रायपुरः छत्तीसगढ़ में इन दिनों मुआवजे को लेकर सियासत गरमाई हुई है. किस घटना के बाद, कितना मुआवजा दिया जाएगा? इसे लेकर पक्ष विपक्ष आमने-सामने हैं.
जिस तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में घटी घटना के बाद तत्काल 50 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की गई, उसे लेकर भाजपा ने मुद्दा बना लिया है. जशपुर के पत्थलगांव में घटी घटना को लेकर 50 लाख रुपए की मुआवजे की मांग (demand for compensation) कर दी है. इतना ही नहीं, भाजपा के कुछ नेताओं ने तो 75 लाख से एक करोड़ पर भी मुआवजा देने की मांग सरकार से की थी.
हालांकि राज्य सरकार ने तत्काल निर्णय लेते हुए 50 लाख मुआवजा देने की घोषणा कर दी है. कांग्रेसी सरकार की घोषणा के बाद कहीं ना कहीं यह मुद्दा अब भाजपा के यहां से निकलता नजर आ रहा है. जशपुर घटना पर भाजपा के द्वारा राज्य सरकार से मुआवजे की मांग की जा रही थी. उसे लेकर कांग्रेस ने कटाक्ष किया है. कांग्रेस ने इसे लाशों पर राजनीति (politics over dead bodies) करने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस मीडिया विभाग (Congress Media Department) के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (State President Sushil Anand Shukla) ने कहा कि भाजपा शुरू से ही धर्म ओर लाशों पर राजनीति करती आई है. भाजपा के अलग-अलग नेता अलग-अलग मुआवजे की मांग कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह 50 लाख, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक (Leader of Opposition Dharamlal Kaushik) 75 लाख और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय एक करोड़ मुआवजे की मांग कर रहे थे. पहले नेताओं को मिलकर एक पार्टी गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए कि आखिर मुआवजा कितना चाहिए. उसके बाद बात करें सिर्फ राजनीति के लिए बात ना करें. साथ ही उन्होंने इस घटना को लखीमपुर की घटना से जोड़ने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह दोनों घटना अलग-अलग है.
कांग्रेस सरकार कर रही मुआवजे की राजनीति
भाजपा का कहना है कि घटना के बाद परिजनों को उचित मुआवजा मिले. इसकी मांग भाजपा ने की है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि लाशों पर तो कांग्रेस राजनीति (Congress politics) करती है. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तत्काल 50 लाख मुआवजे का ऐलान वहां किया था. भाजपा लाशों पर राजनीति नहीं करती, जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) उत्तर प्रदेश में 50 लाख मुआवजा दे सकते हैं तो छत्तीसगढ़ तो उनका खुद का प्रदेश है. यहां उन्हें ज्यादा मुआवजा देना चाहिए. यही कारण है कि भाजपा के नेताओं ने उत्तर प्रदेश से ज्यादा मुआवजा छत्तीसगढ़ में देने की मांग की है.
इस पूरे मामले में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का भी एक बड़ा बयान आया है. ताम्रध्वज साहू ने कहा कि जिन गाजा तस्करों ने लोगों को कुचला है, वह उड़ीसा से आ रहा था. एमपी जा रहा था. दोनों जगह हमारी सरकार नहीं है. ताम्रध्वज साहू ने कहा कि डॉ. रमन सिंह और धरमलाल कौशिक सहित भाजपा के तमाम बड़े नेता अपनी सरकार को घेरे. ताम्रध्वज साहू ने कहा कि जिस तरह से वह लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, घेराव कर रहे हैं, यह एक बड़ी साजिश लग रही है.
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शुरू हो गई मुआवजे की परंपरा
इधर, वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने कहा कि किसी भी घटना के बाद मुआवजा देना यह उसका हल नहीं होता. यह सिर्फ उस परिवार की तात्कालिक मदद बस होती है. ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो, उसके लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए. रामअवतार तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश बड़ा राज्य है. वहां पर जिस तरह की स्थिति बनती है, उसका असर कहीं न कहीं दूसरे राज्यों पर भी देखने को मिलता है.
यही कारण है कि जब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 50 लाख मुआवजे का ऐलान किया, उसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ में भी 50 लाख मुआवजे की घोषणा की है. इससे कह सकते हैं कि एक नई परंपरा छत्तीसगढ़ में शुरू हो गई है. रामअवतार तिवारी ने इस दौरान सभी राजनीतिक दलों को सुझाव भी दिया है कि वह ऐसी घटनाओं पर राजनीति न कर, जितना मदद पीड़ित को पहुंचा सकते हैं, पहुंचाना चाहिए. फिर वह सत्ता में हो या फिर विपक्ष में ही.