ETV Bharat / city

SPECIAL: लॉकडाउन में आर्थिक तंगी दूर करने की मजबूरी! खुले बाजार में PDS का चावल बेच रहे हितग्राही

सभी को राशन मिल सके इसके लिए PDS के तहत सरकार की ओर से हितग्राहियों को राशन वितरण किया जा रहा है, लेकिन इस राशन को कार्डधारी खुले बाजार में बेचने लगे हैं. इस विषय पर जहां विपक्ष इसे लोगों की जरूरत बता रहा है, तो वहीं सरकार का कहना है कि राशन का कार्डधारी क्या करते है ये देखना सरकार का काम नहीं है.

Distribution of ration
राशन का वितरण
author img

By

Published : Aug 2, 2020, 4:42 PM IST

Updated : Aug 3, 2020, 7:15 AM IST

रायपुर: सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत हितग्राहियों को राशन और दूसरी जरूरी चीजें मुहैया करा रही है. लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में कोई व्यक्ति भूखा न सोए, इसके लिए सरकार हितग्राहियों को निशुल्क और सस्ते दामों पर राशन और केरोसिन का वितरण कर रही है. राशन का वितरण अलग-अलग कार्डधारियों को अलग-अलग मात्रा में किया जा रहा है. इस बीच यह बात भी सामने आ रही है कि हितग्राही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों से निशुल्क, सस्ते दामों पर अनाज खरीदते हैं और फिर उसे खुले बाजार में कई गुना ज्यादा दाम पर बेच देते हैं. इस पर अंकुश लगाने में राज्य सरकार अब तक नाकाम साबित हुई है.

PDS का चावल बाजार में बेच रहे हितग्राही

प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत कुल 12 हजार 306 राशन दुकान संचालित हैं. प्रदेश में राशन कार्डधारियों की संख्या 65 लाख 39 हजार 184 है. सरकार की और से BPL यानि गरीबी रेखा के नीचे वाले राशन कार्डधारियों को निशुल्क और सस्ते दामों पर चावल सहित अन्य राशन सामग्री दी जा रही है. इन कार्डधारियों को 2 माह का चावल निशुल्क एकमुश्त दिया गया है. वहीं APL (सामान्य वर्ग के राशन कार्डधारियों) को भी सस्ते दामों पर चावल, शक्कर सहित अन्य राशन मुहैया कराया जा रहा है. APL कार्डधारियों को 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 1 महीने का चावल दिया गया है. शक्कर सभी को 17 रुपये प्रति किलो की दर से दिया जा रहा है.

APL card beneficiary
एपीएल कार्ड हितग्राही

आधा राशन बेच देते हैं हितग्राही

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों में चावल के अलावा कई अन्य अनाज और चीज भी राशन कार्डधारियों को निशुल्क और सस्ते दामों पर मुहैया कराई जाती हैं, इसमें चावल की मात्रा काफी ज्यादा होती है जिस वजह से राशन कार्डधारी परिवार के खाने भर का चावल रख कर बाकी चावल खुले बाजार में बेच देते हैं. इसी तरह एपीएल राशन कार्डधारियों को भी राशन दुकान से 10 रुपये प्रति किलो की दर से चावल दिया जाता है. यह चावल काफी मोटा होता है और यही वजह है कि सामान्य वर्ग के लोग इस चावल का उपयोग खाने में नहीं करते हैं और राशन दुकान से चावल लेने के बाद उसे बेच देते हैं.

16 से 18 रुपये प्रति किलो बिकता है चावल

निशुल्क और एक रुपए किलो मिलने वाले चावल को खुले बाजार के व्यापारी 16 से 18 रुपये प्रति किलो में खरीदते हैं. व्यापारी कम दाम में चावल खरीदकर उसे पॉलिश कर ज्यादा कीमत पर बाजार में बेचते हैं. इस बात की पुष्टि फरवरी माह में भिलाई के जेबरा सिरसा पुलिस की कार्रवाई से हुई थी,जहां पुलिस में करीब 255 क्विंटल चावल जब्त किया था, जो इस बात का प्रमाण था कि कई राशन कार्डधारी राशन दुकानों से कम कीमत पर चावल खरीद कर खुले बाजार में अधिक कीमत पर बेच रहे थे.

