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एक मई से गढ़कलेवा में मिलेगा बोरे बासी, पारंपरिक खानपान को बढ़ावा देने की कोशिश

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Published : Apr 30, 2022, 1:57 PM IST

छत्तीसगढ़ में मजदूर दिवस के मौके पर बोरे बासी खाने का आह्वान सीएम भूपेश बघेल ने किया (sacks stale on labor day in chhattisgarh) है. जिसके लिए गढ़कलेवा में बोरे बासी मिलने का स्थान पक्का कर दिया गया है. जिसकी शुरुआत 1 मई से होगी.

sacks stale on labor day in chhattisgarh
एक मई से गढ़कलेवा में मिलेगा बोरे बासी,

रायपुर: छत्तीसगढ़ में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है.तभी से सरकार का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की परंपरा को आगे लाने का रहा है. फिर चाहे नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना हो या पारंपरिक त्योहारों को धूमधाम से मनाने का निर्णय. छत्तीसगढ़ सरकार ने हर दिशा में काम किया है. अब प्रदेश सरकार यहां के खानपान को भी बढ़ावा दे रही है. एक मई को मजदूर दिवस के मौके पर सरकार ने बोरे बासी खाने का आह्वान किया है ताकि मजदूरों के खाने का सम्मान हो. इस मौके पर रायपुर के गढ़कलेवा में बोरे बासी का स्वाद 1 मई से मिलने(Sack stale will be found in Gadkaleva from May First ) लगेगा.

ये भी पढ़ें- मेहनतकश छत्तीसगढ़िया के लिए कका का संदेश 'बासी खाके मनाबो मजदूर दिवस'

कैसे बनता है बोरे बासी : सामान्य तौर पर बोरे बासी मजदूर वर्ग का खाना माना जाता है. लेकिन इसके कई फायदे हैं. गर्मी में ये शरीर को ठंडा रखने का रामबाण उपाय है. इसे बनाने के लिए पके हुए चावल को पानी में भिगोकर रात भर छोड़ दिया जाता है.अगली सुबह भाजी, आम या नींबू का आचार, टमाटर की चटनी और बरी-बिजौरी के साथ इसका सेवन किया जाता है. इन सभी के साथ बोरे बासी खाने का जो स्वाद है उसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता है.

पौष्टिक होता है बोरे बासी : ऐसा माना जाता है कि रात भर पानी में रखे गए चावल में विटामिन 12 भरपूर मात्रा में (benefits of stale sacks)होता है. लगातार इस बासी को खाने से ब्लडप्रेशर और हाईपरटेंशन पर नियंत्रण होता है. वहीं आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम जैसे विटामिन्स की भी काफी ज्यादा मात्रा बोरे बासी में पाई जाती है. वहीं तेजी से पचने में भी ये खाना सहायक होता है. यदि कोई बीमार है तो बोरे बासी को खाने से उसके पेट में ज्यादा ठंडक मिलती है. जिससे पाचन सही तरीके से होता है.

छत्तीसगढ़ी खानपान का संरक्षण : प्रदेश के खान पान को लेकर प्रदेश सरकार ने गढ़कलेवा की शुरुआत की थी. धीरे-धीरे करके गढ़कलेवा में छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लुत्फ लोग उठाने लगे. अब गढ़कलेवा के मेनू में एक और छत्तीसगढ़ी व्यंजन बोरे बासी थाली शामिल होने जा रहा है. जिसकी शुरुआत 1 मई से होगी.

गांवों में पसंदीदा भोजन बोरे बासी: ग्रामीण इलाकों के हर घर में बोरे बासी लोगों की पहली पसंद है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई बोरे बासी का दीवाना है. लेकिन शहरों में इसका चलन कम है. फिर भी जिन लोग घर में बोरे बासी नहीं खा पा रहे हैं उनके लिए गढ़कलेवा में बोरे बासी आप सभी का इंतजार करेगा.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है.तभी से सरकार का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की परंपरा को आगे लाने का रहा है. फिर चाहे नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना हो या पारंपरिक त्योहारों को धूमधाम से मनाने का निर्णय. छत्तीसगढ़ सरकार ने हर दिशा में काम किया है. अब प्रदेश सरकार यहां के खानपान को भी बढ़ावा दे रही है. एक मई को मजदूर दिवस के मौके पर सरकार ने बोरे बासी खाने का आह्वान किया है ताकि मजदूरों के खाने का सम्मान हो. इस मौके पर रायपुर के गढ़कलेवा में बोरे बासी का स्वाद 1 मई से मिलने(Sack stale will be found in Gadkaleva from May First ) लगेगा.

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कैसे बनता है बोरे बासी : सामान्य तौर पर बोरे बासी मजदूर वर्ग का खाना माना जाता है. लेकिन इसके कई फायदे हैं. गर्मी में ये शरीर को ठंडा रखने का रामबाण उपाय है. इसे बनाने के लिए पके हुए चावल को पानी में भिगोकर रात भर छोड़ दिया जाता है.अगली सुबह भाजी, आम या नींबू का आचार, टमाटर की चटनी और बरी-बिजौरी के साथ इसका सेवन किया जाता है. इन सभी के साथ बोरे बासी खाने का जो स्वाद है उसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता है.

पौष्टिक होता है बोरे बासी : ऐसा माना जाता है कि रात भर पानी में रखे गए चावल में विटामिन 12 भरपूर मात्रा में (benefits of stale sacks)होता है. लगातार इस बासी को खाने से ब्लडप्रेशर और हाईपरटेंशन पर नियंत्रण होता है. वहीं आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम जैसे विटामिन्स की भी काफी ज्यादा मात्रा बोरे बासी में पाई जाती है. वहीं तेजी से पचने में भी ये खाना सहायक होता है. यदि कोई बीमार है तो बोरे बासी को खाने से उसके पेट में ज्यादा ठंडक मिलती है. जिससे पाचन सही तरीके से होता है.

छत्तीसगढ़ी खानपान का संरक्षण : प्रदेश के खान पान को लेकर प्रदेश सरकार ने गढ़कलेवा की शुरुआत की थी. धीरे-धीरे करके गढ़कलेवा में छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लुत्फ लोग उठाने लगे. अब गढ़कलेवा के मेनू में एक और छत्तीसगढ़ी व्यंजन बोरे बासी थाली शामिल होने जा रहा है. जिसकी शुरुआत 1 मई से होगी.

गांवों में पसंदीदा भोजन बोरे बासी: ग्रामीण इलाकों के हर घर में बोरे बासी लोगों की पहली पसंद है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई बोरे बासी का दीवाना है. लेकिन शहरों में इसका चलन कम है. फिर भी जिन लोग घर में बोरे बासी नहीं खा पा रहे हैं उनके लिए गढ़कलेवा में बोरे बासी आप सभी का इंतजार करेगा.

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