रायपुरः झीरम घाटी नक्सली कांड (Jhiram Valley Attack) को लेकर जांच आयोग के कार्यकाल में 6 माह की वृद्धि की गई है. पहले सरकार ने जो न्यायिक जांच आयोग (judicial inquiry commission) का गठन किया था. उसमें सचिव द्धारा यह अवगत कराया गया कि अभी जांच पूरी नहीं हुई है. इसलिए इसका कार्यकाल बढ़ाया गया. इस आयोग में दो नए सदस्यों को भी नियुक्त किया गया है. आयोग को 6 महीने के अंदर जांच पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं. झीरम नक्सली घटना (Jhiram Naxalite incident) की जांच के लिए नए आयोग का गठन नहीं किया गया है. इसमें सिर्फ दो नए सदस्यों की नियुक्ति की गई है.
झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने न्यायिक जांच आयोग में नए अध्यक्ष की नियुक्ति भी की है. जांच आयोग के अध्यक्ष जस्टिस सतीश के अग्निहोत्री बनाए गए हैं. वहीं जस्टिस जी मिन्हाजुद्दीन सदस्य बनाए गए हैं
सीएम ने कहा आयोग वही है सिर्फ दो सदस्यों को इसमें जोड़ा गया है
झीरम जांच आयोग की फाइल जून महीने में मेरे पास आई थी. सितंबर में इस आयोग का कार्यकाल समाप्त हो गया था. उसमें यह कहा गया था कि यह जांच पूरी नहीं हो सकी है. उसके बाद जस्टिस प्रशांत मिश्रा का ट्रांसफर हो गया था. यह वही जांच आयोग है. इसमें दो सदस्यों को शामिल किया गया है. मुझे तो आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने की खबर मीडिया से मिली है. अब राज्य सरकार ने उसी आयोग में दो सदस्यों को नियुक्त किया गया है
इससे पहले जांच आयोग में जो जांच बिंदुओं का जिक्र किया गया था. उसमें आयोग ने तीन नए बिंदुओं को जोड़ने का काम किया है. जो तीन नए बिंदु जोड़े गए हैं वह इस प्रकार हैं
1-क्या हमले के बाद पीड़ितों को समुचित चिकित्सा उपलब्ध कराई गई.
2- ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या समुचित कदम उठाए गए थे.
3-अन्य महत्वपूर्ण बिंदु जो परिस्थितियों के मुताबिक आयोग निर्धारित करे
आदेश में यह भी कहा गया है कि भविष्य में सुविधा के अनुसार आयोग या सरकार दूसरे बिंदु भी जोड़ सकती है.
आयोग ने दी थी कार्यकाल समाप्ति की सूचना
झीरमघाटी में 25 मई 2013 को नक्सलियों द्वारा खेले गए खूनी खेल के संबंध में पूर्व में एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था. जांच आयोग के सचिव ने सामान्य प्रशासन मंत्रालय (Ministry of General Administration) को 23 सिप्तंबर 2021 को अवगत कराया था कि अभी जांच पूरी नहीं हुई है. आयोग का कार्यकाल 30 सिप्तंबर 2021 को समाप्त हो गया. आयोग के अध्यक्ष प्रशांत कुमार मिश्रा स्थानांतरित होकर मुख्य न्यायाधीश आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में पदस्थ हो गए. मामले में राज्य शासन ने अधिसूचना जारी (State government issued notification) कर जांच आयोग में दो नवीन सदस्य नियुक्त किया है. साथ ही 6 माह के भीतर जांच पूरी करके रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है.
राज्यपाल को सौंपी थी रिपोर्ट
इससे पहले कार्यकाल समाप्ति की स्थिति में आयोग (commission) की ओर से रिपोर्ट राज्यपाल (Governor) को सौंपा गया था. कांग्रेस के लोगों ने आपत्ति दर्ज जताई थी. भाजपा ने भी इस मामले में सरकार को घेरा था. नेता प्रतिपक्ष (opposition leader) और दूसरे नेताओं का कहना था कि घटना में षड्यंत्र की बू आ रही है. रिपोर्ट सार्वजनिक होना चाहिए. जांच रिपोर्ट को जनता भी जाने. पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा था कि रिपोर्ट सार्वजनिक (report public) करने के भी कई मानदंड होते हैं. नियम के अनुसार जांच रिपोर्ट राज्यपाल (Governor) को सौंपने से पहले सरकार के पास आना चाहिए था. जो ऐसा नहीं किया गया. नियमों की अनदेखी की गई.
कब-कब बढ़ा, न्यायिक जांच आयोग का कार्यकाल
झीरम कांड के बाद 28 मई 2013 में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया. तब इसका कार्यकाल तीन माह का था. जिसके तहत आयोग को तीन माह के भीतर ही शासन को जांच रिपोर्ट सौंपनी थी. लेकिन निर्धारित समयावधि में जांच पूर्ण न होने के कारण विभागीय समसंख्यक अधिसूचना दिनांक 30/07/2013, 20/02/2014, 25/02/2015, 31/08/2015, 23/02/2016, 17/08/2016, 06/02/2017, 31/08/2017, 12/02/2018 और 24/08/2018 द्वारा आयोग के कार्यकाल में समयावृद्धि की गई.
आयोग के कार्यकाल में की गई अंतिम वृद्धि 27/02/2019 पूरी हो चुकी है. जिसके बाद कांग्रेस की सरकार ने 28/02/2019 से 31 दिसंबर 2019 तक आयोग के कार्यकाल को बढ़ाते हुए जांच के कुछ बिंदु भी जोड़ दिए थे.
25 मई 2013 को हुआ था झीरम नक्सली हमला
25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर हमला कर दिया था. इस नरसंहार में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा और सुरक्षाबलों सहित 29 लोगों की मौत हो गई थी. इसमें कांग्रेस के 20 से ज्यादा नेता मारे गए थे. बताया जाता है कि बस्तर में रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिल सुकमा से जगदलपुर जा चहा था. काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं. जिनमें लगभग 200 नेता सवार थे.