सरगुजा: आपातकालीन स्थिति में मेडिकल सुविधा मुहैया कराने के लिए 108, 102 जैसी सुविधा की जानकारी तो सभी को है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि किसी पशु को अपातकालीन मेडिकल सुविधा दिलाने लिए कौन से नंबर पर फोन लगाया जाए. अगर आप सोच रहे होंगे की एसी कोई सुविधा नहीं है तो, हम आपको बता दें कि 108,102 की तर्ज पर पशु रेस्क्यू वाहन की सुविधा मौजूद है.
पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अंबिकापुर को पशु वाहन की सौगात दी थी. शहर में रहने वाले लोगों के जहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि, ऐसे किसी वाहन को तो आपने सड़कों पर घूमते देखा ही नहीं, तो हम आपको बता दें, सरकार की ओर से सुविधा जरूर दी गई थी, लेकिन विभाग ने इसका इस्तेमाल कभी किया ही नहीं.
जिले को पशु वाहन देने के पीछे का मकसद यह था कि, गांव, कस्बे और शहरों की सड़कों पर होने वाले हादसों में घायल आवारा पशुओं के फौरन इलाज मुहैया कराया जाए. पशुपालन विभाग को 15 से 20 लाख रुपए की लागत से लिए गए वाहन में हाईटेक हाइड्रोलिक सिस्टम भी दिया गया है, जिसमें घायल मवेशियों को उठाकर वाहन में रखने और तत्काल पशु चिकित्सालय ले जाने की सुविधा है. इस पूरी व्यवस्था की जिम्मेदारी पशुपालन विभाग के जिला अधिकारी को दी गई थी.
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एक साल से एक ही स्थान में खड़े रहने की वजह से यह वाहन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. यह वाहन आज काम लेने लायक नहीं है. दुर्घटनाग्रस्त पशुओं को नगर निगम के गाड़ियों से पशु अस्पताल तक ले जाया जाता है. हर ब्लॉक में यह सुविधा उपलब्ध कराने की योजना थी, जो की अब पूरी तरह से ठंडे बस्ते में जा चुकी है.
काश ये बेजुबान पशुओं में सोचने और समझने की शक्ति होती और वो भी सिस्टम के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपनी बात रख पाते. अफसोस ऐसा नहीं है और इसी वजह से शायद ये बेजुबान सड़कों पर मरने को मजबूर हैं.