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11 साल बाद आएंगे सरगुजा यूनिवर्सिटी के 'अच्छे दिन', नया भवन बनाने की कवायद शुरू

विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही का नतीजा यह है कि अस्तित्व में आने के ग्यारह साल बाद भी यूनिवर्सिटी किराए के भवन में चल रही है.

यूनिवर्सिटी में मौजूद शीला
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Published : Apr 26, 2019, 9:02 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: 2 सितंबर 2008 को अस्तित्व में आ आया था. अस्तित्व में आने के साथ ही विश्वविद्यालय विवादों में रहा है. विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही का नतीजा यह है कि अस्तित्व में आने के ग्यारह साल बाद भी यूनिवर्सिटी किराए के भवन में चल रही है.

नया भवन बनाने की कवायद शुरू

कई साल से चल रही थी कोशिश
विश्वविद्यालय के नए भवन और स्वतंत्र कैंपस की प्रक्रिया पिछले कई साल से चल रही थी, लेकिन जमीन पर काम दिखाई नहीं दे रहा है. विश्वविद्यालय में नए कुलपति के आने के बाद से कुछ गतिविधियों की शुरूआत जरूर हुई है. कुलपति डॉ. रोहणी प्रसाद ने यूनिवर्सिटी को नया स्वरूप देने का प्लान बनाया है. उनका मानना है कि 'सब कुछ अगर ठीक रहा तो सरगुजा की एक दिन विश्व में अपनी पहचान बनेगी.

2018 में बदला गया नाम
साल 2018 में सरगुजा विश्वविदयालय का नाम बदला गया और नामकरण के साथ ही इसे संत गहिरा गुरु विश्वविद्द्यालय नाम दिया गया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने नवीन भवन का भूमिपूजन किया था और उसी दिन यहां सन्त गहिरा गुरु की प्रतिमा स्थापित की गई थी.

खास है यह पत्थर
विश्वविद्यालय का जायजा लेने पर हमें वहां एक शिला मिली जो दूर से देखने पर तो सामान्य पत्थर लग रहा था, लेकिन यह पत्थर खास है क्योंकि यह कई सालों से यहां मौजूद है. जमीन के ऊपर लगभग 14 फिट लंबा यह पत्थर जमीन के अंदर भी 14 फिट तक गड़ा हुआ है'.

लगाए गए 50 हजार पौधे
यह पत्थर विश्वविद्यालय परिसर में आकर्षण का केंद्र है. इसके साथ ही यहां करीब 50 हजार पौधे भी लगाए गए हैं, जो यहां की सुंदरता के साथ साथ पर्यावरण भी संतुलित करेंगे, इसके साथ ही विश्वविद्यालय के अंदर 3 झील बनाई जा रही है, जो निश्चित ही बड़े आकर्षण का केंद्र बनेंगी.

छात्रों को मिलेगा फायदा
बहरहाल कुलपति का उद्देश्य है कि जल्द से जल्द भवन का निर्माण किया जा सके ताकि, किया जा सके ताकि छात्रों को इसका फायदा जल्द मिल सके.

सरगुजा: 2 सितंबर 2008 को अस्तित्व में आ आया था. अस्तित्व में आने के साथ ही विश्वविद्यालय विवादों में रहा है. विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही का नतीजा यह है कि अस्तित्व में आने के ग्यारह साल बाद भी यूनिवर्सिटी किराए के भवन में चल रही है.

नया भवन बनाने की कवायद शुरू

कई साल से चल रही थी कोशिश
विश्वविद्यालय के नए भवन और स्वतंत्र कैंपस की प्रक्रिया पिछले कई साल से चल रही थी, लेकिन जमीन पर काम दिखाई नहीं दे रहा है. विश्वविद्यालय में नए कुलपति के आने के बाद से कुछ गतिविधियों की शुरूआत जरूर हुई है. कुलपति डॉ. रोहणी प्रसाद ने यूनिवर्सिटी को नया स्वरूप देने का प्लान बनाया है. उनका मानना है कि 'सब कुछ अगर ठीक रहा तो सरगुजा की एक दिन विश्व में अपनी पहचान बनेगी.

2018 में बदला गया नाम
साल 2018 में सरगुजा विश्वविदयालय का नाम बदला गया और नामकरण के साथ ही इसे संत गहिरा गुरु विश्वविद्द्यालय नाम दिया गया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने नवीन भवन का भूमिपूजन किया था और उसी दिन यहां सन्त गहिरा गुरु की प्रतिमा स्थापित की गई थी.

खास है यह पत्थर
विश्वविद्यालय का जायजा लेने पर हमें वहां एक शिला मिली जो दूर से देखने पर तो सामान्य पत्थर लग रहा था, लेकिन यह पत्थर खास है क्योंकि यह कई सालों से यहां मौजूद है. जमीन के ऊपर लगभग 14 फिट लंबा यह पत्थर जमीन के अंदर भी 14 फिट तक गड़ा हुआ है'.

