रायपुर: माता दुर्गा शक्ति भक्ति और साहस प्रदान करने वाली मानी गई है. वह हर स्थिति में अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए जानी (Religious importance of Navratri) जाती है. ऐसी मान्यता है कि माता दुर्गा शारदीय नवरात्र में पृथ्वी पर आती हैं ताकि भक्तगण उनसे पूजा, आराधना, अनुष्ठान, तंत्र मंत्र, साधना, उपवास, दान और यात्रा के द्वारा आशीर्वाद प्राप्त कर सकें.
जगत जननी शैलपुत्री नवदुर्गा माता पृथ्वी ग्रह पर विचरण करती हैं: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "इस संपूर्ण नवरात्रि में जगत जननी शैलपुत्री नव दुर्गा माता पृथ्वी ग्रह पर विचरण करती हैं. निश्चित ही सभी भक्तों गणों के लिए यह भक्ति, श्रद्धा, आस्था और विश्वास का पर्व माना गया है. इन 9 दिनों में तपस्या, साधना, यज्ञ, हवन, मंत्र पाठ करने से समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं. जीवन से अमंगल समाप्त होकर सुख और कल्याण बढ़ता है (navratri 2022 muhurat time).
बेहद खास होती है अष्टमी की पूजा: पंडित विनीत शर्मा ने बताया, ''नवरात्रि काल में ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी ने अष्टमी के पावन पर्व पर आस्था और भक्ति से युक्त होकर जब माता का हवन किया, उस अग्निहोत्र से भक्तवत्सल नव दुर्गा माता प्रसन्न होकर दशरथ नंदन राम को रावण पर विजय का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. इसके बाद दशमी तिथि को राम के द्वारा रावण का विनाश होता है. अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है.''
इन 9 दिनों में कई तरह के संस्कारों को शुभ माना गया है: यह प्रेरणा करोड़ों वर्षों से मानव समाज और देवी के भक्तों को प्रेरित करती आई है. यह ऋतु परिवर्तन का भी समय है. इस समय ऋतु अपना स्वरूप बदलती है. खेत खलिहानों से नई फसल का आगमन होता है. इस खुशी में भी उल्लास, उमंग और उत्साह के साथ इस पर्व को मनाया जाता है. वर्षा की समाप्ति के बाद सामाजिक मिलन, एक दूसरे से प्रेम सहभागिता और विभिन्न समायोजनों का पावन सिलसिला यहां से प्रारंभ हो जाता है.
यह भी पढ़ें: शारदीय नवरात्रि 2022: जानिए मां को क्यों चढ़ाई जाती है केवल लाल रंग की चुनरी, इस नवरात्रि ऐसे करें माता को प्रसन्न
व्यापार में मिलता है माता का आशीर्वाद: व्यवसाय में माता का आशीर्वाद मिलता है नवरात्रि में शुरू किए गए कोई भी व्यापार व्यवसाय में माता का आशीर्वाद मिलता है. इन 9 दिनों में सभी तरह के संस्कार जैसे विद्यारंभ, गर्भाधान, पुंसवन, जनेऊ संस्कार, नामकरण संस्कार, शुभकरण संस्कार, विवाह संस्कार करना बहुत ही शुभ माना गया है. नवरात्रि के पावन पर्व में क्रय विक्रय करना, जमीन का क्रय विक्रय करना या इलेक्ट्रॉनिक सामानों का क्रय विक्रय करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
9 का अंक भूमि पुत्र मंगल का प्रतिनिधि है: नवरात्रि के पावन पर्व में उदारवादी लोग या सामाजिक संस्थाओं के लोग जगह जगह पर रामलीला, भंडारा का नियमित आयोजन करते हैं. इससे सामाजिक सहभागिता, मिलन सरिता और धन की प्रवृत्ति का विकास होता है. यह पर्व अनैतिकता पर नैतिकता का, असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व है. इसे संपूर्ण भारतवर्ष में उल्लास, उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है.
नवरात्रि को लेकर है महान पौराणिक परंपरा: असम, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश, अरुणाचल प्रदेश, बर्मा, भूटान और नेपाल सहित भारतवर्ष के संपूर्ण भूभाग पर उत्साह के साथ इस पर्व को मनाने की महान पौराणिक परंपरा है. यह पर्व जीवन को नई गति और ऊर्जा से परिपूर्ण करता है. 9 का अंक मंगलकारी माना गया है. 9 का अंक भूमि पुत्र मंगल का प्रतिनिधि है. नवरस, नवग्रह और अनेक रूपों में 9 का अंक विशिष्ट महत्व रखता है. यह संपूर्ण 9 दिन जीवन मंगल की कामनाओं से उत्साह, ऊर्जा और समृद्धि के साथ मनाए जाते हैं. चारों तरफ प्रकाश, आलोक और उत्साह का वातावरण देखने को मिलता है. भारतवर्ष में इस महान पर्व का महत्व बना हुआ है और आगे भी बना रहेगा.