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Panchayati Raj Day 2022: 'मितानिन का काम करने से लोगों से जुड़ी सरपंच बनने के बाद कैसे उन्हें छोड़ दूं'

National Panchayati Raj Day 2022: सरगुजा की महिला सरपंच आशा देवी आज भी गांव में मितानिन (Sarguja Kishunpur Village Sarpanch Mitanin Asha Devi) के तौर पर ज्यादा जानी जाती हैं. इसका कारण भी खास हैं. पंचायती राज दिवस 2022 पर आपको मिलवाते हैं किशुनपुर गांव की पहली महिला सरपंच से जो पिछले दो साल से दोहरी भूमिका निभाकर गांव वालों की सेवा कर रही हैं.

Sarguja female sarpanch Asha Devi
सरगुजा की महिला सरपंच आशा देवी
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Published : Apr 23, 2022, 5:05 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा नेटवर्क पंचायती राज व्यवस्था का है. (National Panchayati Raj Day 2022) बड़े-बड़े नेताओं का असल सियासी सफर ग्राम पंचायत से ही शुरू होता है. ग्राम पंचायत का सरपंच मतलब गांव का मुखिया होता है. पंचायती राज दिवस पर ETV भारत छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की एक ऐसी महिला सरपंच से मिलाने जा रहा है जो ना सिर्फ सरपंच की भूमिका बखूबी निभा रही हैं बल्कि अपना पुराने पेशे के जरिए भी लोगों की सेवा कर रही हैं.

पंचायती राज दिवस 2022

इस तरह कर रही लोगों की सेवा: सरगुजा जिले की लुंड्रा विधानसभा के गांव किशुनपुर की पहली सरपंच एक ऐसी महिला (Sarguja Kishunpur Village Sarpanch Mitanin Asha Devi) बनी, जो मितानिन का काम करती थी. लेकिन 2020 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस ग्राम पंचायत से मितानिन आशा देवी सरपंच बन गईं. तब से वो दोहरी जिम्मेदारी उठा रही हैं. आशा देवी सरपंच बन गई, लेकिन अपना काम नहीं छोड़ा. वो अब भी मितानिन के रूप में लोगों की सेवा कर रही हैं. घर-घर जाकर स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी देना, गर्भवती महिलाओं का नियमित जांच करना और उनको अस्पताल तक ले जाकर प्रसव कराने का काम कर रही हैं.

यह भी पढ़ें: सरगुजा में कामकाजी महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, आमदनी करके बेरोजगारों को दिखाया आईना

मितानिन का काम करने में जरा भी नहीं करती संकोच: आशा देवी को राजनीति में आने के बाद भी इस काम को करने में जरा भी संकोच नहीं है. बल्कि आशा कहती हैं कि इसी वजह से लोगों से उनका जुड़ाव हुआ है. गांव वालों ने ही कहा था कि वो चुनाव लड़े, वो उसे विजयी बनाएंगे. आशा गांव के लोगों की बेहतरी के लिये मितानिन का काम नहीं छोड़ना चाहती. क्योंकि बतौर मितानिन जितनी जानकारी उनको है, आम ग्रामीण महिलाओं को नहीं होती है.

सरपंच बनने के बाद 50 से अधिक प्रसव करा चुकी है: छोटी-छोटी बीमारियों में सलाह और सतर्कता से मितानिन लोगों की जान बचाने का काम करती हैं. गरीब ग्रामीणों को शासकीय अस्पताल में मिलने वाली निःशुल्क सुविधाओं की जानकारी देकर उनके खर्च भी बचाती हैं. इन्हीं सब कारणों से आशा देवी सरपंच बनने के बाद भी मितानिन का काम कर रही है. सरपंच बनने के बाद आशा देवी 50 से अधिक प्रसव करा चुकी हैं.

