रायपुर: हिंदू धर्म में हम मंदिरों अक्सर दीये जलते हुए देख सकते हैं. वहीं तीज और त्यौहारों में लोग अखंड ज्योति जलाते हैं. भक्त अपने आराध्य देव के प्रति सच्ची श्रद्धा और आस्था प्रकट करते हैं. वैसे तो शास्त्रों में बताए गए नियम के अनुसार पूरे दिन में 2 बार भगवान की आरती की जाती है, लेकिन विशेष अवसरों पर अखंड दीपक किसी मन्नत के रूप में या फिर मंदिर में उजाला रखने के लिए जलाया जाता है.
नवरात्रि में अखंड ज्योति का महत्व और प्रभाव : अखंड दीपक संकल्प लेने के बाद ही जलाया जाता है. कुछ लोग नवरात्रि, दिवाली और अन्य त्योहारों पर भी अखंड दीपक जलाते हैं. कई लोग मन्नत के रूप में निश्चित दिनों के लिए दीपक जलाते हैं. ऐसे में जितने समय और दिवस के लिए आपने संकल्प लिया है, उतने दिनों के लिए दीपक को बुझने नहीं देना चाहिए. यदि अखंड ज्योति बुझ जाती है, तो इसे शुभ नहीं माना जाता है.
अखंड ज्योति जलाने की विधि
- अखंड ज्योति हमेशा पीतल के दीये में जलानी चाहिए. क्योंकि पीतल को सबसे शुद्ध धातु माना गया है.लेकिन पीतल का दीया ना होने पर मिट्टी का दीपक जलाया जा सकता है.
- अखंड दीपक जलाने से पहले आपको एक संकल्प लेना होगा. जो भी आप संकल्प लेंगे उसमे ईश्वर को साक्षी मानकर अखंड दीप को प्रज्जवलित करेंगे. अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए आप ईश्वर से प्रार्थना करेंगे. साथ ही साथ जिस काम के लिए आप दीपक जला रहे हैं उसे मन में सोचे. इसके बाद कितने दिनों तक ये दीपक जलेगा इस बात को मन में कहकर दीप जलाएं.
- अखंड दिये को जमीन पर ना रखें. इसके लिए आप किसी साफ कपड़े या लकड़ी के पाटे का इस्तेमाल करें. दीपक को अपने मंदिर के दाई ओर की तरफ रखें. दीपक ना बुझे इसके लिए सुनिश्चित कर लें कि स्थान पर हवा तो नहीं आ रही.
- संकल्प लेने से पहले ही अपनी आस्था के मुताबिक ये तय कर लें कि दीपक घी का जलाना है या तेल का. तेल के दीपक के लिए तिल के तेल का ही इस्तेमाल करें. दीपक के लिए आप बाती का चुनाव भी ध्यान से करें. बेहतर होगा कि मौली से बनी बाती का ही इस्तेमाल करें.
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- अखंड दीपक बुझे नहीं इसके लिए बाती बढ़ाने से पूर्व आप एक दिया पहले से ही जला कर रख दें, जो आपके अखंड दीपक का प्रतिनिधित्व करेगा.