रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के केंद्रीय जेल (Raipur Central Jail) ने अनोखी पहल की है. जेल के सजायाफ्ता कैदियों के लिए संस्कृत डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत की जा रही है. इसके लिए संस्कृत बोर्ड ने बाकायदा स्वीकृति भी दे दी है. अब यहां के कैदी भी हवन-पूजन, कर्मकांड और पुरोहित का काम करेंगे. इस सत्र से यह कोर्स शुरू हो जाएगा. प्रवेश देने पर इन बंदियों को तमाम तरह की पूजा-पाठ, अनुष्ठान और कर्मकांड का प्रशिक्षण दिया जाएगा. नियमानुसार परीक्षा भी ली (prisoner become pandit of Raipur Central Jail) जाएगी.
कैसा है कोर्स : राजधानी रायपुर के केंद्रीय जेल में पहली बार संस्कृत डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जा रहा है. अब तक यहां नर्सरी से लेकर व्यावसायिक और पीजी तक का कोर्स कराया जाता रहा है. संस्कृत बोर्ड से स्वीकृति मिलने के बाद नए कोर्स की शुरुआत की जा रही है. कोर्स पूरा करने पर कैदियों को प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. इसके बाद वे संस्थानों, मंदिरों या शादी समारोह में पुरोहित का काम कर सकेंगे. जेल प्रशासन को संस्कृत बोर्ड से अनुमति मिलने के बाद इसकी तैयारियों में अधिकारी जुट गए हैं. इसी सत्र से संस्कृत डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत होनी है.
किसने की थी पहल : जेल डीआईजी केके गुप्ता (Jail DIG KK Gupta ) ने संस्कृत बोर्ड को पत्र लिखकर अनुरोध किया था. जिसकी स्वीकृति बोर्ड ने दे दी है. इस सत्र में शुरू होने वाले कोर्स में 10 वीं और 12 वीं पास करीब 91 कैदियों को प्रवेश दिया जाएगा. इसके लिए उत्सुक कैदियों की सूची बनाई गई है. खास बात यह है कि इस कोर्स में किसी भी जाति और धर्म का कैदी प्रवेश ले सकता है. उन्हें जेल नियमावली के अनुसार कॉपी, पुस्तक, शुल्क समेत अध्ययन सामग्री जेल प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी. वर्तमान में रायपुर केंद्रीय जेल में 1900 सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदी हैं. इसमें से करीब 900 कैदी रोजगारमूलक कार्य और जेल प्रशासन की ओर से लगाए गए उद्योग में काम कर रहे हैं.
जेल में कितने कैदी कर रहे पढ़ाई : रायपुर केंद्रीय जेल शिक्षा प्रभारी नेतराम नागतोड़े (Central Jail Education Incharge Netram Nagtode) ने बताया कि "रायपुर जेल शिक्षा को लेकर बहुत ज्यादा प्रयासरत है. हमारे यहां साक्षरता की कक्षाएं लगती है. जो निरक्षर बंदी आते हैं, उनको चिन्हित करके शिक्षित किया जाता है. उसके बाद यदि कोई बंदी प्राथमिक से लेकर पीजी तक की पढ़ाई करना चाहता है तो उसकी भी कक्षाएं लगती हैं. पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल या संस्कृत बोर्ड के पाठ्यक्रम यहां संचालित किए जाते हैं. 693 बंदी 2021-22 के सत्र में पढ़ाई कर रहे हैं."
कैदियों को कैसे होगा फायदा : रायपुर जेल के जेलर उत्तम पटेल (Jailor of Raipur Jail Uttam Patel) ने बताया कि "संस्कृत कोर्स के लिए काफी लंबे समय से प्रयास किया जा रहा था. इस सत्र से डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत हो रही है. संस्कृत बोर्ड ने इसकी स्वीकृति दे दी है. संस्कृत की शिक्षा के लिए हमारे पास दो शिक्षक हैं. इसके अलावा अतिथि शिक्षक भी आते हैं. उन्होंने 10 बंदियों को प्रशिक्षित भी किया है, जो करीब 101 बंदियों को संस्कृत पढ़ाते भी हैं और ट्रेनिग दे रहे हैं."