रायपुर : उद्योग मंत्री कवासी लखमा (Industries Minister Kawasi Lakhma) ने बस्तर में लघु उद्योगों (small scale industries in bastar) को बढ़ावा देने की बात कही है. उन्होंने बीजेपी प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी (BJP state incharge D Purandeshwari) के धर्मांतरण (conversion in chhattisgarh) को लेकर दिए बयान पर भी निशाना साधा है. उन्होंने आदिवासी विकास को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह (Former CM Raman Singh) पर भी आरोप लगाया है. लखमा ने कहा कि बस्तर में धर्मांतरण नहीं बल्कि आदिवासियों का विकास हुआ है.
भाजपा प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी के धर्मांतरण मामले पर दिए बयान को लेकर कवासी लखमा ने पलटवार किया है. कवासी लखमा ने कहा है कि वे हैदराबाद से हवाई जहाज से आई हैं और सोशल मीडिया में आई खबरों को ही देखा है. पुरंदेश्वरी ने बस्तर का क्षेत्र नहीं देखा है. बस्तर में कांग्रेस सरकार आने के बाद कोई धर्मांतरण नहीं हुआ है.
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पूर्व सीएम पर साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पर आरोप लगाते हुए लखमा ने कहा कि पिछले 15 सालों में रमन सरकार ने आदिवासियों की पूछ परख नहीं की है. आज मुख्यमंत्री आदिवासियों की परंपराओं को आगे बढ़ा रहे हैं. उनकी मदद कर रहे हैं, उनको योजनाओं का लाभ दे रहे हैं. बस्तर के आदिवासियों का विकास हो रहा है. ऐसा होने पर भाजपा के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? लखमा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का काम है झूठ बोलो ओर राज करो. यदि धर्मांतरण मामले पर भाजपा के लोग नहीं बोलेंगे तो नागपुर से डंडा आएगा और फटकार पड़ेगी.
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टाटा का उद्योग छत्तीसगढ़ में स्थापित करने के सवाल पर मंत्री लखमा ने कहा कि टाटा स्टील यदि उद्योग लगाना चाहता तो लग गया होता. उन्होंने बैलाडीला की खदान लेने के नाम पर जमीन ली थी. ना वहां एक पत्थर और ना ही एक खंभा लगा है. हम लोगों ने इसका विरोध किया है. हम बड़ा उद्योग लगाने के पक्ष में नहीं हैं. वहां छोटे उद्योग लगने चाहिए. बस्तर में जो पैदा होता है उससे संबंधित उद्योग लगाया जाएगा.
किसानों को लौटाई जमीन
भाजपा शासनकाल में टाटा को बस्तर के लोहंडीगुड़ा में उद्योग (Industries in Lohandiguda) स्थापित करने के लिए साल 2008 में जमीन आबंटित की गई थी. लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद भी इस जमीन पर टाटा ने उद्योग स्थापित नहीं किया. कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए इसे मुद्दा बनाया था. कांग्रेस का कहना था कि नियम के अनुसार जमीन लेने के बाद 5 साल में यदि कोई कंपनी उद्योग स्थापित नहीं करती है तो वह जमीन इनके मालिकों को वापस की जाए. टाटा की जमीन वापस किसानों को दिलाने की बात कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में भी कही थी. सत्ता पर काबिज होने के बाद टाटा को आबंटित की गई जमीन किसानों को वापस कर दी गई थी.