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जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के बाद क्रेडिट लेने की राजनीति शुरू

inclusion of castes in ST: जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के बाद छत्तीसगढ़ में इसका श्रेय लेने पर राजनीति शुरू हो गई है. भाजपा और कांग्रेस दोनों अपनी पीठ थपथपा रही है. भाजपा प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप और बीजेपी के आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने प्रेस वार्ता कर सीएम भूपेश बघेल से कई सवाल पूछ लिए. PC of tribal BJP leaders in Raipur

inclusion of castes in ST
रायपुर में आदिवासी भाजपा नेताओं की पीसी
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Published : Sep 15, 2022, 5:21 PM IST

Updated : Sep 15, 2022, 6:21 PM IST

रायपुर: मोदी सरकार कैबिनेट में लिए गए 5 राज्यों की जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को लेकर प्रदेश में अब राजनीति शुरू हो गई है. राजधानी रायपुर के भाजपा जिला कार्यालय परिसर में प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप और भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने प्रेसवार्ता आयोजित की. प्रेस वार्ता के दौरान प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल पूछते हुए कहा " मुख्यमंत्री बताएं चिट्ठी लिखने के अलावा उन्होंने और क्या क्या किया? क्या कभी प्रधानमंत्री से मिलकर इस जनजातियों को उनका अधिकार देने का आग्रह किया." PC of tribal BJP leaders in Raipur

रायपुर में आदिवासी भाजपा नेताओं की पीसी

भूपेश बघेल को वाहवाही लूटने की बीमारी: प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप (State General Secretary Kedar Kashyap ) ने कहा " मुख्यमंत्री भूपेश बघेल झूठी वाहवाही लूटने की बीमारी से पीड़ित हैं. केंद्र सरकार के हर अच्छे निर्णय के लिए अपनी पीठ थपथपा लेते हैं. अब केंद्र सरकार ने भाजपा की पहल पर छत्तीसगढ़ के एक दर्जन जाति समुदाय को उनका वह अधिकार दिया है, जो कांग्रेस मिलने नहीं दे रही थी, तब भी भूपेश बघेल इसका जबरिया श्रेय लेने की प्रवृत्ति दिखाने से नहीं चूक रहे हैं. मुख्यमंत्री कहते हैं कि उन्होंने चिट्ठी लिखी थी. कमाल की बात है कि उनकी एक चिट्ठी पर छत्तीसगढ़ के वंचित जनजाति समूहों को प्रधानमंत्री ने वाजिब हक दे दिया. भूपेश बघेल उस समय कहां थे, जब मां बेटे की सरकार चल रही थी. तब डॉ मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर क्यों इन जनजातियों को उनका अधिकार नहीं दिला दिया? "

छत्तीसगढ़ के 12 जातीय समूह अनुसूचित जनजाति में शामिल

आदिवासियों से माफी मांगे भूपेश बघेल: कश्यप ने कहा " भूपेश बघेल को मुफ्त में यश लूटने की कोशिश करने की बजाय इन आदिवासियों से माफी मांगनी चाहिए कि कांग्रेस ने उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा. दशकों तक इनका शोषण किया. अगर ऐसा नहीं होता तो अब तक ये काफी विकसित हो चुके होते. कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति करती है. कांग्रेस आदिवासी समाज का शोषण करती रही है और भाजपा आदिवासी समाज के हितों की रक्षा करना और सम्मान देना जानती है. ये वही भूपेश बघेल हैं जो आदिवासी राष्ट्रपति नहीं चाहते थे. ये वही कांग्रेस है जो आदिवासी महिला राष्ट्रपति को राष्ट्रपत्नी कहकर आदिवासी समाज का अपमान करती है. "

भाजपा वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय (BJP senior tribal leader Nandkumar Sai) ने कहा " साल 2020 में भाजपा सांसदों और नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री और विभागीय मंत्री से मुलाकात कर इन जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग के साथ ही तथ्यों से अवगत करा दिया था. भाजपा के पूर्व सीएम रमन सिंह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह, सांसद गोमती साय और छत्तीसगढ़ जनजाति समुदाय के भारतीय जनता पार्टी के सभी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से भेंट और पत्राचार के माध्यम से कोशिश की. भाजपा के आदिवासी नेता लगातार प्रयास करते रहे. हम लोगों के आग्रह को प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार ने स्वीकार किया. "