लगाए गए 50 हजार पौधे
यह पत्थर विश्वविद्यालय परिसर में आकर्षण का केंद्र है. इसके साथ ही यहां करीब 50 हजार पौधे भी लगाए गए हैं, जो यहां की सुंदरता के साथ साथ पर्यावरण भी संतुलित करेंगे, इसके साथ ही विश्वविद्यालय के अंदर 3 झील बनाई जा रही है, जो निश्चित ही बड़े आकर्षण का केंद्र बनेंगी.

छात्रों को मिलेगा फायदा
बहरहाल कुलपति का उद्देश्य है कि जल्द से जल्द भवन का निर्माण किया जा सके ताकि, किया जा सके ताकि छात्रों को इसका फायदा जल्द मिल सके.

Intro:सरगुजा : सरगुजा विश्वविद्यालय जो 2 सितंबर 2008 को अस्तित्व में आ गया था, पर अपने अस्तित्व में आने के समय से ही यह विवि विवादों में रहा है, लापरवाहियों की एक से एक इबारत यहां रहे जिम्मेदारों ने लिखी, नतीजन 11 वर्ष में विवि के पास खुद का भवन तक नही है, लोक निर्माण विभाग से मिले उधार के छोटे से भवन में विवि संचालित हो रहा है, विवि के वृहद स्वरूप के साथ स्वतंत्र कैम्पस की प्रक्रिया भी वर्षो से चल रही थी लेकिन जमीन पर काम दिखाई नही पड़ता था, लेकिन अब विवि का काम तेजी पकड़ता नजर आ रहा है। कुलपति डॉ रोहणी प्रसाद इसे लेकर काफी संजीदा हैं, और उन्होंने विवि के इस प्रांगण को अपना सपना बना लिया है, औऱ उनका मानना है, की सब कुछ अगर ठीक से चला तो सरगुजा विवि विश्व मे पहचाना जायेगा, इसके ड्राइंग डिजाइन और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग की वजह से कुलपति का मानना है की यह सरगुजा की पहचान बनेगा।


Body:हालाकी वर्ष 2018 में सरगुजा विवि का नाम बदला गया और नामकरण के साथ ही इसे संत गहिरा गुरु विश्वविद्द्यालय नाम दिया गया है, तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने नवीन भवन का भूमिपूजन किया था और उसी दिन यहां सन्त गहिरा गुरु की प्रतिमा स्थापित की गई थी,

विश्वविद्यालय के लिये आबंटित भूखंड में कुलपति रोहणी प्रसाद के साथ ईटीव्ही भारत की टीम भी वहां पहुंची और मौके पर जाकर जायजा लिया की क्या वाकई विवि के रूप में कोई अद्भुत प्रयास हो रहे हैं या नही, यहां पहुंचतें ही एक ऐसी चीज से सामना हुआ जो किसी को भी हैरत में डाल सकती है, सुनने में थोड़ा नही बहोत ज्यादा लगता है पर यह सच है, क्योकी भूगर्भ शास्त्रियों ने इसे प्रमाणित किया है,हम बात कर रहे हैं, यहां रखी एक शिला की दूर से देखने पर तो यह सामान्य पत्थर दिखता है लेकिन यह पत्थर खास है क्योकी यह 150 करोड़ वर्ष पुराना है, जमीन के ऊपर लगभग 14 फिट लंबा यह पत्थर जमीन के अंदर भी 14 फिट है, कुलपति का मानना है की यह पत्थर दिव्य है, इसमे पॉजिटिव एनर्जी है, दरअसल यह पत्थर सरगुज के साँड़बार के जंगल मे असंरक्षित रूप से पड़ा हुआ था, और जब कुलपति की नजर उस पर पड़ी तो उन्होंने उसे यहां स्थापित कराया, अब यह विश्वविद्यालय के लिए आकर्षण का केंद्र है, कुलपति रोहणी प्रसाद भवन निर्माण को लेकर इस कदर दीवाने है की इस पत्थर को भी कारण मान रहे हैं, उनका मानना है की जब से यह पत्थर यहां लाया गया है सभी काम तेजी से हो रहे हैं।


Conclusion:विवि प्रांगण में 50 हजार पौधों का रोपण भी किया गया है, जो यहां की सुंदरता के साथ साथ पर्यावरण भी संतुलित करेंगे, इसके साथ ही विवि के अंदर 3 झील बनाई जा रही है, जो निश्चित ही बड़े आकर्षण का केंद्र बनेगी। पौध रोपण भी यहां खाना पूर्ति के लिए नही किया गया है, बल्कि एक एक पौधे की मॉनिटरिंग होती है की कही कोई पौधा सूख ना जाए, बड़ी बात यह है की इन पौधों की निगरानी वृक्ष मित्र का खिताब पा चुके ओपी अग्रवाल कर रहे हैं तो पौधों की ग्रोथ बढ़ने से भला कौन रोक सकता है।

बहरहाल कुलपति अथक प्रयास कर रहे हैं और उनका उद्देश्य है की जल्द से जल्द इस निर्माण को पूरा किया जा सके ताकि छात्रों को इसका लाभ जल्द मिल सके।

121- डॉ रोहणी प्रसाद (कुलपति)
121nd- डॉ रोहणी प्रसाद (कुलपति)

देश दीपक सरगुजा
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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