सरगुजा: प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की महत्ता से सभी परिचित हैं. किसी भी पूजा के पहले भगवान श्री गणेश का पूजन, उनका आह्वान आवश्यक है. पूजा चाहे किसी भी देव या देवी की हो, सबसे पहले भगवान गणेश और उनकी माता गौरी को स्थापित किया जाता है और गाय के गोबर से आकृति बनाकर प्रथम पूज्य श्री गणेश और उनकी माता गौरी की पूजा की प्रथा है.
युवाओं ने बनाई गोबर की प्रतिमा
मां ऑर्गेनिक संस्था के कुछ युवाओं ने इस साल गणेशोत्सव को ईको फ्रेंडली बना दिया है. इन युवाओं ने गोबर से गणेश जी की प्रतिमा बनाई है. जाहिर सी बात है कि जब हर पूजन में गोबर के गणेश बनाना शुभ माना गया है तो फिर गणेश उत्सव के लिये मिट्टी या प्लास्टर आफ पेरिस का उपयोग क्यों.
इस साल इन युवाओं ने गोबर से गणेशजी की 101 प्रतिमा बनाई और इसे प्रयोग के रूप में बाजार में उतारा. गोबर से बनी प्रतिमा तो लेकर लोगों से जो प्रतिक्रिया उन्हें मिली वो इन युवाओं ने भी नहीं सोचा होगा. हर कोई इन युवाओं को खोजने लगा और गोबर के गणेश प्रतिमा की डिमांड करने लगा.
फूल-पत्तों से बने रंग का उपयोग
गोबर से मूर्ति बनाने के पीछे पर्यावरण, नदियों-तालाबों के संरक्षण की सोच है. हर साल गणेश विसर्जन की वजह से नदी व तालाबो में केमिकल घुलता है और नदियों के साथ उसमें रहने वाले जीव भी ग्रसित होते हैं. गणेश प्रतिमा में उपयोग हुआ गोबर नदी में रहने वाले जीवों के लिए नुकसान नहीं बल्कि फायदे का काम करेगा. मूर्ति बनाने में केमिकल कलर्स का भी उपयोग नहीं किया गया है सभी फूल पत्तों से बनाये हुए ईको फ्रेंडली रंग हैं.
20 प्रतिशत मिट्टी और 80 प्रतिशत गोबर का उपयोग
संस्था के युवाओं ने गोबर से बने गणेश जी की प्रतिमा के बाद अब दीपावली में गोबर के दिये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति भी बनाने की योजना बनाई गई है. गोबर के गणेश की प्रतिमा बनाने के बारे में युवाओं ने बताया कि इसमें 20 प्रतिशत मिट्टी और 80 प्रतिशत गोबर का इस्तेमाल किया गया है.