सरगुजा : भविष्य में कब क्या किसके साथ हो जाए ये कोई नहीं जानता.आज यदि कोई राजा है तो हो सकता है कि वक्त की मार उसे रंक बना दे.ठीक उसी तरह इंसानी जीवन में उतार चढ़ाव का दौर आता रहता है. लेकिन सरगुजा की एक बेटी के लिए ये उतार चढ़ाव का दौर सिवाए मुसीबत के कुछ नहीं. कहने को तो बेटी खेल में गोल्ड मेडल जीतकर लाई.लेकिन आज उसका जीवन तीन बाई छह की चारपाई में सिमट कर रह गया है. इस बेटी का नाम है आरती दास.
आरती दास को क्या हुआ : आरती की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है. जहां एक पल में आई खुशियां ऐसी काफूर हुई कि चंद सांसों के लिए भी मदद का मुंह देखना पड़ता है. 14 नवंबर 2022 जिस दिन पूरा देश बाल दिवस मनाता है.ये दिन इस बच्ची के लिए मनहूसियत लेकर आया. अपने घर से स्कूल जाने के लिए जैसे ही आरती निकली चौराहे पर एक बेकाबू पिकअप वाहन ने उसे अपनी चपेट में ले लिया. हादसा इतना भयानक था कि आरती कि, बचने की उम्मीद नहीं थी.लेकिन डॉक्टरों ने वक्त रहते आरती को प्रारंभिक इलाज देकर रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भेज दिया.जहां उसकी जान बची.
इलाज के बाद बिस्तर पर कट रही है जिंदगी : इलाज के बाद आरती घर पर है. हर 15 दिन उसे लेकर रायपुर लाना पड़ता है. लेकिन आरती का जीवन अब पहले की तरह नहीं रहा.हादसे के कारण उसके शरीर में कई तरह की विसंगतिया भी पैदा हो गई. आरती की नजरें अब कमजोर हो चुकी हैं. याददाश्त साथ नहीं देती.शरीर का एक तरफ का हिस्सा काम करना बंद कर देता है. दिमागी चोट के कारण आरती कई बार अचेत अवस्था में चली जाती है.
बिस्तर बना ठिकाना : आरती एक गरीब घर में पैदा हुई.लेकिन उसके हौंसले हमेशा से ही ऊंचे उड़ने के रहे हैं. लुंड्रा विधानसभा के जरहा डीह में रहने वाली आरती दास ने गेम्स में गोल्ड मेडल जीता है. फ्लोर बॉल में आरती गोल्ड मेडलिस्ट हैं. लेकिन इस दुर्घटना ने आरती के सपने छीन लिये हैं.आरती की हालत देखकर ऐसा लग रहा है कि शायद वो खेल नहीं सकेगी.इलाज में दो लाख से ज्यादा का खर्च हो चुका है.पिता ने अपनी संतान को बचाने के लिए जमीन बेच दी है. लेकिन अब आगे का इलाज महंगा है और घर की आर्थिक हालत भी खस्ता.ऐसे में आरती के पिता ने मदद की गुहार लगाई है.
बेटी को ठीक करने के लिए पिता की गुहार : आरती के पिता माया राम कहते हैं कि '' सरकार कुछ मदद कर दे तो बेटी ठीक हो जाएगी.हम लोग की जिदंगी कब तक है क्या भरोसा. बेटी हमारे बाद कैसे रहेगी बस यही चिंता लगी रहती है. अभी तक तो कर्ज लेकर इलाज कराया हूं.बेटी को चीजें डबल दिखती हैं, एक हाथ और पैर काम नहीं करता है. याददाश्त भी पहले जैसी नही रही लेकिन वो स्कूल जाना चाहती है.''
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स्थानीय डॉक्टर भी कर रहे हैं मदद : घटना के बाद से ही बीएमओ लुंड्रा डॉ इमरान इस बच्ची के सम्पर्क में हैं. आरती को फिजियो थेरेपी देते हैं.स्थानीय डॉक्टरों की राय है कि यदि किसी न्यूरो फिजियोथेरिपिस्ट से आरती का इलाज कराया जाए तो वो जल्द ठीक हो सकती है. अब ये परिवार मदद की गुहार लगा रहा है.
ETV भारत भी एक मजदूर की होनहार बेटी के घर इसलिए पहुंचा ताकि मदद की गुहार अधिक लोगों तक पहुंचाई जा सके. यदि आप भी आरती की मदद करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए यूपीआई अकाउंट में मदद भेज सकते हैं. अकाउंट की जानकारी है.
- मायाराम, पिता - 9301359074 शिमला, मां - 6267199177
परिवार को उम्मीद है कि, शायद कोई फरिश्ता बनकर आये और एक गरीब की बेटी को एक स्वस्थ जीवन दिला दे. क्योंकि पिता घर में अकेले कमाने वाले हैं. आर्थिक तंगी के कारण अब तो रायपुर जाना भी इनके लिए मुश्किल हो चुका है. फिर बड़े शहरों के बड़े अस्पताल में इलाज कैसे होगा. ऐसे में अब परिवार को उम्मीदें मदद पर टिकी है. ताकि इस बेटी का इलाज हो सके.