने भी नहीं सोचा होगा. हर कोई इन युवाओं को खोजने लगा और गोबर के गणेश प्रतिमा की डिमांड करने लगा.

फूल-पत्तों से बने रंग का उपयोग
गोबर से मूर्ति बनाने के पीछे पर्यावरण, नदियों-तालाबों के संरक्षण की सोच है. हर साल गणेश विसर्जन की वजह से नदी व तालाबो में केमिकल घुलता है और नदियों के साथ उसमें रहने वाले जीव भी ग्रसित होते हैं. गणेश प्रतिमा में उपयोग हुआ गोबर नदी में रहने वाले जीवों के लिए नुकसान नहीं बल्कि फायदे का काम करेगा. मूर्ति बनाने में केमिकल कलर्स का भी उपयोग नहीं किया गया है सभी फूल पत्तों से बनाये हुए ईको फ्रेंडली रंग हैं.

20 प्रतिशत मिट्टी और 80 प्रतिशत गोबर का उपयोग
संस्था के युवाओं ने गोबर से बने गणेश जी की प्रतिमा के बाद अब दीपावली में गोबर के दिये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति भी बनाने की योजना बनाई गई है. गोबर के गणेश की प्रतिमा बनाने के बारे में युवाओं ने बताया कि इसमें 20 प्रतिशत मिट्टी और 80 प्रतिशत गोबर का इस्तेमाल किया गया है.

सरगुजा: प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की महत्ता से सभी परिचित हैं. किसी भी पूजा के पहले भगवान श्री गणेश का पूजन, उनका आह्वान आवश्यक है. पूजा चाहे किसी भी देव या देवी की हो, सबसे पहले भगवान गणेश और उनकी माता गौरी को स्थापित किया जाता है और गाय के गोबर से आकृति बनाकर प्रथम पूज्य श्री गणेश और उनकी माता गौरी की पूजा की प्रथा है.

युवाओं ने बनाई गोबर की प्रतिमा
मां ऑर्गेनिक संस्था के कुछ युवाओं ने इस साल गणेशोत्सव को ईको फ्रेंडली बना दिया है. इन युवाओं ने गोबर से गणेश जी की प्रतिमा बनाई है. जाहिर सी बात है कि जब हर पूजन में गोबर के गणेश बनाना शुभ माना गया है तो फिर गणेश उत्सव के लिये मिट्टी या प्लास्टर आफ पेरिस का उपयोग क्यों.

पर्यावरण की दृष्टि से युवाओं ने गोबर से बनाई भगवान गणेश की प्रतिमा

इस साल इन युवाओं ने गोबर से गणेशजी की 101 प्रतिमा बनाई और इसे प्रयोग के रूप में बाजार में उतारा. गोबर से बनी प्रतिमा तो लेकर लोगों से जो प्रतिक्रिया उन्हें मिली वो इन युवाओं ने भी नहीं सोचा होगा. हर कोई इन युवाओं को खोजने लगा और गोबर के गणेश प्रतिमा की डिमांड करने लगा.

फूल-पत्तों से बने रंग का उपयोग
गोबर से मूर्ति बनाने के पीछे पर्यावरण, नदियों-तालाबों के संरक्षण की सोच है. हर साल गणेश विसर्जन की वजह से नदी व तालाबो में केमिकल घुलता है और नदियों के साथ उसमें रहने वाले जीव भी ग्रसित होते हैं. गणेश प्रतिमा में उपयोग हुआ गोबर नदी में रहने वाले जीवों के लिए नुकसान नहीं बल्कि फायदे का काम करेगा. मूर्ति बनाने में केमिकल कलर्स का भी उपयोग नहीं किया गया है सभी फूल पत्तों से बनाये हुए ईको फ्रेंडली रंग हैं.

20 प्रतिशत मिट्टी और 80 प्रतिशत गोबर का उपयोग
संस्था के युवाओं ने गोबर से बने गणेश जी की प्रतिमा के बाद अब दीपावली में गोबर के दिये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति भी बनाने की योजना बनाई गई है. गोबर के गणेश की प्रतिमा बनाने के बारे में युवाओं ने बताया कि इसमें 20 प्रतिशत मिट्टी और 80 प्रतिशत गोबर का इस्तेमाल किया गया है.

Intro:सरगुजा : प्रथम पूज्य भगवान की पहली पूजा विधान हर सनातनी को पता ही होगा, पूजा चाहे किसी भी देव या देवी की हो, कलश स्थापना के सामने सबसे पहले भगवान गणेश और उनकी माता गौरा को स्थापित किया जाता है, और गाय के गोबर की आकृति बनाकर प्रथम पूज्य श्री गणेश और उनकी माता गौरा का पूजन किये जाने की प्रथा है.. लेकिन अम्बिकापुर के कुछ युवाओं ने इस धार्मिक महत्व में चार चांद लगा दिए हैं, इन युवाओं ने गोबर की गणेश प्रतिमा बनवाई है, जाहिर सी बात है की जब हर पूजन में गोबर के गणेश बनाना शुभ माना गया है तो फिर गणेश उत्सव के लिये मिट्टी या प्लास्टर आफ पेरिस का उपयोग क्यों.. लिहाजा इस वर्ष युवाओं ने गोबर के 101 गणेश प्रतिमा बनवाई और इसे प्रयोग के रूप में बाजार में उतारा, लेकिन गोबर के गणेश का जो प्रतिसाद इन्हें मिला वो इन युवाओं ने भी नही सोंचा होगा, स्थिति यह बन गई की हर कोई इन युवाओं को खोजने लगा और गोबर के गणेश प्रतिमा की डिमांड करने लगा।



Body:दरअसल गोबर के गणेश बनाने के पीछे जो सोंच है वो पर्यावरण और नदियों-तालाबो के संरक्षण की है, हर वर्ष गणेश विसर्जन की वजह से नदिया व तालाबो में केमिकल घुलता है और नदियों के साथ उसमे रहने वाले जीव भी ग्रसित होते हैं, लेकिन इस गणेश प्रतिमा में गोबर के उपयोग से यह नदियों व उसमें रहने वाले जीवो के लिए नुकसान नही बल्कि फायदे का काम करेगा, प्रतिमा में केमिकल वाले रंगों का भी उपयोग नही किया गया, जो भी रंग हैं वो फूल पत्तो से बनाये हुए ईको फ्रेंडली रंग हैं।Conclusion:माँ आर्गेनिक नामक संस्था बनाकर युवाओं ने अनूठा प्रयास किया है, पहली बार गोबर के गणेश बनवाये गए और अब दीपावली में गोबर के दिये, और लक्ष्मी गणेश की मूर्ती भी बनवाने की योजना बनाई गई है, गोबर के गणेश की प्रतिमा के निर्माण के संबंध में बताया गया की इसमे 20 प्रतिशत मिट्टी और 80 प्रतिशत गोबर का इस्तेमाल किया गया है।

बहरहाल गोबर के गणेश प्रतिमा का प्रयोग सफल होता दिख रहा है, लोग इसकी तारीफ कर रहे हैं, और इसे धार्मिकता के साथ साथ पर्यावरण संतुलन से भी जोड़कर देख रहे हैं।

बाईट01_मनीष कुमार

बाईट02_संजय सोनी

देश दीपक सरगुजा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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