रायपुर : विशाखा नक्षत्र, बालव और कौलव करण बसंत ऋतु उत्तरायण पक्ष में चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी (Rang Panchami on the fifth day of Krishna Paksha) का पर्व मनाया जाता है. यह उत्साह से गुलाल और औषधि में रंगों को लगाने का त्यौहार है. मान्यता है कि आज के दिन माता राधारानी को श्री कृष्ण जी ने रंग लगाया था . तब से द्वापर काल से ही रंगों का यह पवित्र पर्व मनाया जाता है. वास्तव में यह प्रेम स्नेह वात्सल्य प्रीति और मित्रता को बढ़ाने का पर्व है.
होली का यह त्योहार होलिका दहन से लेकर रंगपंचमी तक मनाया जाता है. संबंधों का नवीनीकरण मित्रों के साथ स्नेह संवर्धन प्रीति वर्धन का यह प्रमुख त्योहार भारतवर्ष में प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र क्षेत्रों में अनंत उत्साह के साथ मनाया जाता है. राधारानी को स्मरण करके सभी एक दूसरे को गुलाल (hug each other) लगाते हैं . आज के दिन राधाकृष्ण जी की मूर्ति पर भी पवित्र रंग गुलाल चंदन और परिमल लगाया जाता है. साथ ही इन्हीं तत्वों को एक-दूसरे को लगाकर प्रीति प्रेम का समर्थन किया जाता है. सही अर्थों में संपूर्ण प्रेम निस्वार्थ प्रेम मित्रता और अंतर्मन से प्रेम को बांटने का त्यौहार रंग पंचमी कहलाता है.
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आज के शुभ दिन से ही भारतीय क्षेत्र वर्ष का नूतन वर्ष प्रारंभ हो रहा है. शक् 1944 रंग पंचमी से ही प्रारंभ हो रहा है. रंग पंचमी नवीन शक् संवत के प्रारंभ होने की तिथि मानी जाती है. आज के शुभ दिन गुरु ग्रह का पूर्व दिशा में उदय हो रहा है यह सकारात्मक है. यह जीवन को विभिन्न रंगों से भरने का समय है. आज से लघु रूप में शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे. किंतु सूर्य का मीन राशि में होने की वजह से विवाह कार्य को छोड़कर सारे शुभ कार्य किए जा सकेंगे. आज के दिन साफ-सुथरे ढंग से और सम्मान के साथ पंचमी पर्व मनाया जाता है. आज के दिन कम मात्रा में हल्दी, चंदन, गुलाल एक दूसरे को लगाकर इस त्योहार का आनंद उठाया जाता है.
कृष्ण के और माता राधारानी के सारे भक्तगण इस त्योहार को अनुपम ऊर्जा के साथ मनाते आए हैं. राधा रानी और भगवान कृष्ण का प्रेम पूर्णता, निस्वार्थ और त्याग का प्रतीक है. वास्तव में प्रेम बलिदान देना ही है. आज के दिन राधाकृष्णजी की मूर्ति की साफ सफाई की जाती है. उन्हें चार बार जल से शुद्ध करने के बाद फल नैवेद्य मिष्ठान भोग लगाकर राधाकृष्ण जी को अष्ट चंदन गोपी चंदन मलयाचल चंदन और सभी गुणों से युक्त परिमल औषधि गुणों से युक्त रंग लगाया जाता है. शाम को सूर्यास्त के पूर्व इन रंगों को हटा लिया जाता है. यह त्योहार केमिकल रहित पदार्थों से मनाने का त्योहार है. मंगलवार 22 मार्च को को प्रातः 6:24 से रंग पंचमी प्रारंभ हो जाएगी और दूसरे दिन बुधवार सुबह 4:21 तक श्री पंचमी पूर्णरूपेण विद्यमान रहेगी.