Ration card
राशन कार्ड
खाद्य नियंत्रक सीपी दीपांकर ने बताया था कि कालाबाजारी करने वाले छोटी-छोटी मात्रा में चावल की खरीदी करते हैं. करीब 1 महीने पहले भिलाई के एक राशन दुकान संचालक ने 1 घंटे के भीतर 70 हितग्राहियों को चावल वितरित किया था. विभाग की वेबसाइट के अवलोकन के दौरान खाद विभाग के अधिकारियों ने इसे पकड़ा था और उस राशन दुकान की जांच कर दुकान संचालक से चावल ले जाने वाले 70 में से किसी एक हितग्राही को मौके पर लाकर उपस्थित करने कहा था, लेकिन दुकान संचालक 70 में से किसी भी हितग्राही को मौके पर उपस्थित नहीं कर पाया था.

सिर्फ चावल से नहीं चलता परिवार

राशन दुकान संचालक ओर राशन कार्डधारी या फिर दोनों की मिलीभगत से काफी बड़ी मात्रा में PDS का चावल खुले बाजार में बेचा जा रहा है, इसके पीछे कुछ अलग ही तर्क बताया जा रहा है. इस मामले को लेकर न तो राशन दुकान संचालक और राशन कार्डधारी कैमरे के सामने न तो कुछ बोलने को तैयार हैं और न ही खुले बाजार के व्यापारी. हालांकि पहचान छिपाने की शर्त पर उन्होंने इसकी प्रमुख वजह जरूर बताई है . गरीबी रेखा राशन कार्ड धारियों का कहना है कि चावल भूख मिटाने के लिए काफी होता है, लेकिन परिवार सिर्फ चावल से ही नहीं चलता है, उसके लिए दूसरी चीजों की भी जरूरत होती है. ऐसे में राशन दुकान से मिलने वाले चावल में से खाने भर को चावल रखकर बाकी चावल को खुले बाजार में बेच दिया जाता है और उससे जो आमदनी होती है, उसका उपयोग वो परिवार की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं.

Woman taking ration
राशन लेती महिला

कार्ड निरस्त न हो इसलिए लेते है राशन

सामान्य राशन कार्डधारियों का कहना है कि उनकी जानकारी के अनुसार राशन कार्ड पर अनाज लेना जरूरी है, यदि वे राशन कार्ड पर अनाज नहीं लेते हैं, तो बाद में उस राशन कार्ड को सरकार की ओर से निरस्त कर दिया जाएगा, इसके बाद वे इस राशनकार्ड का उपयोग आगे नहीं कर सकते हैं. ऐसी परिस्थिति में राशन कार्ड को निरस्त होने से बचाने के लिए उन्हें राशन दुकान से 10 रुपये किलो में चावल लेना पड़ता है. ये चावल काफी मोटा होता है इस वजह से वह इसका उपयोग खाने में नहीं कर सकते हैं, इस वजह से इस चावल को वह खुले बाजार में बेच देते हैं.

विपक्ष साध रही सरकार पर निशाना

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि आज कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले कुछ महीनों से लॉकडाउन किया गया है. जिस वजह से गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर टूट गई है कई लोगों के पास रोजगार के साधन नहीं हैं, जिस वजह से उनके सामने आर्थिक संकट गहरा गया है. यही वजह है कि अब लोग राशन दुकानों से चावल उठाने के बाद उसे खुले बाजार में बेच रहे हैं. संजय श्रीवास्तव का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से लोगों के लिए राशन दुकानों के माध्यम से अनाज मुहैया कराया गया है, लेकिन सिर्फ अनाज ही परिवार की जरूरतें पूरी नहीं होती हैं. उसके अलावा भी कई ऐसी आवश्यकता होती है, जिसके लिए पैसा जरूरी है और इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछ राशन कार्डधारी आर्थिक तंगी के चलते अपने खाने भर का चावल रखकर अतिरिक्त चावल को खुले बाजार में बेच रहे हैं.

राज्य सरकार नहीं कर रही आर्थिक मदद

संजय श्रीवास्तव का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार राशन कार्डधारियों को अनाज मुहैया करा रही है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से लोगों को कोई भी आर्थिक मदद नहीं पहुंचाई जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि अनाज के साथ लोगों की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से उनके खाते में कुछ राशि डालनी चाहिए. जिस तरह केंद्र सरकार जन धन योजना के तहत लोगों के खाते में 500 रुपये भेज रही है.

राशन का उपयोग देखना सरकार का काम नहीं

इस विषय पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि राशन कार्डधारियों को राशन मुहैया कराना उनकी जवाबदारी है, लेकिन उस राशन का किस तरह उपयोग किया जा रहा है. वह देखना सरकार का काम नहीं है. खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि प्रदेश में लगभग 56 लाख राशन कार्डधारियों को उनके कार्ड के अनुसार निशुल्क और एक रुपए प्रति किलो की दर से चावल दिया जा रहा है. वहीं सामान्य राशन कार्डधारियों को 10 रुपये प्रति किलो की दर से चावल उपलब्ध कराया जा रहा है. सरकार इस बात का ध्यान रखती है कि जो जिस कैटेगरी का राशन कार्डधारी है उसे उसके अनुसार निर्धारित मात्रा में अनाज मिल सके, लेकिन उस अनाज को घर ले जाने के बाद हितग्राही उसका क्या करता है यह देखना हमारा काम नहीं है.

