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ब्लैक फंगस से लोगों ने गंवाई आंखों की रोशनी, एक्सपर्ट से जानिए इलाज - ब्लैक फंगल का इलाज

ब्लैक फंगस के लगभग 100 से ज्यादा मरीज अलग-अलग अस्पतालों में अपना इलाज कराने पहुंचे हैं. इनमें से करीब 22 मरीज ऐसे हैं जो अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं. जानें क्या कहते हैं इस पर वरिष्ठ सर्जन सत्य प्रकाश दुबे.

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ब्लैक फंगल
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Published : May 16, 2021, 12:20 PM IST

रायपुर: कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस मरीजों पर कहर बनकर टूट रहा है. खास तौर पर यह बीमारी पोस्ट कोविड-19 मरीजों को अपनी गिरफ्त में ले रही है. आंखों में सूजन, चेहरे पर सूजन, सिर में दर्द और आंखों में जलन जैसे कई लक्षण इस बीमारी के दौरान देखने को मिल रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में कई मरीज इस बीमारी का इलाज कराने अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचे हैं. चिंता की बात यह है कि इनमें से कुछ मरीज ऐसे हैं जिनकी एक आंख की रोशनी चली गई है. उन्हें दिखना बंद हो गया है. डॉक्टरों ने बताया कि ऐसा तभी होता है जब संक्रमण दिमाग तक पहुंच जाता है.

जा सकती है आंखों की रोशनी

ब्लैक फंगस कितनी खतरनाक बीमारी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि समय पर इलाज ना मिलने से लोग जीवन भर के लिए आंखों की रोशनी गंवा रहे हैं. एक युवक की एक आंख जन्म से ही खराब थी, इसके बाद उन्हें कोविड-19 हुआ और ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए. जिससे उनकी दूसरी आंख भी चली गई. अब उन्हें दोनों आंखों से दिखाई नहीं दे रहा है. इसी तरह 34 वर्षीय किशोर (बदला हुआ नाम) को 6 महीने पहले आंखों में दर्द की शिकायत हुई. उनका डायबिटीज और शुगर लेवल बढ़ा हुआ था. एक आंख में देखना बंद हुआ तो अस्पताल में उनका इलाज कराया, लेकिन अब उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी.

एम्स डायरेक्टर नितिन नागरकर से जानिए कितना भयावह है 'ब्लैक फंगस'

पोस्ट कोविड मरीजों को फंगस का ज्यादा खतरा
वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉक्टर सत्य प्रकाश दुबे ने बताया कि यहां लगभग 60 मरीज ब्लैक फंगस का इलाज कराने आ चुके हैं. इनमें सभी मरीज कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं. कोरोना से ठीक होने के बाद होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को यह बीमारी ज्यादा हो रही है. इसका संक्रमण तेजी से फैलता है. प्राथमिक उपचार के तौर पर लेजर एंडोस्कोपी से इसकी रोकथाम की जा सकती है.

रायपुर: कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस मरीजों पर कहर बनकर टूट रहा है. खास तौर पर यह बीमारी पोस्ट कोविड-19 मरीजों को अपनी गिरफ्त में ले रही है. आंखों में सूजन, चेहरे पर सूजन, सिर में दर्द और आंखों में जलन जैसे कई लक्षण इस बीमारी के दौरान देखने को मिल रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में कई मरीज इस बीमारी का इलाज कराने अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचे हैं. चिंता की बात यह है कि इनमें से कुछ मरीज ऐसे हैं जिनकी एक आंख की रोशनी चली गई है. उन्हें दिखना बंद हो गया है. डॉक्टरों ने बताया कि ऐसा तभी होता है जब संक्रमण दिमाग तक पहुंच जाता है.

जा सकती है आंखों की रोशनी

ब्लैक फंगस कितनी खतरनाक बीमारी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि समय पर इलाज ना मिलने से लोग जीवन भर के लिए आंखों की रोशनी गंवा रहे हैं. एक युवक की एक आंख जन्म से ही खराब थी, इसके बाद उन्हें कोविड-19 हुआ और ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए. जिससे उनकी दूसरी आंख भी चली गई. अब उन्हें दोनों आंखों से दिखाई नहीं दे रहा है. इसी तरह 34 वर्षीय किशोर (बदला हुआ नाम) को 6 महीने पहले आंखों में दर्द की शिकायत हुई. उनका डायबिटीज और शुगर लेवल बढ़ा हुआ था. एक आंख में देखना बंद हुआ तो अस्पताल में उनका इलाज कराया, लेकिन अब उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी.

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पोस्ट कोविड मरीजों को फंगस का ज्यादा खतरा
वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉक्टर सत्य प्रकाश दुबे ने बताया कि यहां लगभग 60 मरीज ब्लैक फंगस का इलाज कराने आ चुके हैं. इनमें सभी मरीज कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं. कोरोना से ठीक होने के बाद होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को यह बीमारी ज्यादा हो रही है. इसका संक्रमण तेजी से फैलता है. प्राथमिक उपचार के तौर पर लेजर एंडोस्कोपी से इसकी रोकथाम की जा सकती है.

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