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छत्तीसगढ़ और आदिवासी एक दूसरे के पर्याय

World Tribal Day: प्रकृति की पूजा और उन्हें संरक्षित रखने वालों को सुरक्षित करने के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. इस दिन को पहली बार सयुंक्त राज्य अमेरिका में मनाया गया था. छत्तीसगढ़ में 30 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासियों की है. (jagtik adivasi din )

World Tribal Day 2022
विश्व आदिवासी दिवस
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Published : Aug 9, 2022, 7:31 AM IST

Updated : Aug 13, 2022, 11:17 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की पहचान यहां के आदिवासियों से ही है. आपको जानकर हैरानी होगी कि आज के डिजिटल युग में भी यदि किसी के सामने छत्तीसगढ़ का जिक्र किया जाए तो उनका जवाब रहता है कि "वहां ज्यादा आदिवासी रहते हैं." प्रदेश के लगभग आधे भू-भाग में जंगल है. इसी वजह से छत्तीसगढ़ की गौरवशाली आदिम संस्कृति यहां फल फूल रही है. प्रदेश में 42 अधिसूचित जनजातियों और उनके उप समूहों का वास है. सबसे अधिक जनसंख्या वाली जनजाति गोंड़ है जो पूरे छत्तीसगढ़ में फैली है. राज्य के उत्तरी अंचल में उरांव, कंवर, पंडो जनजातियों का निवास हैं. दक्षिण बस्तर अंचल में माडिया, मुरिया, धुरवा, हल्बा, अबुझमाडिया, दोरला जैसी जनजातियों की बहुलता है.

छत्तीसगढ़ में निवासरत जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत रही है. जो उनके दैनिक जीवन तीज-त्यौहार, धार्मिक रीति-रिवाज और परंपराओं के जरिए पता चलती है. बस्तर के जनजातियों की घोटुल प्रथा प्रसिद्ध है. जनजातियों के प्रमुख नृत्य गौर, कर्मा, काकसार, शैला, सरहुल और परब जन-जन में लोकप्रिय हैं. छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि बीते साढ़े तीन साल में जनजातियों के पारंपरिक गीत-संगीत, नृत्य, वाद्य यंत्र, कला और संस्कृति को सहेजने के साथ विश्व पटल पर लाने की कोशिश हो रही है.

कैसे हुई विश्व आदिवासी दिवस की शुरुआत ?: विश्व के लगभग 90 से अधिक देशों मे आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. इसके बावजूद आदिवासी लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. दुनियाभर में आदिवासी समूह बेरोजगारी, बाल श्रम और अन्य समस्याओं का शिकार हो रहे थे. इसलिए संयुक्त राष्ट्र में आदिवासियों की हालात देखकर यूएनडब्लूजीआईपी (स्वदेशी जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह) संगठन बनाने की आवश्यकता पड़ी. दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पहली बार अंतरराष्ट्रीय जनजातीय दिवस मनाने का निर्णय लिया गया और साल 1982 में स्वदेशी जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक के दिन को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाने के लिए चिह्नित किया गया. हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. यह दुनिया की स्वदेशी जनता के बारे में जागरुकता पैदा करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए मनाया जाता है.

World Tribal Day: पूरे विश्व में आदिवासियों का महापर्व

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए योजनाएं: विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा- जनजातियों के विकास और हित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कई अहम फैसले लिये हैं. लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की 4200 एकड़ जमीन की वापसी, जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा के लिए समिति का गठन, जिला खनिज न्यास के पैसों से आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार का निर्णय, बस्तर और सरगुजा में कर्मचारी चयन बोर्ड की स्थापना और यहां आदिवासी विकास प्राधिकरणों में स्थानीय अध्यक्ष की नियुक्ति से आदिवासी समाज के लिए बेहतर काम करने की कोशिशें जारी हैं. आदिवासी समाज की जरूरतों और अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई योजनाओं से उनका जीवन अधिक सरल हो सका है. "

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए कुछ और योजनाएं:

  1. वन अधिकार पट्टाधारी वनवासियों के जीवन को आसान बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों के पट्टे की भूमि का समतलीकरण, मेड़बंधान, सिंचाई की सुविधा के साथ-साथ खाद-बीज और कृषि उपकरण भी उपलब्ध करा रही है. वन भूमि पर खेती करने वाले वनवासियों को आम किसानों की तरह शासन की योजनाओं का लाभ मिलने लगा है.
  2. वनांचल में कोदो-कुटकी, रागी की बहुलता से खेती करने वाले आदिवासियों को उत्पादन के लिए प्रति एकड़ 9 हजार रुपये की इनपुट सब्सिडी देने का प्रावधान राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत किया गया है. राज्य में पहली बार कोदो-कुटकी की 3000 और रागी की 3377 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कुल 16 करोड़ 58 लाख रुपये की खरीदी की गई.
  3. बस्तर अंचल के तेजी से विकास के लिए नियमित हवाई सेवा शुरू की गई है. जगदलपुर एयरपोर्ट आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करायी गई हैं। इस एयरपोर्ट का नामकरण बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के नाम पर किया गया है.
  4. बीजापुर से बलरामपुर तक सभी अस्पतालों में अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया गया है. इन अस्पतालों में प्रसुति सुविधा, जच्चा बच्चा देखभाल सहित पैथालाजी लेब और दंतचिकित्सा सहित विभिन्न रोगों के उपचार और परीक्षण की सुविधाएं उपलब्ध करायी गई है.
  5. हाट-बाजारों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना में मेडिकल एम्बुलेंस के जरिए दुर्गम गांवों तक निःशुल्क जांच और उपचार की सुविधा के साथ दवाईयां बांटी जा रही है. मलेरिया के प्रकोप से बचाने के लिए बस्तर संभाग में विशेष अभियान चलाया गया, जिससे बस्तर अंचल में अब मलेरिया का प्रकोप थम सा गया है.
  6. सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र जगरगुण्डा सहित 14 गांवों की एक पूरी पीढ़ी 13 सालों से शिक्षा से वंचित थी अब यहां स्कूल भवनों की मरम्मत कर स्कूल खोले गए हैं बीजापुर और बस्तर संभाग के जिलों में भी सैकड़ों बंद स्कूलों को फिर से शुरू किया गया है.
  7. बस्तर अंचल के लोहांडीगुड़ा के 1707 किसानों की 4200 हेक्टेयर जमीन जो एक निजी इस्पात संयंत्र के लिए अधिगृहित की गई थी. यह भूमि किसानों को लौटा दी गई है. बस्तर संभाग के जिलों में नारंगी वन क्षेत्र में से 30 हजार 429 हेक्टेयर भूमि राजस्व मद में वापस दर्ज की गई है. इससे बस्तर अंचल में कृषि, उद्योग, अधोसंरचना के निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध हो सकेगी. आजादी के बाद पहली बार अबूझमाड़ क्षेत्र के 2500 किसानों को मसाहती पट्टा प्रदान किया गया है. अबूझमाड़ के 18 गांवों का सर्वे पूरा कर लिया गया है, दो गांवों का सर्वे जारी है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ की पहचान यहां के आदिवासियों से ही है. आपको जानकर हैरानी होगी कि आज के डिजिटल युग में भी यदि किसी के सामने छत्तीसगढ़ का जिक्र किया जाए तो उनका जवाब रहता है कि "वहां ज्यादा आदिवासी रहते हैं." प्रदेश के लगभग आधे भू-भाग में जंगल है. इसी वजह से छत्तीसगढ़ की गौरवशाली आदिम संस्कृति यहां फल फूल रही है. प्रदेश में 42 अधिसूचित जनजातियों और उनके उप समूहों का वास है. सबसे अधिक जनसंख्या वाली जनजाति गोंड़ है जो पूरे छत्तीसगढ़ में फैली है. राज्य के उत्तरी अंचल में उरांव, कंवर, पंडो जनजातियों का निवास हैं. दक्षिण बस्तर अंचल में माडिया, मुरिया, धुरवा, हल्बा, अबुझमाडिया, दोरला जैसी जनजातियों की बहुलता है.

छत्तीसगढ़ में निवासरत जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत रही है. जो उनके दैनिक जीवन तीज-त्यौहार, धार्मिक रीति-रिवाज और परंपराओं के जरिए पता चलती है. बस्तर के जनजातियों की घोटुल प्रथा प्रसिद्ध है. जनजातियों के प्रमुख नृत्य गौर, कर्मा, काकसार, शैला, सरहुल और परब जन-जन में लोकप्रिय हैं. छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि बीते साढ़े तीन साल में जनजातियों के पारंपरिक गीत-संगीत, नृत्य, वाद्य यंत्र, कला और संस्कृति को सहेजने के साथ विश्व पटल पर लाने की कोशिश हो रही है.