रायपुर: मोदी सरकार कैबिनेट में लिए गए 5 राज्यों की जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को लेकर प्रदेश में अब राजनीति शुरू हो गई है. राजधानी रायपुर के भाजपा जिला कार्यालय परिसर में प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप और भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने प्रेसवार्ता आयोजित की. प्रेस वार्ता के दौरान प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल पूछते हुए कहा " मुख्यमंत्री बताएं चिट्ठी लिखने के अलावा उन्होंने और क्या क्या किया? क्या कभी प्रधानमंत्री से मिलकर इस जनजातियों को उनका अधिकार देने का आग्रह किया." PC of tribal BJP leaders in Raipur

रायपुर में आदिवासी भाजपा नेताओं की पीसी

भूपेश बघेल को वाहवाही लूटने की बीमारी: प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप (State General Secretary Kedar Kashyap ) ने कहा " मुख्यमंत्री भूपेश बघेल झूठी वाहवाही लूटने की बीमारी से पीड़ित हैं. केंद्र सरकार के हर अच्छे निर्णय के लिए अपनी पीठ थपथपा लेते हैं. अब केंद्र सरकार ने भाजपा की पहल पर छत्तीसगढ़ के एक दर्जन जाति समुदाय को उनका वह अधिकार दिया है, जो कांग्रेस मिलने नहीं दे रही थी, तब भी भूपेश बघेल इसका जबरिया श्रेय लेने की प्रवृत्ति दिखाने से नहीं चूक रहे हैं. मुख्यमंत्री कहते हैं कि उन्होंने चिट्ठी लिखी थी. कमाल की बात है कि उनकी एक चिट्ठी पर छत्तीसगढ़ के वंचित जनजाति समूहों को प्रधानमंत्री ने वाजिब हक दे दिया. भूपेश बघेल उस समय कहां थे, जब मां बेटे की सरकार चल रही थी. तब डॉ मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर क्यों इन जनजातियों को उनका अधिकार नहीं दिला दिया? "

छत्तीसगढ़ के 12 जातीय समूह अनुसूचित जनजाति में शामिल

आदिवासियों से माफी मांगे भूपेश बघेल: कश्यप ने कहा " भूपेश बघेल को मुफ्त में यश लूटने की कोशिश करने की बजाय इन आदिवासियों से माफी मांगनी चाहिए कि कांग्रेस ने उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा. दशकों तक इनका शोषण किया. अगर ऐसा नहीं होता तो अब तक ये काफी विकसित हो चुके होते. कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति करती है. कांग्रेस आदिवासी समाज का शोषण करती रही है और भाजपा आदिवासी समाज के हितों की रक्षा करना और सम्मान देना जानती है. ये वही भूपेश बघेल हैं जो आदिवासी राष्ट्रपति नहीं चाहते थे. ये वही कांग्रेस है जो आदिवासी महिला राष्ट्रपति को राष्ट्रपत्नी कहकर आदिवासी समाज का अपमान करती है. "

भाजपा वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय (BJP senior tribal leader Nandkumar Sai) ने कहा " साल 2020 में भाजपा सांसदों और नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री और विभागीय मंत्री से मुलाकात कर इन जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग के साथ ही तथ्यों से अवगत करा दिया था. भाजपा के पूर्व सीएम रमन सिंह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह, सांसद गोमती साय और छत्तीसगढ़ जनजाति समुदाय के भारतीय जनता पार्टी के सभी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से भेंट और पत्राचार के माध्यम से कोशिश की. भाजपा के आदिवासी नेता लगातार प्रयास करते रहे. हम लोगों के आग्रह को प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार ने स्वीकार किया. "


Last Updated : Sep 15, 2022, 6:21 PM IST
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