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Doctors Day Special: एक बार भी कोरोना संक्रमित नहीं हुए डॉक्टर से जानिए कैसे कोरोना से रहें दूर

रायपुर के मेकाहारा में कोरोना लहर के दौरान डॉक्टरों की टीम ने कड़ी मेहनत करके मरीजों का इलाज (Serving patients in critical condition amid Corona wave) किया. इस दौरान एक डॉक्टर ऐसे भी थे जो बिना संक्रमित हुए सावधानी से हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को स्वस्थ करने में जुटे थे.

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कोरोना लहर के बीच गंभीर स्थिति में की मरीजों की सेवा
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Published : Jun 29, 2022, 7:49 PM IST

Updated : Jun 29, 2022, 9:46 PM IST

रायपुर : 1 जुलाई को देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ विधानचंद्र रॉय का जन्मदिन और पुण्यतिथि होता है. 1 जुलाई को उन्हीं की याद में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. भारत सरकार ने सबसे पहले नेशनल डॉक्टर्स डे (national doctors day)साल 1991 में मनाया था. डॉक्टर समाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. चिकित्सक समुदाय के कोरोना महामारी से लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाई है. ईटीवी भारत डॉक्टर्स डे के मौके पर अपने दर्शकों को ऐसे डॉक्टर के बारे में बताने जा रहा है जिन्होंने 2 साल कोविड के दौरान प्रदेश के सबसे बड़े हॉस्पिटल मेकाहारा के कोरोना आईसीयू वार्ड को हैंडल किया है. मेकाहारा हॉस्पिटल के कोरोना आईसीयू वार्ड के हेड डॉ ओ.पी सुंदरानी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.

डॉ ओ.पी सुंदरानी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की

सवाल- पिछला 2 साल कितना रहा चैलेंजिंग ?
जवाब : कोरोना आईसीयू वार्ड के हेड डॉ ओ.पी सुंदरानी (Mekahara doctor OP Sundrani) ने बताया " पिछला 2 साल काफी मुश्किलों भरा रहा है. सब के ज्वाइंट एफर्ट , मोटिवेशन और मेहनत से हमने यह समय निकाला और हम यह कह सकते हैं कि काफी अच्छे से सारी चीजें मैनेज हुई है. जितना हम कर सकते थे उससे बेहतर करने की ही कोशिश हमने की है. सभी के लिए पिछला 2 साल काफी चैलेंजिंग रहा है. एक तो आप अपने परिवार से दूर रह रहे थे और दूसरे को सबसे बड़ा रिस्क था कि अगर आप घर जाते हैं , तो कहीं आपकी वजह से आपका परिवार ना संक्रमित हो जाए. यह डर ज्यादा था ड्यूटी का डर ज्यादा नहीं था क्योंकि ड्यूटी तो हमारे जिंदगी का एक हिस्सा है. पिछले 2 सालों में सबसे बड़ा डर यही था कि कहीं आपके वजह से आपका परिवार संक्रमित ना हो जाए.


सवाल- कोरोना के दौरान पूरे डॉक्टरो ने एक परिवार की तरह किया काम
जवाब : कोरोना आईसीयू वार्ड के हेड डॉ ओ.पी सुंदरानी ने बताया " दूसरा सबसे बड़ा चैलेंज ये था कि हमें कोरोना के बारे में जानकारी कम थी. लोगों में डर बहुत ज्यादा था. यह डर तब बढ़ जाता था जब हम में से कोई पॉजिटिव हो जाता था. अगर हम में से कोई डॉक्टर ज्यादा संक्रमित हो गया और उसे ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगे तो यह डर और ज्यादा बढ़ जाता था. उन लोगों में जो उनके साथ ड्यूटी कर रहे हैं. हमारे जूनियर डॉक्टर्स जो बाहर से आए हैं और हॉस्टल में रहते हैं वह अगर संक्रमित हो जाते थे तो हमारे लिए वह एक डबल रिस्पांसिबिलिटी (Dr OP Sundrani of Raipur played a big responsibility) हो जाती थी.''


