सरगुजा : सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है. सर्दियां शुरू होते ही हाथ पैर रूखे हो जाते हैं. जिसे दूर करने लोग मॉइश्चराइजर क्रीम लगाते हैं. लेकिन आज हम आपको ऐसे तेल के बारे में बता रहे हैं जो एक फल से बनता है और हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक है. इस तेल को लगाने से ना सिर्फ आपके हाथ पैर कोमल होंगे बल्कि छोटे बच्चों को होने वाले सर्दी जुकाम से भी राहत मिलेगी.
महुए के फूल से बना डोरी का तेल: इस तेल का नाम है डोरी का तेल. ये महुए के फल से बनता है. जिसे सुखा कर पीसकर तेल निकाला जाता है. सरगुजा के वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले लोग आमतौर पर यही काम करते हैं. महुए के सीजन में वे महुए के फलों को इक्ट्ठा कर उसे सुखा कर उसका तेल निकालते हैं. इस तेल को घर में उपयोग करने के साथ ही मार्केट में भी बेचते हैं जिससे उनकी आमदनी होती है.
लखनपुर गांव के ग्रामीण बताते हैं कि हाथ पैर फटने पर ठंड के दिनों में सभी इसे लगाते हैं ये बेहद फायदेमंद होता है- शिव प्रसाद यादव
ठंड से बचने में भी डोरी के तेल बेहद लाभदायक होता है. छोटे बच्चों को सर्दी से बचाने के लिये डोरी का तेल लगाया जाता है.- झीलो बाई
पहले हाथ से चलने वाली चक्की से तेल निकाला जाता था लेकिन अब बिजली से चलने वाली चक्की में आसानी से डोरी का तेल निकाल लिया जाता है. डोरी के तेल से खाना भी बना सकते हैं. लेकिन इस तेल में खाना बनाने से पहले काफी गर्म करना पड़ता है. - मान साय, ग्रामीण
निमोनिया और पाइल्स में भी उपयोगी: आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. आशुतोष का मानना है कि डोरी का तेल कई प्रकार की त्वचा संबंधित बीमारियों में सहायक है. डॉक्टर बताते हैं कि हाथ पैर में रूखापन, शरीर मे चत्ते पड़ने, खुजली होने पर इसका उपयोग करना काफी अच्छा होता है. डॉक्टर की माने तो डोरी का तेल पाइल्स की परेशानी झेल रहे लोगों के लिए भी काफी अच्छा होता है. डोरी का तेल एन्टी बैक्टीरियल होता है. इसकी तासीर गर्म होती है इस वजह से निमोनिया जैसी बीमारियों में भी ये राहत देता है.
महुए के फल से बन तेल में कई औषधीय गुण: डोरी का तेल ठंड के दिनों में घी की तरह जम जाता है. इसके गुणों के कारण कई प्रकार के साबुन में भी इसका उपयोग किया जाता है. जंगल मे मुफ्त में मिलने वाले महुए फल में कई सारे औषधीय गुण होने के कारण जंगलों में रहने वाले आदिवासियों की परंपरा बेहद समृद्ध है. अभाव में भी ये लोग अपना जीवन बेहद अच्छे से गुजार लेते हैं क्योंकि जंगलों में जीवन जीने के तमाम संसाधन उपलब्ध हो जाते हैं.