2020 में पहली बार हुआ पंचायत चुनाव: ग्राम सकालो का एक हिस्सा काटकर नई ग्राम पंचायत किशुनपुर बनाई गई. जनवरी 2020 में पहली बार इस ग्राम पंचायत में चुनाव हुआ. 28 जनवरी को मतदान हुआ और मितानिन आशा देवी इस ग्राम की सरपंच चुनी गई. एक मितानिन का सरपंच बनना बड़ी बात थी. लेकिन आशा आज भी मितानिन का काम कर रही है और लोगों के बीच रहकर उनकी सेवा कर रही है.

सरगुजा: भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा नेटवर्क पंचायती राज व्यवस्था का है. (National Panchayati Raj Day 2022) बड़े-बड़े नेताओं का असल सियासी सफर ग्राम पंचायत से ही शुरू होता है. ग्राम पंचायत का सरपंच मतलब गांव का मुखिया होता है. पंचायती राज दिवस पर ETV भारत छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की एक ऐसी महिला सरपंच से मिलाने जा रहा है जो ना सिर्फ सरपंच की भूमिका बखूबी निभा रही हैं बल्कि अपना पुराने पेशे के जरिए भी लोगों की सेवा कर रही हैं.

पंचायती राज दिवस 2022

इस तरह कर रही लोगों की सेवा: सरगुजा जिले की लुंड्रा विधानसभा के गांव किशुनपुर की पहली सरपंच एक ऐसी महिला (Sarguja Kishunpur Village Sarpanch Mitanin Asha Devi) बनी, जो मितानिन का काम करती थी. लेकिन 2020 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस ग्राम पंचायत से मितानिन आशा देवी सरपंच बन गईं. तब से वो दोहरी जिम्मेदारी उठा रही हैं. आशा देवी सरपंच बन गई, लेकिन अपना काम नहीं छोड़ा. वो अब भी मितानिन के रूप में लोगों की सेवा कर रही हैं. घर-घर जाकर स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी देना, गर्भवती महिलाओं का नियमित जांच करना और उनको अस्पताल तक ले जाकर प्रसव कराने का काम कर रही हैं.

यह भी पढ़ें: सरगुजा में कामकाजी महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, आमदनी करके बेरोजगारों को दिखाया आईना

मितानिन का काम करने में जरा भी नहीं करती संकोच: आशा देवी को राजनीति में आने के बाद भी इस काम को करने में जरा भी संकोच नहीं है. बल्कि आशा कहती हैं कि इसी वजह से लोगों से उनका जुड़ाव हुआ है. गांव वालों ने ही कहा था कि वो चुनाव लड़े, वो उसे विजयी बनाएंगे. आशा गांव के लोगों की बेहतरी के लिये मितानिन का काम नहीं छोड़ना चाहती. क्योंकि बतौर मितानिन जितनी जानकारी उनको है, आम ग्रामीण महिलाओं को नहीं होती है.

सरपंच बनने के बाद 50 से अधिक प्रसव करा चुकी है: छोटी-छोटी बीमारियों में सलाह और सतर्कता से मितानिन लोगों की जान बचाने का काम करती हैं. गरीब ग्रामीणों को शासकीय अस्पताल में मिलने वाली निःशुल्क सुविधाओं की जानकारी देकर उनके खर्च भी बचाती हैं. इन्हीं सब कारणों से आशा देवी सरपंच बनने के बाद भी मितानिन का काम कर रही है. सरपंच बनने के बाद आशा देवी 50 से अधिक प्रसव करा चुकी हैं.

2020 में पहली बार हुआ पंचायत चुनाव: ग्राम सकालो का एक हिस्सा काटकर नई ग्राम पंचायत किशुनपुर बनाई गई. जनवरी 2020 में पहली बार इस ग्राम पंचायत में चुनाव हुआ. 28 जनवरी को मतदान हुआ और मितानिन आशा देवी इस ग्राम की सरपंच चुनी गई. एक मितानिन का सरपंच बनना बड़ी बात थी. लेकिन आशा आज भी मितानिन का काम कर रही है और लोगों के बीच रहकर उनकी सेवा कर रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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