सरगुजा: छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में सरगुजा संभाग की अहम भूमिका सरकार बनाने में रहती है. कांग्रेस के लिए सरगुजा गढ़ बन चुका है. यहां की अम्बिकापुर विधानसभा सीट बेहद खास है, क्योंकि यहां से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव विधायक हैं. राजपरिवार से होने के कारण वो सबसे अमीर विधायकों में भी शुमार हैं. टीएस सिंहदेव 3 बार इस सीट से लगातार जीत हासिल कर चुके हैं.
सिंहदेव परिवार का इतिहास: त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव, जिन्हें लोग टीएस बाबा कहकर पुकारते हैं. उनका जन्म 31 अक्टूबर 1952 में जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था. पिता स्व मदनेश्वर शरण सिंहदेव IAS अधिकारी थे, जो मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी भी रहे. सरगुजा राजपरिवार का शुरू से ही कांग्रेस से जुड़ाव रहा है. आजादी तक सरगुजा में राजपरिवार ही सत्ता और प्रशासन चलाता था. लेकिन रियासत के 117वें महाराज आईएएस अधिकारी होने के कारण राजनीति में नहीं आ सकते थे. इसी वजह से टीएस सिंहदेव की मां राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव ने सरगुजा रियासत की बागडोर अपने हाथ में ली और कांग्रेस में सक्रिय रहीं. वो अविभाजित मध्यप्रदेश की 2 बार विधायक और मंत्री भी रहीं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से उनके नजदीकी संबंध रहे.
राजनीतिक जीवन का शुरुआती दौर: 1983 में अम्बिकापुर नगर पालिका परिषद बनने के बाद टीएस सिंहदेव ने पहली बार चुनाव लड़ा और 2 बार नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद कांग्रेस की ओर से राजनीति में सक्रिय रहे. सन 1983 में राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले टीएस सिंहदेव प्रदेश कांग्रेस कमेटी छत्तीसगढ़ के सदस्य, नगर पालिका परिषद अंबिकापुर के अध्यक्ष, यूथ कांग्रेस पर्यावरण प्रकोष्ठ के संयोजक और सेवा दल के जिलाध्यक्ष रहे. 2003 में छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष बने, इस दौरान उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला था. टीएस सिंहदेव अंबिकापुर सीट से पहली बार 2008 में विधायक निर्वाचित हुए. 2013 फिर उन्होंने जीत दर्ज की. इस दौरान टीएस सिंहदेव नेता प्रतिपक्ष रहे. वहीं 2018 में तीसरी बार कांग्रेस की टिकट से विधायक चुने गए. इसी कार्यकाल के दौरान 2023 में उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया.
विवाद के बाद सिंहदेव ने पंचायत मंत्रालय छोड़ा: वर्तमान सरकार में टीएस सिंहदेव, सीएम भूपेश बघेल के मंत्रीमंडल में मंत्री बनाये गये और उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, 20 सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन, वाणिज्यिक कर के साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन बीच में अपनी ही सरकार के काम को लेकर एक विवाद के बाद टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्रालय छोड़ दिया. जिसके बाद वो प्रदेश के डिप्टी सीएम के साथ साथ ऊर्जा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, 20 सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.