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कहां से कांग्रेस में आया ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला, कितनी बार यह हुआ फेल ? - रामअवतार तिवारी

ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले (two and a half year formula) का शोर छत्तीसगढ़ की सियासत (politics of chhattisgarh) खासकर कांग्रेस पार्टी में सबसे पुराना रहा है. इसे पहले भी इस्तेमाल किया गया था. छत्तीसगढ़ की राजनीति को करीब से देखने वाले पत्रकार रामअवतार तिवारी (Journalist Ramavatar Tiwari) ने बताया कि ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला पहले भी इस्तेमाल किया गया था लेकिन यह फेल हो गया था.

two and a half year formula in chhattisgarh congress
छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला
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Published : Sep 7, 2021, 5:30 PM IST

Updated : Sep 7, 2021, 8:21 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजनीति में ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले (two and a half year formula) का शोर मचा हुआ है. इस पर बीते दिनों रायपुर से दिल्ली तक सियासी पारा चढ़ा हुआ था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह फॉर्मूला पहले भी कांग्रेस पार्टी (Chhattisgarh Congress) में इस्तेमाल किया जा चुका है. छत्तीसगढ़ की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामअवतार तिवारी (Journalist Ramavatar Tiwari) ने ईटीवी भारत (Etv Bharat) को बताया कि इस फॉर्मूला का इस्तेमाल पहले भी हो चुका है. लेकिन उस दौरान यह फॉर्मूला फेल हो गया था. इतना ही नहीं राम अवतार का कहना है कि इस फॉर्मूले को ईजाद खुद टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) ने सबसे पहले किया था. पहले और अब दोनों समय में यह फॉर्मूला आजमाया गया. लेकिन दोनों फॉर्मूला अब फेल रहा है.

छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला

बीते नगरीय निकाय चुनाव में इसका हुआ था इस्तेमाल

वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने बताया कि बीते नगरीय निकाय चुनाव में अंबिकापुर (Ambikapur urban body elections) में इस फॉर्मूले का इस्तेमाल किया गया था. अंबिकापुर में सभापति चयन को लेकर पार्टी के अंदर काफी जद्दोजहद चल रही थी. यहां सभापति की कुर्सी पर कांग्रेस के पार्षद को बैठाना था. लेकिन इस सभापति कि कुर्सी के लिए दो दावेदार मैदान में ताल ठोक रहे थे. जिसमें पहला नाम शफी अहमद (Shafi Ahmed) का था. जो पिछले 15 साल से निगम में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व संभाल चुके थे. वहीं दूसरा नाम अजय अग्रवाल (Ajay Agarwal) का था जो कांग्रेस के जिला अध्यक्ष और वरिष्ठ पार्षद थे. यह दोनों दावेदार के सिंहदेव (TS Singhdeo) के नजदीकी माने जाते थे. ऐसे में कांग्रेस पार्टी संगठन ने सभापति के चयन की जवाबदारी तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) को सौंपी गई. उस दौरान बाबा यानि की टीएस सिंहदे ने ही इस ढाई ढाई साल के फॉर्मूले (two and a half year formula) को इजाद किया. उन्होंने पहले ढाई साल शफी अहमद और अगले ढाई साल अजय अग्रवाल को सभापति बनाने का सुझाव दिया. जिस पर दोनों राजी हो गए.

इस फॉर्मूले से जब मुकर गए सिंहदेव !

लेकिन ढाई साल बाद जब अजय अग्रवाल को सभापति बनाने की बात आई, तो कहीं न कहीं पार्टी या यूं कहें कि टीएस बाबा खुद इस फॉर्मूले से मुकर गए. हालांकि उस दौरान तर्क दिया गया था कि जब वर्तमान सभापति बेहतर काम कर रहे हैं तो ऐसे में इन्हें बदलने की क्या जरूरत है. इसके बाद जिन्हें पहले ढाई साल सभापति बनने का मौका दिया था उन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. इस घटना से जोड़कर मुख्यमंत्री के ढाई ढाई साल के फॉर्मूले को भी देखा जा रहा है.

अंबिकापुर से लेकर रायपुर तक यह फॉर्मूला फेल !

रामअवतार तिवारी का कहना है कि अंबिकापुर का ढाई साल का फॉर्मूला फेल होने के बाद कहीं ना कहीं सीएम को लेकर बनाया गया ढाई साल का फार्मूला भी अब फेल हो गया है. क्योंकि जिस तरह सभापति को लेकर दलील दी गई थी कि उनके कार्यकाल में बेहतर काम चल रहा है. ऐसे में उन्हें क्यों बदला जाए. यही दलील हो ना हो मुख्यमंत्री बदलाव को लेकर भी पार्टी हाईकमान के सामने दी गई होगी. जब सारे मंत्री विधायक जनपद सदस्य एकजुट होकर हाईकमान के पास पहुंचे और अपनी बात रखी. तो हो सकता है कि उन्होंने भूपेश बघेल को ही आगामी और ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने का फरमान सुना दिया हो. यही कारण है कि अब छत्तीसगढ़ में दोबारा यह ढाई ढाई साल का फॉर्मूला फेल हो गया है.