सवाल- कोरोना की लहर के दौरान आपने हॉस्पिटल और परिवार को एकसाथ किस तरह संभाला?
जवाब : कोरोना आईसीयू वार्ड के हेड डॉ ओ.पी सुंदरानी ने बताया " पिछला 2 साल देश विदेश के सभी डॉक्टरों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा है. हमारी खुशकिस्मती यह रही कि पिछले 2 सालों में यानी कोरोना के पहली , दूसरी और तीसरी लहर के दौरान मैं और मेरी फैमिली एक बार भी संक्रमित नहीं हुई.मेरे फैमिली में मैं , मेरी वाइफ और हमारी एक बेटी है. हमारा डुप्लेस घर है , कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान में जब मुझे मेकाहारा के कोरोना आईसीयू वार्ड बनाया गया इसके बाद में अपने घर के ऊपर वाले रूम में अकेले रहता था. मेरी वाइफ और मेरी बच्ची नीचे वाले घर में रहते थे. लगभग एक साल कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान मैं ऊपर वाले रूम में अकेले रहा. शुरू के 6 महीने तो मैं जब घर से हॉस्पिटल जाता था तो सिर्फ सुबह का नाश्ता किया रहता था जिसके बाद दोपहर का खाना में और मेरी टीम जो मरीजों के लिए खाना आता था वहीं खाना हम खाते थे. 6 महीने बाद हॉस्पिटल के पास वाली कैंटीन शुरू हुई तो हमने दोपहर का खाना वहां से खाना शुरू किया. हमारी खुशकिस्मती रही की कोरोना के तीनों लहर के दौरान में और हमारी फैमिली से कोई भी संक्रमित नहीं हुआ. "


सवाल- कोरोना लहर के दौरान जब प्रदेश के सबसे गंभीर मरीज हॉस्पिटल में आते थे तब आपने किस तरह मरीजों को मैनेज किया ?
जवाब :डॉ ओ.पी सुंदरानी ने बताया " कोरोना के समय जो पेशेंट्स आए और कुछ जो ज्यादा गंभीर मरीज हमें देखने को मिले वह बियोंड इमेजिनेशन था. वह एक ऐसी चीज थी जिसके लिए कभी भी कोई पहले से प्रीपेयर नहीं हो सकता.शायद ही कभी ऐसा हमने सोचा था कि किसी को हम बेड ना दे पाए. हमने नॉर्मल बोर्ड को भी आईसीयू वार्ड में कन्वर्ट किया. हमने ट्रॉली में भी ऑक्सीजन लगाकर पेशेंट को मैनेज किया. सबसे अच्छी बात यह रही कि हमें दोनों ही लेवल में सपोर्ट काफी अच्छा मिला.गवर्नमेंट और सीनियर की तरफ से हमें बहुत ज्यादा सपोर्ट मिला. साथ काम करने वाले सीनियर और जूनियर ने बिना समय देखे बिना दिन और रात देखें काम किया है. "


सवाल- कोरोना के दौरान कई डॉक्टर हुए होंगे पॉजिटिव , फिर मरीजों को संभालने में कितनी हुई मुश्किल है?

जवाब :डॉ ओ.पी सुंदरानी ने बताया " मुझे एक भी ऐसा डॉक्टर याद नहीं जिसने ऐसा कहा कि मेरी 12 घंटे की ड्यूटी हो गई और मैं इससे ज्यादा काम नहीं कर सकता. मुझे लगता है कि कभी ऐसा कहीं पॉसिबल ही नहीं है. डॉक्टर ड्यूटी किए जा रहे हैं पॉजिटिव हो रहे हैं. मैं उन लोगों को अप्रिशिएट करता हूं जो पॉजिटिव होने के बाद हॉस्पिटल में एडमिट थे बहुत सीरियस नहीं थे लेकिन वह एडमिट होने के बावजूद अपने से ज्यादा गंभीर मरीजों का ध्यान रखते थे और उनको संभालते थे. ऐसे बहुत से डॉक्टर थे जो यह कहते थे कि हम ऑपरेशन नहीं कर सकते लेकिन बाकी जितनी हेल्प होगी हम कर सकते हैं. रात को 12-1 बजे तक हमारे सीनियर और जूनियर डॉक्टरों ने साथ मिलकर काम किया है.''




