सरगुजा: 2 सितंबर 2008 को अस्तित्व में आ आया था. अस्तित्व में आने के साथ ही विश्वविद्यालय विवादों में रहा है. विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही का नतीजा यह है कि अस्तित्व में आने के ग्यारह साल बाद भी यूनिवर्सिटी किराए के भवन में चल रही है.
कई साल से चल रही थी कोशिश
विश्वविद्यालय के नए भवन और स्वतंत्र कैंपस की प्रक्रिया पिछले कई साल से चल रही थी, लेकिन जमीन पर काम दिखाई नहीं दे रहा है. विश्वविद्यालय में नए कुलपति के आने के बाद से कुछ गतिविधियों की शुरूआत जरूर हुई है. कुलपति डॉ. रोहणी प्रसाद ने यूनिवर्सिटी को नया स्वरूप देने का प्लान बनाया है. उनका मानना है कि 'सब कुछ अगर ठीक रहा तो सरगुजा की एक दिन विश्व में अपनी पहचान बनेगी.
2018 में बदला गया नाम
साल 2018 में सरगुजा विश्वविदयालय का नाम बदला गया और नामकरण के साथ ही इसे संत गहिरा गुरु विश्वविद्द्यालय नाम दिया गया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने नवीन भवन का भूमिपूजन किया था और उसी दिन यहां सन्त गहिरा गुरु की प्रतिमा स्थापित की गई थी.
खास है यह पत्थर
विश्वविद्यालय का जायजा लेने पर हमें वहां एक शिला मिली जो दूर से देखने पर तो सामान्य पत्थर लग रहा था, लेकिन यह पत्थर खास है क्योंकि यह कई सालों से यहां मौजूद है. जमीन के ऊपर लगभग 14 फिट लंबा यह पत्थर जमीन के अंदर भी 14 फिट तक गड़ा हुआ है'.
लगाए गए 50 हजार पौधे
यह पत्थर विश्वविद्यालय परिसर में आकर्षण का केंद्र है. इसके साथ ही यहां करीब 50 हजार पौधे भी लगाए गए हैं, जो यहां की सुंदरता के साथ साथ पर्यावरण भी संतुलित करेंगे, इसके साथ ही विश्वविद्यालय के अंदर 3 झील बनाई जा रही है, जो निश्चित ही बड़े आकर्षण का केंद्र बनेंगी.
छात्रों को मिलेगा फायदा
बहरहाल कुलपति का उद्देश्य है कि जल्द से जल्द भवन का निर्माण किया जा सके ताकि, किया जा सके ताकि छात्रों को इसका फायदा जल्द मिल सके.