रायपुर: रविवार माघ कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मास शिवरात्रि का व्रत (masik Shivratri vrat on January Chaturdashi ) मनाया जा रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, हर्षण और शुभ योग और विशकुंभकरण के साथ चंद्रमा के धनु और मकर राशि के प्रभाव में माघ कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि मनाई जा रह है. ऐसी मान्यता है कि माता गौरी के साथ भगवान शंकर का विवाह (Lord Shankar marriage with Mata Gauri) इसी शुभ दिन हुआ था. ऐसे जातक जिनके दांपत्य जीवन में कड़वाहट या तनाव है. उन्हें मास शिवरात्रि व्रत का विधिपूर्वक पालन करना चाहिए.
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निराहार मास शिवरात्रि व्रत से मिलेगा लाभ
इस व्रत को निराहार रहकर किया जाता है. शिव मंदिर में जाकर भवानी शंकर को जल, गंगाजल, दूध, दही, पंचामृत से अभिषेक करने का विधान है. इससे पहले अनादि शंकर भगवान को अक्षत परिमल, अबीर, गुलाल, बंधन, चंदन, अष्ट चंदन, श्वेत पुष्प और नीले पुष्प का अभिषेक करना चाहिए. भगवान भोले शंकर जी को बेलपत्र, आक के फूल, शमी पत्र विशेष रूप से प्रिय हैं. यह सभी विधिपूर्वक भोलेनाथ जी को चढ़ाया जाना चाहिए. इससे शिव की कृपा भक्तों पर बनी रहती है.
मास शिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ
ऐसे जातक जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. उनके लिए मास शिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ और अनुष्ठान कराने पर स्वास्थ्य में प्रगति के संकेत स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं. असाध्य बीमारी से ग्रसित लोगों को हनुमान बाहुक के श्लोक के माध्यम से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए. शिव नमस्कार मंत्र, शिव संकल्प मंत्र, शिव तांडव, लिंगाष्टकम, रुद्राष्टकम का पाठ करना भी व्रती के लिए बहुत ही कल्याणकारी माना गया है. भगवान शंकर बहुत ही जल्द प्रसन्न होने वाले देवता है. मास शिवरात्रि पर पूजा पाठ से भोलेनाथ अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं. रूद्र शंकर को यह दिन काफी प्रिय माना गया है.