बहरहाल ढाई ढाई साल के फॉर्मूले पर अब विराम लगता नजर आ रहा है या सिंहदेव ईजाद किए गए इस फॉर्मूले में खुद फेल हो गए. दोनों ही बातें अब छत्तीसगढ़ की सियासत में लाख टके का सवाल बन चुकी है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजनीति में ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले (two and a half year formula) का शोर मचा हुआ है. इस पर बीते दिनों रायपुर से दिल्ली तक सियासी पारा चढ़ा हुआ था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह फॉर्मूला पहले भी कांग्रेस पार्टी (Chhattisgarh Congress) में इस्तेमाल किया जा चुका है. छत्तीसगढ़ की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रामअवतार तिवारी (Journalist Ramavatar Tiwari) ने ईटीवी भारत (Etv Bharat) को बताया कि इस फॉर्मूला का इस्तेमाल पहले भी हो चुका है. लेकिन उस दौरान यह फॉर्मूला फेल हो गया था. इतना ही नहीं राम अवतार का कहना है कि इस फॉर्मूले को ईजाद खुद टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) ने सबसे पहले किया था. पहले और अब दोनों समय में यह फॉर्मूला आजमाया गया. लेकिन दोनों फॉर्मूला अब फेल रहा है.

छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला

बीते नगरीय निकाय चुनाव में इसका हुआ था इस्तेमाल

वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने बताया कि बीते नगरीय निकाय चुनाव में अंबिकापुर (Ambikapur urban body elections) में इस फॉर्मूले का इस्तेमाल किया गया था. अंबिकापुर में सभापति चयन को लेकर पार्टी के अंदर काफी जद्दोजहद चल रही थी. यहां सभापति की कुर्सी पर कांग्रेस के पार्षद को बैठाना था. लेकिन इस सभापति कि कुर्सी के लिए दो दावेदार मैदान में ताल ठोक रहे थे. जिसमें पहला नाम शफी अहमद (Shafi Ahmed) का था. जो पिछले 15 साल से निगम में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व संभाल चुके थे. वहीं दूसरा नाम अजय अग्रवाल (Ajay Agarwal) का था जो कांग्रेस के जिला अध्यक्ष और वरिष्ठ पार्षद थे. यह दोनों दावेदार के सिंहदेव (TS Singhdeo) के नजदीकी माने जाते थे. ऐसे में कांग्रेस पार्टी संगठन ने सभापति के चयन की जवाबदारी तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) को सौंपी गई. उस दौरान बाबा यानि की टीएस सिंहदे ने ही इस ढाई ढाई साल के फॉर्मूले (two and a half year formula) को इजाद किया. उन्होंने पहले ढाई साल शफी अहमद और अगले ढाई साल अजय अग्रवाल को सभापति बनाने का सुझाव दिया. जिस पर दोनों राजी हो गए.

इस फॉर्मूले से जब मुकर गए सिंहदेव !

लेकिन ढाई साल बाद जब अजय अग्रवाल को सभापति बनाने की बात आई, तो कहीं न कहीं पार्टी या यूं कहें कि टीएस बाबा खुद इस फॉर्मूले से मुकर गए. हालांकि उस दौरान तर्क दिया गया था कि जब वर्तमान सभापति बेहतर काम कर रहे हैं तो ऐसे में इन्हें बदलने की क्या जरूरत है. इसके बाद जिन्हें पहले ढाई साल सभापति बनने का मौका दिया था उन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. इस घटना से जोड़कर मुख्यमंत्री के ढाई ढाई साल के फॉर्मूले को भी देखा जा रहा है.

अंबिकापुर से लेकर रायपुर तक यह फॉर्मूला फेल !

रामअवतार तिवारी का कहना है कि अंबिकापुर का ढाई साल का फॉर्मूला फेल होने के बाद कहीं ना कहीं सीएम को लेकर बनाया गया ढाई साल का फार्मूला भी अब फेल हो गया है. क्योंकि जिस तरह सभापति को लेकर दलील दी गई थी कि उनके कार्यकाल में बेहतर काम चल रहा है. ऐसे में उन्हें क्यों बदला जाए. यही दलील हो ना हो मुख्यमंत्री बदलाव को लेकर भी पार्टी हाईकमान के सामने दी गई होगी. जब सारे मंत्री विधायक जनपद सदस्य एकजुट होकर हाईकमान के पास पहुंचे और अपनी बात रखी. तो हो सकता है कि उन्होंने भूपेश बघेल को ही आगामी और ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने का फरमान सुना दिया हो. यही कारण है कि अब छत्तीसगढ़ में दोबारा यह ढाई ढाई साल का फॉर्मूला फेल हो गया है.

बहरहाल ढाई ढाई साल के फॉर्मूले पर अब विराम लगता नजर आ रहा है या सिंहदेव ईजाद किए गए इस फॉर्मूले में खुद फेल हो गए. दोनों ही बातें अब छत्तीसगढ़ की सियासत में लाख टके का सवाल बन चुकी है.

Last Updated : Sep 7, 2021, 8:21 PM IST
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