अंबिकापुर: भाजपा के वरिष्ठ नेता अनिल सिंह मेजर ने शनिवार को राजनीति से संन्यास ले लिया है. हालांकि उन्होंने कहा है कि, " मैं हमेशा भाजपा में रहूंगा. पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी थी, मैंने उसे पूरा कर दिया है. लेकिन अब सक्रिय राजनीति से सन्यास ले रहा हूं. अनिल सिंह मेजर के संन्यास बीजेपी के लिए बड़ा झटका है. ये काफी सालों से बीजेपी में सक्रिय रहे हैं.
पिछले 20 सालों से अंबिकापुर से मांग रहे थे टिकट: वहीं, अनिल सिंह मेजर का चुनाव के समय अचानक सियासत से संन्यास लेने से सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलों को हवा मिल रही है. बताया जा रहा है कि अनिल सिंह एक सीनियर और कद्दावर नेता हैं. प्रदेश कार्यसमिति से लेकर भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति तक सदस्य रह चुके हैं. सालों से चुनावों में संगठन की ओर से दी गई जिम्मेदारी को इन्होंने बखूबी निभाई है.पिछले 20 सालों से ये अम्बिकापुर विधानसभा से भाजपा से टिकट की मांग कर रहे थे.
48 वर्षों की राजनीति में मेरे ऊपर कोई भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा. ऐसे में किस चीज की कमी रह गई, जो पार्टी से मौका नहीं दिया गया.-अनिल सिंह मेजर, बीजेपी के वरिष्ठ नेता
पिछले कई दिनों से पार्टी से चल रहे थे नाराज: भले ही अनिल सिंह भाजपा संगठन में सबसे सीनियर सक्रिय नेता रहे हों, लेकिन बीजेपी ने उन्हें कभी विधानसभा का उम्मीदवार नही बनाया. 3 बार अम्बिकापुर से एक ही नाम अनुराग सिंहदेव को भाजपा ने मौका दिया. हालांकि अनुराग तीनों चुनाव हार गए. इस बार भाजपा ने प्रत्याशी बदला लेकिन अनिल सिंह मेजर का नंबर इस बार भी नहीं लगा. भाजपा ने कांग्रेस से 2017 में भाजपा ज्वाइन करने वाले राजेश अग्रवाल को टिकट दे दिया. बताया जा रहा है कि इसी बात से अनिल सिंह मेजर नाराज चल रहे थे. ऐसे में अनिल मेजर का चुनाव के वक्त ये कहना कि वो सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रहे हैं, ये कहीं न कहीं भाजपा के प्रति उनकी नाराजगी जाहिर करता है.
बता दें कि अनिल सिंह मेजर भाजपा के घोषणा पत्र की प्रेस वार्ता के लिए बलरामपुर जिले के प्रभारी बनाए गए थे. वहां उन्होने घोषणा पत्र तो जारी किया लेकिन बाहर निकलते ही उन्होंने मीडिया को ये बयान दिया कि अब वो सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रहे हैं. चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में एक कद्दावर नेता का घर बैठ जाना, भाजपा के लिये नुकसानदायक साबित हो सकता है.