सवाल- कोरोना लहर के दौरान डॉक्टरों को लेकर काफी नेगेटिव बातें भी सुनने में आ रही थी उसको ओवरकम कर किस तरह आपने काम किया?
जवाब :कोरोना आईसीयू वार्ड के हेड डॉ ओ.पी सुंदरानी ने बताया " बुरा लगता है , कि जब आप 24 घंटे काम कर रहे हो बिना कुछ सोचे. अपने आपको अपने फैमिली को रिस्क में डालकर काम करते हैं और ऐसे समय में अगर कोई क्रिटिसाइज करें या नेगेटिव बोले तो बुरा लगता है. कोरोना के दौरान समय की डिमांड ऐसी थी कि हम ऐसी बातों को सुनते थे हमें बुरा लगता था. लेकिन हम इन चीजों को ज्यादा देर तक पकड़कर नहीं बैठ सकते. हर इंसान एक जैसा नहीं होता अच्छे काम से नाखुश और बुराई करने वाले लोग 2% लोग तो हमेशा रहेंगे. वह आज भी मिलेंगे और कल भी मिलेंगे. लेकिन हमे उन 98% लोगों को लेकर काम करना है जो यह मानते हैं कि हम अच्छा कर रहे हैं. अगर 10 घंटे की ड्यूटी के बाद आप 4 लोगों को बचाकर भेज रहे हैं और वह खुशी-खुशी घर जाते हैं तो हमें खुशी मिलती है. यह खुशी कुछ लोगों के क्रिटिसिज्म से बहुत ज्यादा अच्छी है.हमारी पूरी कोशिश रही है कि जो व्यक्ति पहले आए या जो ज्यादा गंभीर मरीज है उससे पहले बेड दिया जाए.''

रायपुर : 1 जुलाई को देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ विधानचंद्र रॉय का जन्मदिन और पुण्यतिथि होता है. 1 जुलाई को उन्हीं की याद में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. भारत सरकार ने सबसे पहले नेशनल डॉक्टर्स डे (national doctors day)साल 1991 में मनाया था. डॉक्टर समाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. चिकित्सक समुदाय के कोरोना महामारी से लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाई है. ईटीवी भारत डॉक्टर्स डे के मौके पर अपने दर्शकों को ऐसे डॉक्टर के बारे में बताने जा रहा है जिन्होंने 2 साल कोविड के दौरान प्रदेश के सबसे बड़े हॉस्पिटल मेकाहारा के कोरोना आईसीयू वार्ड को हैंडल किया है. मेकाहारा हॉस्पिटल के कोरोना आईसीयू वार्ड के हेड डॉ ओ.पी सुंदरानी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.

डॉ ओ.पी सुंदरानी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की

सवाल- पिछला 2 साल कितना रहा चैलेंजिंग ?
जवाब : कोरोना आईसीयू वार्ड के हेड डॉ ओ.पी सुंदरानी (Mekahara doctor OP Sundrani) ने बताया " पिछला 2 साल काफी मुश्किलों भरा रहा है. सब के ज्वाइंट एफर्ट , मोटिवेशन और मेहनत से हमने यह समय निकाला और हम यह कह सकते हैं कि काफी अच्छे से सारी चीजें मैनेज हुई है. जितना हम कर सकते थे उससे बेहतर करने की ही कोशिश हमने की है. सभी के लिए पिछला 2 साल काफी चैलेंजिंग रहा है. एक तो आप अपने परिवार से दूर रह रहे थे और दूसरे को सबसे बड़ा रिस्क था कि अगर आप घर जाते हैं , तो कहीं आपकी वजह से आपका परिवार ना संक्रमित हो जाए. यह डर ज्यादा था ड्यूटी का डर ज्यादा नहीं था क्योंकि ड्यूटी तो हमारे जिंदगी का एक हिस्सा है. पिछले 2 सालों में सबसे बड़ा डर यही था कि कहीं आपके वजह से आपका परिवार संक्रमित ना हो जाए.


