सरगुजा: अंबिकापुर नगर निगम में मेयर इन काउंसिल की बैठक में रखे गए एक प्रस्ताव से पूरे शहर की चिंता बढ़ी हुई है. इस प्रस्ताव में शहर के निजी अस्पताल और स्कूलों का बकाया टैक्स माफ कर उन्हें टैक्स फ्री किए जाने की कवायद शुरू की जा रही है.
इसके पीछे संस्थाओं ने नियमों का हवाला देते हुए चैरिटी को वजह है. जबकि शहर में शायद ही कोई संस्था है जो चैरिटी करती हो, व्यवसाय नहीं. लिहाजा विपक्ष भी अब इस फैसले पर हमलावर हो चुका है और महापौर और मेयर इन काउंसिल पर आरोप लगाए जा रहे हैं.
सीधा आम जनता पर पड़ रहा है असर
आरोप है कि, चैरिटेबल संस्था के नाम पर कुछ बड़े व्यवसायिक संस्थाओं को लाभ देने की नीयत से ये प्रयास किया जा रहा है और इस फैसले का बोझ सीधा आम जनता पर पड़ेगा. विपक्ष में बैठी भाजपा के पार्षद मधुसूदन शुक्ला ने बताया कि 'ये संस्थाएं सालों से टैक्स नहीं दे रही हैं और इसके पीछे नियमों का हवाला देते हैं, जिससे निगम का राजस्व का नुकसान हो रहा है.
टैक्स बढ़ाने की तैयारी
विपक्ष ने कांग्रेस को उसका वादा याद दिलाते हुए कहा है कि 'आपने घोषणा पत्र में कहा था कि, निगम में सरकार आने पर आम जनता का संपत्ति कर, समेकित कर और जल कर को आधा किया जाएगा. लेकिन 5 साल के बाद में भी वादा नहीं निभाया, बल्कि अब निजी संस्थाओं को छूट देकर जनता पर टैक्स का भार बढ़ाने की तैयारी में हैं'.
निगम करेगा ऑडिट
वहीं नगर निगम में राजस्व विभाग के प्रभारी पार्षद विजय सोनी का कहना है कि, 'टैक्स में छूट के लिए संस्थाओं ने जो दस्तावेज दिए जाएंगे. उसका ऑडिट भी निगम की ओर से किया जाएगा और जो संस्था बिना फायदा और बिना घाटे के संचालित होगी, उसे ही टैक्स में छूट दी जाएगी. अन्य किसी को इसका लाभ नहीं दिया जाएगा'.