रायपुर: सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत हितग्राहियों को राशन और दूसरी जरूरी चीजें मुहैया करा रही है. लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में कोई व्यक्ति भूखा न सोए, इसके लिए सरकार हितग्राहियों को निशुल्क और सस्ते दामों पर राशन और केरोसिन का वितरण कर रही है. राशन का वितरण अलग-अलग कार्डधारियों को अलग-अलग मात्रा में किया जा रहा है. इस बीच यह बात भी सामने आ रही है कि हितग्राही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों से निशुल्क, सस्ते दामों पर अनाज खरीदते हैं और फिर उसे खुले बाजार में कई गुना ज्यादा दाम पर बेच देते हैं. इस पर अंकुश लगाने में राज्य सरकार अब तक नाकाम साबित हुई है.

PDS का चावल बाजार में बेच रहे हितग्राही

प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत कुल 12 हजार 306 राशन दुकान संचालित हैं. प्रदेश में राशन कार्डधारियों की संख्या 65 लाख 39 हजार 184 है. सरकार की और से BPL यानि गरीबी रेखा के नीचे वाले राशन कार्डधारियों को निशुल्क और सस्ते दामों पर चावल सहित अन्य राशन सामग्री दी जा रही है. इन कार्डधारियों को 2 माह का चावल निशुल्क एकमुश्त दिया गया है. वहीं APL (सामान्य वर्ग के राशन कार्डधारियों) को भी सस्ते दामों पर चावल, शक्कर सहित अन्य राशन मुहैया कराया जा रहा है. APL कार्डधारियों को 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 1 महीने का चावल दिया गया है. शक्कर सभी को 17 रुपये प्रति किलो की दर से दिया जा रहा है.

APL card beneficiary
एपीएल कार्ड हितग्राही

आधा राशन बेच देते हैं हितग्राही

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों में चावल के अलावा कई अन्य अनाज और चीज भी राशन कार्डधारियों को निशुल्क और सस्ते दामों पर मुहैया कराई जाती हैं, इसमें चावल की मात्रा काफी ज्यादा होती है जिस वजह से राशन कार्डधारी परिवार के खाने भर का चावल रख कर बाकी चावल खुले बाजार में बेच देते हैं. इसी तरह एपीएल राशन कार्डधारियों को भी राशन दुकान से 10 रुपये प्रति किलो की दर से चावल दिया जाता है. यह चावल काफी मोटा होता है और यही वजह है कि सामान्य वर्ग के लोग इस चावल का उपयोग खाने में नहीं करते हैं और राशन दुकान से चावल लेने के बाद उसे बेच देते हैं.

16 से 18 रुपये प्रति किलो बिकता है चावल

निशुल्क और एक रुपए किलो मिलने वाले चावल को खुले बाजार के व्यापारी 16 से 18 रुपये प्रति किलो में खरीदते हैं. व्यापारी कम दाम में चावल खरीदकर उसे पॉलिश कर ज्यादा कीमत पर बाजार में बेचते हैं. इस बात की पुष्टि फरवरी माह में भिलाई के जेबरा सिरसा पुलिस की कार्रवाई से हुई थी,जहां पुलिस में करीब 255 क्विंटल चावल जब्त किया था, जो इस बात का प्रमाण था कि कई राशन कार्डधारी राशन दुकानों से कम कीमत पर चावल खरीद कर खुले बाजार में अधिक कीमत पर बेच रहे थे.

Ration card
राशन कार्ड
खाद्य नियंत्रक सीपी दीपांकर ने बताया था कि कालाबाजारी करने वाले छोटी-छोटी मात्रा में चावल की खरीदी करते हैं. करीब 1 महीने पहले भिलाई के एक राशन दुकान संचालक ने 1 घंटे के भीतर 70 हितग्राहियों को चावल वितरित किया था. विभाग की वेबसाइट के अवलोकन के दौरान खाद विभाग के अधिकारियों ने इसे पकड़ा था और उस राशन दुकान की जांच कर दुकान संचालक से चावल ले जाने वाले 70 में से किसी एक हितग्राही को मौके पर लाकर उपस्थित करने कहा था, लेकिन दुकान संचालक 70 में से किसी भी हितग्राही को मौके पर उपस्थित नहीं कर पाया था.

