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संविधान में राज्य को आरक्षण बिल लाने की छूट लेकिन 76 फीसदी में कोर्ट में बिगड़ेगा खेल

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Published : Dec 3, 2022, 8:06 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. आरक्षण पास होने पर सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता दिनेश सोनी ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य ने जो 76 फीसदी आरक्षण लागू किया है. वह एक तरह से नियम विपरीत है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में इसे चैलेंज किया जाएगा तो 99 परसेंट उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे खारिज कर देगा.

सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता दिनेश सोनी
सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता दिनेश सोनी

सरगुजा: छत्तीसगढ़ में 76 फीसदी आरक्षण देने के लिये राज्य सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर विधेयक लाया है. अब यह विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के इंतजार में हैं. लेकिन इसके प्रावधान और स्थायित्व को लेकर अब भी सवाल खड़े हैं. क्योंकि जानकारों ने अनुसार इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में अगर चैलेंज किया गया तो फैसला विधयेक के खिलाफ आयेगा. क्योंकि किसी भी राज्य में 76 फीसदी आरक्षण नहीं है.


इस विषय पर हमने उन्होंने कहा "छत्तीसगढ़ राज्य ने जो 76 फीसदी आरक्षण लागू किया है. वह एक तरह से नियम विपरीत है. सर्वप्रथम आप देखिए कि संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 15 (4) में यह प्रावधान है कि राज्य सरकार आरक्षण के संबंध में विधेयक ला सकती है. लेकिन सिर्फ 50% तक क्योंकि देश में कहीं भी 76% आरक्षण नहीं है."

सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता दिनेश सोनी
"देश में जब आरक्षण दिया जा रहा था. तब जाति के आधार पर आरक्षण दिया गया. आज वित्तीय आधार पर आरक्षण लागू करने की जरुरत है. लेकिन यहां राजनीतिक लाभ लेने के लिए वोट बैंक की राजनीति करने के लिए जो भी सरकार रहती है. वह लाभ लेने के लिए इस आरक्षण को लागू करती है. जबकि नियम तह यह विधि विपरीत है. अगर इस आरक्षण के खिलाफ कोई माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जाता है तो इस आरक्षण पर तत्काल रोक लग जाएगी."

यह भी पढ़ें: आरक्षण बिल पर सोमवार तक करूंगी साइन: राज्यपाल अनुसुईया उइके

Governor Anusuiya Uikey छत्तीसगढ़ विधानसभा ने विशेष सत्र में आरक्षण बिल पारित कर दिया. जिसके बाद बिल को हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास भेज दिया गया है.इस मुद्दे पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि "पहले विधेयक का परीक्षण किया जाता है. उसके बाद सचिवालय से लीगल एडवाइजर भेजते हैं. कल बिल पास हुआ है. विधेयक तत्काल हस्ताक्षर नहीं होता. जैसे नोटिफिकेशन जारी होगा. इसी महीने से सारी रुकी भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएंगी."


"आरक्षण लागू करते समय बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और कुछ विशेषज्ञों ने यह माना कि देश में कुछ ऐसी जातियां रहती हैं जो काफी पिछड़ी हुई हैं. उनकी स्थिति को ऊपर उठाने के लिए 10 वर्षों के लिए आरक्षण लागू किया गया था, लेकिन इसे लगातार बढ़ाया गया. आज स्थिति यह है कि आरक्षण का लाभ कुछ ही लोगों को मिल रहा है. एक ही घर में 10-10 लोग शासकीय नौकरी में हैं, आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. जबकि एक बहुत बड़ा वर्ग है जो आज भी आरक्षण से के लाभ से वंचित है."


यह भी पढ़ें: मुझे पूरा विश्वास, राज्यपाल आरक्षण बिल पर बिना विलंब किए कर देंगी हस्ताक्षर: भूपेश बघेल

भानुप्रतापपुर उपचुनाव के प्रचार प्रसार का अंतिम दिन है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भानुप्रतापपुर में आयोजित सभा में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि कुछ भी कर लें उनके हाथ भानुप्रतापपुर उपचुनाव नहीं आने वाला है. आरक्षण पर सीएम बघेल ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि राज्यपाल आरक्षण बिल पर बिना विलंब किए हस्ताक्षर कर देंगी.

"जिनको एक बार आरक्षण मिल गया एक परिवार में एक बार आरक्षण मिल गया तो उनका आरक्षण समाप्त कर देना चाहिए. संविधान में भी यही प्रावधान दिया गया है. आज वास्तव में जिनको आरक्षण की जरूरत है. वह इस आरक्षण का लाभ नहीं ले पाते हैं. सिर्फ एक ही परिवार में आरक्षण सिमट कर रह जाता है. या तो आरक्षण समाप्त हो जाना चाहिए या तो वित्तीय आय के आधार पर आरक्षण लागू करना चाहिए जिससे वाकई में जो गरीब वर्ग है. वह आरक्षण से लाभान्वित हो सके. गरीबी रेखा के आधार पर 3 4 स्लैब बनाकर आरक्षण का लाभ देना चाहिए."


"जो विधेयक पास हुआ है अभी उसे देखा जाएगा. देखने के बाद उसमें किस तरह के प्रावधान किए गए हैं. माननीय सुप्रीम कोर्ट में उसके खिलाफ याचिका लगाई जा सकती है. मुझे पूरी उम्मीद है कि देश में 76 फीसदी आरक्षण देश में किसी राज्य में लागू नहीं है. छत्तीसगढ़ एकलौता राज्य होगा, जहां 76 फीसदी आरक्षण लागू है. अगर सुप्रीम कोर्ट में इसे चैलेंज किया जाएगा तो 99 परसेंट उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे खारिज कर देगा."

