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वेश्यावृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर क्या है समाज की राय?

वेश्यावृत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाया (Supreme Court on Prostitution) है. जिसमे इस पेशे से जुड़े लोगों ने राहत की सांस ली है.लेकिन अब भी समाज का वर्ग कोर्ट के इस फैसले को लेकर अपनी राय रख रहा है.

Instructions to the police regarding prostitution
वेश्यावृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
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Published : May 30, 2022, 2:49 PM IST

Updated : May 30, 2022, 4:06 PM IST

रायपुर:हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को लेकर एक बड़ा फैसला (Supreme Court on Prostitution) सुनाया .कोर्ट ने कहा है कि ''वेश्यावृत्ति भी एक प्रोफेशन है इससे जुड़े लोगों का सम्मान किया जाना चाहिए . सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिसबलों को यौनकर्मियों और उनके बच्चों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने और मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं करने के निर्देश दिए हैं.

वेश्यावृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर क्या है समाज की राय

पहचान उजागर करना है गलत : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि '' गिरफ्तारी, छापेमारी और बचाव अभियान के दौरान यौन कर्मियों की पहचान उजागर ना हो .चाहे वह पीड़ित हो या आरोपी हो . ऐसे किसी भी तस्वीर का प्रसारण या प्रकाशन नहीं हो जिसके जिससे उनकी पहचान का खुलासा (Instructions to the police regarding prostitution) हो.'' सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद समाज में लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं .

क्या कहना है समाज का : इस फैसले को लेकर ईटीवी भारत ने समाज के लोगों से बातचीत की और उनकी राय जानी.. सोशल एक्टिविस्ट ममता शर्मा का कहना है कि " सुप्रीम कोर्ट किसी चिंतन मनन करने के पश्चात ही कोई जजमेंट देती है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मैं स्वागत करती हूँ. किसी भी चीज के दो पहलू होते हैं. एक सकारात्मक और एक नकारात्मक. जो समाज के कर्ता-धर्ता हैं वे इस तरह के फैसले को सरासर गलत बताएंगे, लेकिन लंबे समय से एक ऐसा वर्ग है जो वेश्यावृत्ति करने वालों की व्यथा देख रहा (sex workers have right to live) है . मेरी यह सोच है कि वेश्यावृत्ति कोई आज का पेशा नहीं है. पूर्व समय में देखा जाए तो राजा महाराजाओं के दौरान देवदासी परम्परा हुआ करती थी, हमेशा से ही समाज में इनकी भूमिका रही है,भले हमने उन्हें अलग अलग नाम या चरित्र से चित्रण किया है.''

वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देना गलत : सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर संध्या बाजपेई का कहना है कि " फैसले तो कोर्ट रोज देती है, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मैं सहमत नहीं हूं, यदि हर प्रोफेशन को आप लीगल कर देंगे. अगर चोर को चोर नहीं बोलेंगे ,वैश्या को वैश्या नहीं बोलेंगे तो और कहां (promoting prostitution is wrong) कहेंगे. समाज में जो बुराई पहले से थी वह आगे भी रहेगी . नारी पूजनीय है और आज भगवान ने भी नारियों को पूज्यनीय कहा है. सरकार को सामाजिक बुराई खत्म करने के लिए पहल करनी चाहिए ना कि ऐसी चीजों को बढ़ावा मिलना चाहिए. ''

ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट में PIL, प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट को दी गई चुनौती

जानिए पुलिस की राय : डीएसपी रही संध्या द्विवेदी का कहना है "संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार हर महिला को सम्मानजनक स्थिति में जीने का अधिकार (woman right to live in a dignified condition) है. वेश्यावृत्ति मजबूर महिलाएं करतीं हैं. स्वेच्छा से कोई महिला वेश्यावृत्ति नहीं करती है. कम समय में अधिक पैसा कमाने के लिए व्यवसाय किया जाता है. वेश्यावृत्ति एक सामाजिक बुराई है. इसे खत्म किया जाना बेहतर है. ऐसी महिलाओं को प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन इनके लिए अच्छे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिए .

रायपुर:हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को लेकर एक बड़ा फैसला (Supreme Court on Prostitution) सुनाया .कोर्ट ने कहा है कि ''वेश्यावृत्ति भी एक प्रोफेशन है इससे जुड़े लोगों का सम्मान किया जाना चाहिए . सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिसबलों को यौनकर्मियों और उनके बच्चों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने और मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं करने के निर्देश दिए हैं.

वेश्यावृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर क्या है समाज की राय

पहचान उजागर करना है गलत : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि '' गिरफ्तारी, छापेमारी और बचाव अभियान के दौरान यौन कर्मियों की पहचान उजागर ना हो .चाहे वह पीड़ित हो या आरोपी हो . ऐसे किसी भी तस्वीर का प्रसारण या प्रकाशन नहीं हो जिसके जिससे उनकी पहचान का खुलासा (Instructions to the police regarding prostitution) हो.'' सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद समाज में लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं .

क्या कहना है समाज का : इस फैसले को लेकर ईटीवी भारत ने समाज के लोगों से बातचीत की और उनकी राय जानी.. सोशल एक्टिविस्ट ममता शर्मा का कहना है कि " सुप्रीम कोर्ट किसी चिंतन मनन करने के पश्चात ही कोई जजमेंट देती है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मैं स्वागत करती हूँ. किसी भी चीज के दो पहलू होते हैं. एक सकारात्मक और एक नकारात्मक. जो समाज के कर्ता-धर्ता हैं वे इस तरह के फैसले को सरासर गलत बताएंगे, लेकिन लंबे समय से एक ऐसा वर्ग है जो वेश्यावृत्ति करने वालों की व्यथा देख रहा (sex workers have right to live) है . मेरी यह सोच है कि वेश्यावृत्ति कोई आज का पेशा नहीं है. पूर्व समय में देखा जाए तो राजा महाराजाओं के दौरान देवदासी परम्परा हुआ करती थी, हमेशा से ही समाज में इनकी भूमिका रही है,भले हमने उन्हें अलग अलग नाम या चरित्र से चित्रण किया है.''

वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देना गलत : सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर संध्या बाजपेई का कहना है कि " फैसले तो कोर्ट रोज देती है, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मैं सहमत नहीं हूं, यदि हर प्रोफेशन को आप लीगल कर देंगे. अगर चोर को चोर नहीं बोलेंगे ,वैश्या को वैश्या नहीं बोलेंगे तो और कहां (promoting prostitution is wrong) कहेंगे. समाज में जो बुराई पहले से थी वह आगे भी रहेगी . नारी पूजनीय है और आज भगवान ने भी नारियों को पूज्यनीय कहा है. सरकार को सामाजिक बुराई खत्म करने के लिए पहल करनी चाहिए ना कि ऐसी चीजों को बढ़ावा मिलना चाहिए. ''

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जानिए पुलिस की राय : डीएसपी रही संध्या द्विवेदी का कहना है "संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार हर महिला को सम्मानजनक स्थिति में जीने का अधिकार (woman right to live in a dignified condition) है. वेश्यावृत्ति मजबूर महिलाएं करतीं हैं. स्वेच्छा से कोई महिला वेश्यावृत्ति नहीं करती है. कम समय में अधिक पैसा कमाने के लिए व्यवसाय किया जाता है. वेश्यावृत्ति एक सामाजिक बुराई है. इसे खत्म किया जाना बेहतर है. ऐसी महिलाओं को प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन इनके लिए अच्छे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिए .

Last Updated : May 30, 2022, 4:06 PM IST
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