सिर्फ चावल से नहीं चलता परिवार

राशन दुकान संचालक ओर राशन कार्डधारी या फिर दोनों की मिलीभगत से काफी बड़ी मात्रा में PDS का चावल खुले बाजार में बेचा जा रहा है, इसके पीछे कुछ अलग ही तर्क बताया जा रहा है. इस मामले को लेकर न तो राशन दुकान संचालक और राशन कार्डधारी कैमरे के सामने न तो कुछ बोलने को तैयार हैं और न ही खुले बाजार के व्यापारी. हालांकि पहचान छिपाने की शर्त पर उन्होंने इसकी प्रमुख वजह जरूर बताई है . गरीबी रेखा राशन कार्ड धारियों का कहना है कि चावल भूख मिटाने के लिए काफी होता है, लेकिन परिवार सिर्फ चावल से ही नहीं चलता है, उसके लिए दूसरी चीजों की भी जरूरत होती है. ऐसे में राशन दुकान से मिलने वाले चावल में से खाने भर को चावल रखकर बाकी चावल को खुले बाजार में बेच दिया जाता है और उससे जो आमदनी होती है, उसका उपयोग वो परिवार की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं.

Woman taking ration
राशन लेती महिला

कार्ड निरस्त न हो इसलिए लेते है राशन

सामान्य राशन कार्डधारियों का कहना है कि उनकी जानकारी के अनुसार राशन कार्ड पर अनाज लेना जरूरी है, यदि वे राशन कार्ड पर अनाज नहीं लेते हैं, तो बाद में उस राशन कार्ड को सरकार की ओर से निरस्त कर दिया जाएगा, इसके बाद वे इस राशनकार्ड का उपयोग आगे नहीं कर सकते हैं. ऐसी परिस्थिति में राशन कार्ड को निरस्त होने से बचाने के लिए उन्हें राशन दुकान से 10 रुपये किलो में चावल लेना पड़ता है. ये चावल काफी मोटा होता है इस वजह से वह इसका उपयोग खाने में नहीं कर सकते हैं, इस वजह से इस चावल को वह खुले बाजार में बेच देते हैं.

विपक्ष साध रही सरकार पर निशाना

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि आज कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले कुछ महीनों से लॉकडाउन किया गया है. जिस वजह से गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर टूट गई है कई लोगों के पास रोजगार के साधन नहीं हैं, जिस वजह से उनके सामने आर्थिक संकट गहरा गया है. यही वजह है कि अब लोग राशन दुकानों से चावल उठाने के बाद उसे खुले बाजार में बेच रहे हैं. संजय श्रीवास्तव का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से लोगों के लिए राशन दुकानों के माध्यम से अनाज मुहैया कराया गया है, लेकिन सिर्फ अनाज ही परिवार की जरूरतें पूरी नहीं होती हैं. उसके अलावा भी कई ऐसी आवश्यकता होती है, जिसके लिए पैसा जरूरी है और इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछ राशन कार्डधारी आर्थिक तंगी के चलते अपने खाने भर का चावल रखकर अतिरिक्त चावल को खुले बाजार में बेच रहे हैं.

राज्य सरकार नहीं कर रही आर्थिक मदद

संजय श्रीवास्तव का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार राशन कार्डधारियों को अनाज मुहैया करा रही है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से लोगों को कोई भी आर्थिक मदद नहीं पहुंचाई जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि अनाज के साथ लोगों की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से उनके खाते में कुछ राशि डालनी चाहिए. जिस तरह केंद्र सरकार जन धन योजना के तहत लोगों के खाते में 500 रुपये भेज रही है.

राशन का उपयोग देखना सरकार का काम नहीं

इस विषय पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि राशन कार्डधारियों को राशन मुहैया कराना उनकी जवाबदारी है, लेकिन उस राशन का किस तरह उपयोग किया जा रहा है. वह देखना सरकार का काम नहीं है. खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि प्रदेश में लगभग 56 लाख राशन कार्डधारियों को उनके कार्ड के अनुसार निशुल्क और एक रुपए प्रति किलो की दर से चावल दिया जा रहा है. वहीं सामान्य राशन कार्डधारियों को 10 रुपये प्रति किलो की दर से चावल उपलब्ध कराया जा रहा है. सरकार इस बात का ध्यान रखती है कि जो जिस कैटेगरी का राशन कार्डधारी है उसे उसके अनुसार निर्धारित मात्रा में अनाज मिल सके, लेकिन उस अनाज को घर ले जाने के बाद हितग्राही उसका क्या करता है यह देखना हमारा काम नहीं है.

Last Updated : Aug 3, 2020, 7:15 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.