रायपुर : मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) के मामले में फंसे शराब कारोबारी सुभाष शर्मा (Subhash sharma) को आज ईडी ने रायपुर कोर्ट (Raipur Court) में पेश किया. 10 दिन की रिमांड पूरी होने के बाद ईडी ने कोर्ट से फिर से रिमांड मांगी है. जिस पर एडीजे अजय कुमार सिंह की कोर्ट ने ईडी को 3 दिन की रिमांड पर सौंपने का आदेश जारी किया. कोर्ट के आदेश के मुताबिक ईडी को 19 मार्च की दोपहर 2 बजे तक पेश करने के आदेश दिए हैं. आपको बता दें कि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट ( Raipur money laundering case )के तहत शराब कारोबारी सुभाष शर्मा को गिरफ्तार किया था. इसके लिए ईडी की विशेष टीम ने सुभाष शर्मा के घर पर दबिश देकर कई जरुरी दस्तावेजों को जब्त किया.बताया जा रहा है कि उक्त दस्तावेजों के आधार पर ही ईडी ने सुभाष कुमार की रिमांड मांगी थी. जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया.
सुभाष शर्मा की बिजनेस पार्टनर जयंती साहू
सूत्रों की माने तो सुभाष शर्मा के तार दुर्ग कि पूर्व जिला पंचायत सदस्य जयंती साहू (zila panchayat member jayanti sahu) से जुड़े हुए थे. कहा जा रहा है कि जयंती साहू सुभाष शर्मा की बिजनेस पार्टनर है. इसी के आधार पर हाल ही में ईडी ने पूर्व जिला पंचायत सदस्य जयंती साहू और उसके भाई के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस कार्रवाई में ईडी को कई अहम दस्तावेज मिलने की जानकारी आ रही है. आपको बता दें कि ईडी सोमवार की सुबह 7 बजे जयंती साहू के गांव गातपार में दबिश दी थी.जानकारी के मुताबिक सुभाष शर्मा के खिलाफ ईडी और सीबीआई ने एक साथ दिसंबर 2018 में छापेमारी की कार्रवाई की थी. छापे के दौरान टीम को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे उसके बाद से ही लगातार सुभाष शर्मा के दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही थी. एडी के अनुसार सुभाष शर्मा ने फर्जी तरीके से 54 करोड़ का ऋण (54 coror loan) लिया था.जांच में सामने आया है कि शर्मा ने 29.65 करोड की लोन राशि अपनी कंपनियों के जरिए मशीनों समेत अन्य चीजों के लिए निवेश किया था.
ये भी पढ़ें- रायपुर : राइस मिल मैनेजर ने महिला एम्प्लॉई से किया रेप, मामला दबाने ऑनर ने बंधवा दी रखी फिर भी नहीं बदली नीयत
लोन लेकर दूसरे व्यवसाय में किया निवेश
ईडी की जांच में पाया गया है कि दिसंबर 2009 से लेकर दिसंबर 2014 तक सुभाष शर्मा ने बैंकों से लोन लिया (Subhash Sharma took loan from banks) था. लोन के इस पैसे को दूसरे व्यवसाय में निवेश किया. साथ ही लोन की राशि से फर्जी कंपनियों के नाम से अचल संपत्ति भी खरीदी. सुभाष शर्मा की कई संपत्तियों की कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं थी. उन्हें केवल लोन की राशि ट्रांसफर करने के लिए बनाया गया था.