सरगुजा: छत्तीसगढ़ में 76 फीसदी आरक्षण देने के लिये राज्य सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर विधेयक लाया है. अब यह विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के इंतजार में हैं. लेकिन इसके प्रावधान और स्थायित्व को लेकर अब भी सवाल खड़े हैं. क्योंकि जानकारों ने अनुसार इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में अगर चैलेंज किया गया तो फैसला विधयेक के खिलाफ आयेगा. क्योंकि किसी भी राज्य में 76 फीसदी आरक्षण नहीं है.


इस विषय पर हमने उन्होंने कहा "छत्तीसगढ़ राज्य ने जो 76 फीसदी आरक्षण लागू किया है. वह एक तरह से नियम विपरीत है. सर्वप्रथम आप देखिए कि संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 15 (4) में यह प्रावधान है कि राज्य सरकार आरक्षण के संबंध में विधेयक ला सकती है. लेकिन सिर्फ 50% तक क्योंकि देश में कहीं भी 76% आरक्षण नहीं है."

सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता दिनेश सोनी
"देश में जब आरक्षण दिया जा रहा था. तब जाति के आधार पर आरक्षण दिया गया. आज वित्तीय आधार पर आरक्षण लागू करने की जरुरत है. लेकिन यहां राजनीतिक लाभ लेने के लिए वोट बैंक की राजनीति करने के लिए जो भी सरकार रहती है. वह लाभ लेने के लिए इस आरक्षण को लागू करती है. जबकि नियम तह यह विधि विपरीत है. अगर इस आरक्षण के खिलाफ कोई माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जाता है तो इस आरक्षण पर तत्काल रोक लग जाएगी."

यह भी पढ़ें: आरक्षण बिल पर सोमवार तक करूंगी साइन: राज्यपाल अनुसुईया उइके

Governor Anusuiya Uikey छत्तीसगढ़ विधानसभा ने विशेष सत्र में आरक्षण बिल पारित कर दिया. जिसके बाद बिल को हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास भेज दिया गया है.इस मुद्दे पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि "पहले विधेयक का परीक्षण किया जाता है. उसके बाद सचिवालय से लीगल एडवाइजर भेजते हैं. कल बिल पास हुआ है. विधेयक तत्काल हस्ताक्षर नहीं होता. जैसे नोटिफिकेशन जारी होगा. इसी महीने से सारी रुकी भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएंगी."


"आरक्षण लागू करते समय बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और कुछ विशेषज्ञों ने यह माना कि देश में कुछ ऐसी जातियां रहती हैं जो काफी पिछड़ी हुई हैं. उनकी स्थिति को ऊपर उठाने के लिए 10 वर्षों के लिए आरक्षण लागू किया गया था, लेकिन इसे लगातार बढ़ाया गया. आज स्थिति यह है कि आरक्षण का लाभ कुछ ही लोगों को मिल रहा है. एक ही घर में 10-10 लोग शासकीय नौकरी में हैं, आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. जबकि एक बहुत बड़ा वर्ग है जो आज भी आरक्षण से के लाभ से वंचित है."


यह भी पढ़ें: मुझे पूरा विश्वास, राज्यपाल आरक्षण बिल पर बिना विलंब किए कर देंगी हस्ताक्षर: भूपेश बघेल

भानुप्रतापपुर उपचुनाव के प्रचार प्रसार का अंतिम दिन है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भानुप्रतापपुर में आयोजित सभा में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि कुछ भी कर लें उनके हाथ भानुप्रतापपुर उपचुनाव नहीं आने वाला है. आरक्षण पर सीएम बघेल ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि राज्यपाल आरक्षण बिल पर बिना विलंब किए हस्ताक्षर कर देंगी.

"जिनको एक बार आरक्षण मिल गया एक परिवार में एक बार आरक्षण मिल गया तो उनका आरक्षण समाप्त कर देना चाहिए. संविधान में भी यही प्रावधान दिया गया है. आज वास्तव में जिनको आरक्षण की जरूरत है. वह इस आरक्षण का लाभ नहीं ले पाते हैं. सिर्फ एक ही परिवार में आरक्षण सिमट कर रह जाता है. या तो आरक्षण समाप्त हो जाना चाहिए या तो वित्तीय आय के आधार पर आरक्षण लागू करना चाहिए जिससे वाकई में जो गरीब वर्ग है. वह आरक्षण से लाभान्वित हो सके. गरीबी रेखा के आधार पर 3 4 स्लैब बनाकर आरक्षण का लाभ देना चाहिए."


"जो विधेयक पास हुआ है अभी उसे देखा जाएगा. देखने के बाद उसमें किस तरह के प्रावधान किए गए हैं. माननीय सुप्रीम कोर्ट में उसके खिलाफ याचिका लगाई जा सकती है. मुझे पूरी उम्मीद है कि देश में 76 फीसदी आरक्षण देश में किसी राज्य में लागू नहीं है. छत्तीसगढ़ एकलौता राज्य होगा, जहां 76 फीसदी आरक्षण लागू है. अगर सुप्रीम कोर्ट में इसे चैलेंज किया जाएगा तो 99 परसेंट उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे खारिज कर देगा."

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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