सवाल- कोरोना के दौरान पूरे डॉक्टरो ने एक परिवार की तरह किया काम
जवाब : कोरोना आईसीयू वार्ड के हेड डॉ ओ.पी सुंदरानी ने बताया " दूसरा सबसे बड़ा चैलेंज ये था कि हमें कोरोना के बारे में जानकारी कम थी. लोगों में डर बहुत ज्यादा था. यह डर तब बढ़ जाता था जब हम में से कोई पॉजिटिव हो जाता था. अगर हम में से कोई डॉक्टर ज्यादा संक्रमित हो गया और उसे ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगे तो यह डर और ज्यादा बढ़ जाता था. उन लोगों में जो उनके साथ ड्यूटी कर रहे हैं. हमारे जूनियर डॉक्टर्स जो बाहर से आए हैं और हॉस्टल में रहते हैं वह अगर संक्रमित हो जाते थे तो हमारे लिए वह एक डबल रिस्पांसिबिलिटी (Dr OP Sundrani of Raipur played a big responsibility) हो जाती थी.''


सवाल- कोरोना की लहर के दौरान आपने हॉस्पिटल और परिवार को एकसाथ किस तरह संभाला?
जवाब : कोरोना आईसीयू वार्ड के हेड डॉ ओ.पी सुंदरानी ने बताया " पिछला 2 साल देश विदेश के सभी डॉक्टरों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा है. हमारी खुशकिस्मती यह रही कि पिछले 2 सालों में यानी कोरोना के पहली , दूसरी और तीसरी लहर के दौरान मैं और मेरी फैमिली एक बार भी संक्रमित नहीं हुई.मेरे फैमिली में मैं , मेरी वाइफ और हमारी एक बेटी है. हमारा डुप्लेस घर है , कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान में जब मुझे मेकाहारा के कोरोना आईसीयू वार्ड बनाया गया इसके बाद में अपने घर के ऊपर वाले रूम में अकेले रहता था. मेरी वाइफ और मेरी बच्ची नीचे वाले घर में रहते थे. लगभग एक साल कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान मैं ऊपर वाले रूम में अकेले रहा. शुरू के 6 महीने तो मैं जब घर से हॉस्पिटल जाता था तो सिर्फ सुबह का नाश्ता किया रहता था जिसके बाद दोपहर का खाना में और मेरी टीम जो मरीजों के लिए खाना आता था वहीं खाना हम खाते थे. 6 महीने बाद हॉस्पिटल के पास वाली कैंटीन शुरू हुई तो हमने दोपहर का खाना वहां से खाना शुरू किया. हमारी खुशकिस्मती रही की कोरोना के तीनों लहर के दौरान में और हमारी फैमिली से कोई भी संक्रमित नहीं हुआ. "


