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छत्तीसगढ़ में कोयला खनन से 3 साल में 7217 करोड़ रुपये मिला राजस्व

Revenue increased from coal mines in Chhattisgarh: ED की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद छत्तीसगढ़ खनिज विभाग ने पिछले तीन साल में कोयला खनन से मिले राजस्व का आंकड़ा जारी किया है. इसमें बताया गया है कि ऑनलाइन व्यवस्था को ऑफलाइन करने के बाद कोल खनन से मिले राजस्व में वृद्धि हुई है. Chhattisgarh Mineral Department released data

Revenue increased from coal mines in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में कोयला खनन से राजस्व बढ़ा
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Published : Oct 15, 2022, 1:54 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में पिछले तीन साल कोयला खनन से प्राप्त राजस्व में उत्तरोत्तर वृद्धि दर्ज करते हुए 7217 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है. इनमें राज्य को कोयला खनन से मिले राजस्व वर्षवार 2019-20 में 2337 करोड़ रुपये, 2020-21 में 2356 करोड़ रुपये और 2021-22 में 2524 करोड़ रुपये है.

छत्तीसगढ़ खनिज भण्डारण नियम- 2009 में विशेष परिस्थिति में खनिज पट्टेधारियों और लाइसेंस रखने वालों को खनिज को कहीं भेजने से पहले जिला कार्यालय को खनिज की मात्रा, ग्रेड के बारे में जानकारी देनी होती है. कोयले को कहीं भेजने के लिए जारी होने वाले डिस्पैच ऑर्डर की जांच के संबंध में विभाग की ओर से प्रचलित व्यवस्था के संबंध में अवगत कराया गया है. इसके तहत प्रदेश में कोयला खदानों का संचालन और परिवहन प्रमुख रूप से भारत सरकार के उपक्रम SECL की ओर से किया जाता है. SECL की ओर से कई स्कीम और लिंकेज, ईऑक्शन आदि के माध्यम से पॉवर और नॉनपावर श्रेणी अनुसार कई उपभोक्ताओं को कोयला दिया जाता है.

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कोयले पर राज्य शासन को मिलने वाली रॉयल्टी SECL की स्कीम अनुसार दिए जा रहे कोयले के बेसिक सेल प्राइज का 14 प्रतिशत होता है. स्कीमवाइज पाॅवर और नॉनपावर श्रेणी और ग्रेडवाइस कोयले के बेसिक सेल प्राइज में बड़ा अंतर होता है. इसी व्यवस्था के तहत सरकार को कोयला भेजने से पहले इसकी रॉयल्टी और डीएमएफ उपकर, अधोसंरचना उपकर की पूर्व जानकारी विभाग को होना जरूरी है. खनिज ऑनलाइन पोर्टल के तहत ऑटो अप्रूवल आधारित ई-परमिट और ई-ट्रांजिट पास व्यवस्था में तकनीकी दिक्कत थी. इसकी वजह से कोयला खान संचालक किस स्कीम के तहत किस उपभोक्ता को कौन से ग्रेड और साइज का कोयला भेज रहे हैं उसकी जानकारी मैदानी अमले को नहीं मिल पाती थी.

इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए 15 जुलाई 2020 को निर्देश जारी किया गया. इसमें कोयला खान मालिकों को खान से कई संस्थानों, उपभोक्ताओं को कोयला भेजने के लिए ऑनलाइन पोर्टल से डिलीवरीॉ ऑर्डर के आधार पर ई-परमिट जारी करने के पहले निर्धारित प्रपत्र में संबंधित जिले के खनिज अधिकारी को आवेदन और अनुमति का प्रावधान किया गया. ताकि विभाग का मैदानी अमला इसकी पूरी जांच कर सके.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में पिछले तीन साल कोयला खनन से प्राप्त राजस्व में उत्तरोत्तर वृद्धि दर्ज करते हुए 7217 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है. इनमें राज्य को कोयला खनन से मिले राजस्व वर्षवार 2019-20 में 2337 करोड़ रुपये, 2020-21 में 2356 करोड़ रुपये और 2021-22 में 2524 करोड़ रुपये है.

छत्तीसगढ़ खनिज भण्डारण नियम- 2009 में विशेष परिस्थिति में खनिज पट्टेधारियों और लाइसेंस रखने वालों को खनिज को कहीं भेजने से पहले जिला कार्यालय को खनिज की मात्रा, ग्रेड के बारे में जानकारी देनी होती है. कोयले को कहीं भेजने के लिए जारी होने वाले डिस्पैच ऑर्डर की जांच के संबंध में विभाग की ओर से प्रचलित व्यवस्था के संबंध में अवगत कराया गया है. इसके तहत प्रदेश में कोयला खदानों का संचालन और परिवहन प्रमुख रूप से भारत सरकार के उपक्रम SECL की ओर से किया जाता है. SECL की ओर से कई स्कीम और लिंकेज, ईऑक्शन आदि के माध्यम से पॉवर और नॉनपावर श्रेणी अनुसार कई उपभोक्ताओं को कोयला दिया जाता है.

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कोयले पर राज्य शासन को मिलने वाली रॉयल्टी SECL की स्कीम अनुसार दिए जा रहे कोयले के बेसिक सेल प्राइज का 14 प्रतिशत होता है. स्कीमवाइज पाॅवर और नॉनपावर श्रेणी और ग्रेडवाइस कोयले के बेसिक सेल प्राइज में बड़ा अंतर होता है. इसी व्यवस्था के तहत सरकार को कोयला भेजने से पहले इसकी रॉयल्टी और डीएमएफ उपकर, अधोसंरचना उपकर की पूर्व जानकारी विभाग को होना जरूरी है. खनिज ऑनलाइन पोर्टल के तहत ऑटो अप्रूवल आधारित ई-परमिट और ई-ट्रांजिट पास व्यवस्था में तकनीकी दिक्कत थी. इसकी वजह से कोयला खान संचालक किस स्कीम के तहत किस उपभोक्ता को कौन से ग्रेड और साइज का कोयला भेज रहे हैं उसकी जानकारी मैदानी अमले को नहीं मिल पाती थी.

इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए 15 जुलाई 2020 को निर्देश जारी किया गया. इसमें कोयला खान मालिकों को खान से कई संस्थानों, उपभोक्ताओं को कोयला भेजने के लिए ऑनलाइन पोर्टल से डिलीवरीॉ ऑर्डर के आधार पर ई-परमिट जारी करने के पहले निर्धारित प्रपत्र में संबंधित जिले के खनिज अधिकारी को आवेदन और अनुमति का प्रावधान किया गया. ताकि विभाग का मैदानी अमला इसकी पूरी जांच कर सके.

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