रायपुर: हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन में सीएम भूपेश बघेल का समर्थन मिलने के बाद मंत्री टीएस सिंहदेव ने उनको धन्यवाद दिया है. टीएस ने ट्वीट कर कहा कि "भूपेश भाई को हसदेव आंदोलन पर बयान के लिए आभार. लगभग 100 दिन से लगातार आंदोलनरत ग्रामीणों की बात पर उन्होंने उनके पक्ष में सहमति जताई है. प्रश्न आंदोलन कर रहे ग्रामीणजनों के व्यापक और संवैधानिक हित का है. उनके साथ खड़े होने पर @bhupeshbaghel भाई को पुनः धन्यवाद". (TS Singhdeo tweet to Bhupesh Baghel)
सिंहदेव ने कहा कि "लोगों का हित पूरा होना चाहिए. ग्राम सभा निष्पक्ष होनी चाहिए. इसमें जांच जब की गई तो उसमें मृत लोगों का नाम था. 40 से 50 लोगों ने एफिडेविड दिया है जिसमें ये कहा गया है कि हम वहां थे ही नहीं. इस तरह की स्थिति में दोबारा ग्राम सभा होनी चाहिए. निष्पक्ष होना चाहिए. उसके बाद जानिए कि वे क्या चाहते हैं"
टीएस सिंहदेव सोमवार को हसदेव अरण्य आंदोलन क्षेत्र के दौरे पर थे. यहां उन्होंने ग्रामीणों के इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया. ग्रामीणों से मुलाकात में उन्होंने कहा था कि "अगर आप एकजुट हैं और आपको दबाया जा रहा है. आपको परेशान किया जायेगा तो आप निश्चिंत रहिये मैं हमेशा आपकी लड़ाई लड़ने के लिए आपके साथ खड़ा हूं. आपको एकजुट रहना होगा. फिर चाहे गोली चले या डंडा, पहली गोली और डंडा मैं खाऊंगा". (ts singhdeo thanked bhupesh baghel )
सिंहदेव ने ये भी कहा था कि "मैं दिल्ली जाकर आप सबकी मंशा, आपकी पीड़ा और हसदेव अरण्य को बचाने की मांग से हमारे नेता राहुल गांधी को अवगत कराऊंगा. उन्होंने पहले भी इस क्षेत्र में आकर हसदेव अरण्य को बचाने पर जोर दिया था और अभी विदेश में रहते हुए आपके आंदोलनों को राहुल गांधी ने जायज बताया है. मैं आपकी बात उन तक पहुंचाऊंगा."
हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन पर सिंहदेव के साथ हुए सीएम बघेल, दिया बड़ा बयान
सिंहदेव के वादे पर भूपेश बघेल का बयान: सिंहदेव के आंदोलनकारी ग्रामीणों से किए वादे पर भूपेश बघेल ने कहा था कि "हसदेव अरण्य बचाओ आंदोलन में अगर कोई गोली चलाएगा तो उसके ऊपर गोली चल जाएगी. बाबा साहब उस क्षेत्र के विधायक हैं अगर वो नहीं चाहते तो पेड़ क्या पेड़ की डाली भी नहीं कटेगी". भूपेश बघेल के इस बयान पर मंत्री टीएस सिंहदेव ने खुशी जताई और ट्वीट कर उनका धन्यवाद कर आभार जताया.
क्या है हसदेव अरण्य: छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर जिले का वो जंगल है जो मध्यप्रदेश के कान्हा के जंगलों से झारखंड के पलामू के जंगलों को जोड़ता है. यह मध्य भारत का सबसे समृद्ध वन है. हसदेव नदी भी खदान के कैचमेंट एरिया में है. हसदेव नदी पर बना मिनी माता बांगो बांध जिससे बिलासपुर, जांजगीर-चाम्पा और कोरबा के खेतों और लोगों को पानी मिलता है. इस जंगल में हाथी समेत 25 वन्य प्राणियों का रहवास और उनके आवागमन का क्षेत्र है. (Hasdeo Aranya Bachao Andolan)
क्यों है खनन से आपत्ति: वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2010 में हसदेव अरण्य में खनन प्रतिबंधित रखते हुये इसे नो - गो एरिया घोषित किया था. लेकिन बाद में इसी मंत्रालय के वन सलाहकार समिति ने अपने ही नियम के खिलाफ जाकर यहां परसा ईस्ट और केते बासेन कोयला परियोजना को वन स्वीकृति दे दी थी. समिति की स्वीकृति को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने निरस्त भी कर दिया था.
WII की चेतावनी: भारतीय वन्य जीव संस्थान (WII) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पहले से संचालित खदानों को नियंत्रित तरीके से चलाना होगा. इसके साथ ही सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को नो गो एरिया घोषित किया जाए. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में यह चेतावनी भी है कि अगर खनन परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई तो मानव हाथी संघर्ष को संभालना लगभग नामुमकिन हो जायेगा.