कैसे हुई विश्व आदिवासी दिवस की शुरुआत ?: विश्व के लगभग 90 से अधिक देशों मे आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. इसके बावजूद आदिवासी लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. दुनियाभर में आदिवासी समूह बेरोजगारी, बाल श्रम और अन्य समस्याओं का शिकार हो रहे थे. इसलिए संयुक्त राष्ट्र में आदिवासियों की हालात देखकर यूएनडब्लूजीआईपी (स्वदेशी जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह) संगठन बनाने की आवश्यकता पड़ी. दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पहली बार अंतरराष्ट्रीय जनजातीय दिवस मनाने का निर्णय लिया गया और साल 1982 में स्वदेशी जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक के दिन को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाने के लिए चिह्नित किया गया. हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. यह दुनिया की स्वदेशी जनता के बारे में जागरुकता पैदा करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए मनाया जाता है.

World Tribal Day: पूरे विश्व में आदिवासियों का महापर्व

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए योजनाएं: विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा- जनजातियों के विकास और हित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कई अहम फैसले लिये हैं. लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की 4200 एकड़ जमीन की वापसी, जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा के लिए समिति का गठन, जिला खनिज न्यास के पैसों से आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार का निर्णय, बस्तर और सरगुजा में कर्मचारी चयन बोर्ड की स्थापना और यहां आदिवासी विकास प्राधिकरणों में स्थानीय अध्यक्ष की नियुक्ति से आदिवासी समाज के लिए बेहतर काम करने की कोशिशें जारी हैं. आदिवासी समाज की जरूरतों और अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई योजनाओं से उनका जीवन अधिक सरल हो सका है. "

छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए कुछ और योजनाएं:

  1. वन अधिकार पट्टाधारी वनवासियों के जीवन को आसान बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों के पट्टे की भूमि का समतलीकरण, मेड़बंधान, सिंचाई की सुविधा के साथ-साथ खाद-बीज और कृषि उपकरण भी उपलब्ध करा रही है. वन भूमि पर खेती करने वाले वनवासियों को आम किसानों की तरह शासन की योजनाओं का लाभ मिलने लगा है.
  2. वनांचल में कोदो-कुटकी, रागी की बहुलता से खेती करने वाले आदिवासियों को उत्पादन के लिए प्रति एकड़ 9 हजार रुपये की इनपुट सब्सिडी देने का प्रावधान राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत किया गया है. राज्य में पहली बार कोदो-कुटकी की 3000 और रागी की 3377 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कुल 16 करोड़ 58 लाख रुपये की खरीदी की गई.
  3. बस्तर अंचल के तेजी से विकास के लिए नियमित हवाई सेवा शुरू की गई है. जगदलपुर एयरपोर्ट आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करायी गई हैं। इस एयरपोर्ट का नामकरण बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के नाम पर किया गया है.
  4. बीजापुर से बलरामपुर तक सभी अस्पतालों में अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया गया है. इन अस्पतालों में प्रसुति सुविधा, जच्चा बच्चा देखभाल सहित पैथालाजी लेब और दंतचिकित्सा सहित विभिन्न रोगों के उपचार और परीक्षण की सुविधाएं उपलब्ध करायी गई है.
  5. हाट-बाजारों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना में मेडिकल एम्बुलेंस के जरिए दुर्गम गांवों तक निःशुल्क जांच और उपचार की सुविधा के साथ दवाईयां बांटी जा रही है. मलेरिया के प्रकोप से बचाने के लिए बस्तर संभाग में विशेष अभियान चलाया गया, जिससे बस्तर अंचल में अब मलेरिया का प्रकोप थम सा गया है.
  6. सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र जगरगुण्डा सहित 14 गांवों की एक पूरी पीढ़ी 13 सालों से शिक्षा से वंचित थी अब यहां स्कूल भवनों की मरम्मत कर स्कूल खोले गए हैं बीजापुर और बस्तर संभाग के जिलों में भी सैकड़ों बंद स्कूलों को फिर से शुरू किया गया है.
  7. बस्तर अंचल के लोहांडीगुड़ा के 1707 किसानों की 4200 हेक्टेयर जमीन जो एक निजी इस्पात संयंत्र के लिए अधिगृहित की गई थी. यह भूमि किसानों को लौटा दी गई है. बस्तर संभाग के जिलों में नारंगी वन क्षेत्र में से 30 हजार 429 हेक्टेयर भूमि राजस्व मद में वापस दर्ज की गई है. इससे बस्तर अंचल में कृषि, उद्योग, अधोसंरचना के निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध हो सकेगी. आजादी के बाद पहली बार अबूझमाड़ क्षेत्र के 2500 किसानों को मसाहती पट्टा प्रदान किया गया है. अबूझमाड़ के 18 गांवों का सर्वे पूरा कर लिया गया है, दो गांवों का सर्वे जारी है.
Last Updated : Aug 13, 2022, 11:17 AM IST
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