सवाल- कोरोना लहर के दौरान जब प्रदेश के सबसे गंभीर मरीज हॉस्पिटल में आते थे तब आपने किस तरह मरीजों को मैनेज किया ?
जवाब :डॉ ओ.पी सुंदरानी ने बताया " कोरोना के समय जो पेशेंट्स आए और कुछ जो ज्यादा गंभीर मरीज हमें देखने को मिले वह बियोंड इमेजिनेशन था. वह एक ऐसी चीज थी जिसके लिए कभी भी कोई पहले से प्रीपेयर नहीं हो सकता.शायद ही कभी ऐसा हमने सोचा था कि किसी को हम बेड ना दे पाए. हमने नॉर्मल बोर्ड को भी आईसीयू वार्ड में कन्वर्ट किया. हमने ट्रॉली में भी ऑक्सीजन लगाकर पेशेंट को मैनेज किया. सबसे अच्छी बात यह रही कि हमें दोनों ही लेवल में सपोर्ट काफी अच्छा मिला.गवर्नमेंट और सीनियर की तरफ से हमें बहुत ज्यादा सपोर्ट मिला. साथ काम करने वाले सीनियर और जूनियर ने बिना समय देखे बिना दिन और रात देखें काम किया है. "


सवाल- कोरोना के दौरान कई डॉक्टर हुए होंगे पॉजिटिव , फिर मरीजों को संभालने में कितनी हुई मुश्किल है?

जवाब :डॉ ओ.पी सुंदरानी ने बताया " मुझे एक भी ऐसा डॉक्टर याद नहीं जिसने ऐसा कहा कि मेरी 12 घंटे की ड्यूटी हो गई और मैं इससे ज्यादा काम नहीं कर सकता. मुझे लगता है कि कभी ऐसा कहीं पॉसिबल ही नहीं है. डॉक्टर ड्यूटी किए जा रहे हैं पॉजिटिव हो रहे हैं. मैं उन लोगों को अप्रिशिएट करता हूं जो पॉजिटिव होने के बाद हॉस्पिटल में एडमिट थे बहुत सीरियस नहीं थे लेकिन वह एडमिट होने के बावजूद अपने से ज्यादा गंभीर मरीजों का ध्यान रखते थे और उनको संभालते थे. ऐसे बहुत से डॉक्टर थे जो यह कहते थे कि हम ऑपरेशन नहीं कर सकते लेकिन बाकी जितनी हेल्प होगी हम कर सकते हैं. रात को 12-1 बजे तक हमारे सीनियर और जूनियर डॉक्टरों ने साथ मिलकर काम किया है.''




सवाल- कोरोना लहर के दौरान डॉक्टरों को लेकर काफी नेगेटिव बातें भी सुनने में आ रही थी उसको ओवरकम कर किस तरह आपने काम किया?
जवाब :कोरोना आईसीयू वार्ड के हेड डॉ ओ.पी सुंदरानी ने बताया " बुरा लगता है , कि जब आप 24 घंटे काम कर रहे हो बिना कुछ सोचे. अपने आपको अपने फैमिली को रिस्क में डालकर काम करते हैं और ऐसे समय में अगर कोई क्रिटिसाइज करें या नेगेटिव बोले तो बुरा लगता है. कोरोना के दौरान समय की डिमांड ऐसी थी कि हम ऐसी बातों को सुनते थे हमें बुरा लगता था. लेकिन हम इन चीजों को ज्यादा देर तक पकड़कर नहीं बैठ सकते. हर इंसान एक जैसा नहीं होता अच्छे काम से नाखुश और बुराई करने वाले लोग 2% लोग तो हमेशा रहेंगे. वह आज भी मिलेंगे और कल भी मिलेंगे. लेकिन हमे उन 98% लोगों को लेकर काम करना है जो यह मानते हैं कि हम अच्छा कर रहे हैं. अगर 10 घंटे की ड्यूटी के बाद आप 4 लोगों को बचाकर भेज रहे हैं और वह खुशी-खुशी घर जाते हैं तो हमें खुशी मिलती है. यह खुशी कुछ लोगों के क्रिटिसिज्म से बहुत ज्यादा अच्छी है.हमारी पूरी कोशिश रही है कि जो व्यक्ति पहले आए या जो ज्यादा गंभीर मरीज है उससे पहले बेड दिया जाए.''

Last Updated : Jun 29, 2022, 9:46 PM IST
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