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मनरेगा की बढ़ी हुई दर ऊंट के मुंह में जीरा : सीएम भूपेश बघेल

मनरेगा में केंद्र ने छत्तीसगढ़ राज्य में मिलने वाली दर में 11 रुपए की बढ़ोतरी की है. जिसे लेकर सीएम भूपेश बघेल का बयान आया (increase of MNREGA is cumin in the mouth of the camel) है.

मनरेगा की बढ़ी हुई दर है ऊंट के मुंह में जीरा
मनरेगा की बढ़ी हुई दर है ऊंट के मुंह में जीरा
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Published : Mar 30, 2022, 5:37 PM IST

रायपुर: मनरेगा की मजदूरी में 11 रुपए की बढ़ोतरी की गई है जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऊंट के मुंह में जीरा बताया (cumin in the mouth of the camel CM Bhupesh) है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि महंगाई के हिसाब से यह बहुत कम है. इसमें और भी बढ़ोतरी होनी चाहिए ये तो ऊंट के मुंह में जीरा है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) श्रमिकों को 1 अप्रैल 2022 से प्रतिदिन 204 रूपए की मजदूरी मिलेगी.

मनरेगा की बढ़ी हुई दर है ऊंट के मुंह में जीरा

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए राज्यवार प्रतिदिन मजदूरी की दर का राजपत्र में प्रकाशन कर दिया है. मनरेगा के तहत काम करने वाले अकुशल हस्त कर्मकारों हेतु छत्तीसगढ़ के लिए 204 रूपए प्रतिदिन की मजदूरी तय की गई है. यह नई दर 1 अप्रैल 2022 से प्रभावी होंगी. केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 193 रूपए मजदूरी दर निर्धारित की थी. लेकिन अब आगामी वित्तीय वर्ष के लिए इसमें 11 रूपए की बढ़ोतरी की गई है.

ये भी पढ़ें- मनरेगा की मजदूरी दर ग्यारह रुपए बढ़ी , अब 204 रूपए मिलेगा मेहनताना, 1 अप्रैल से नई दरें होंगी प्रभावी


क्या है मनरेगा : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को मनरेगा कहते है. मनरेगा भारत सरकार द्वारा लागू की गई एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया. इसके बाद 2 फरवरी 2006 को 200 जिलों में योजना शुरू हुई. शुरुआत में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी नरेगा (NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कर दिया गया. मनरेगा योजना विश्व की एकमात्र ऐसी योजना है जो 100 दिन रोजगार की गारंटी देती है.

रायपुर: मनरेगा की मजदूरी में 11 रुपए की बढ़ोतरी की गई है जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऊंट के मुंह में जीरा बताया (cumin in the mouth of the camel CM Bhupesh) है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि महंगाई के हिसाब से यह बहुत कम है. इसमें और भी बढ़ोतरी होनी चाहिए ये तो ऊंट के मुंह में जीरा है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) श्रमिकों को 1 अप्रैल 2022 से प्रतिदिन 204 रूपए की मजदूरी मिलेगी.

मनरेगा की बढ़ी हुई दर है ऊंट के मुंह में जीरा

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए राज्यवार प्रतिदिन मजदूरी की दर का राजपत्र में प्रकाशन कर दिया है. मनरेगा के तहत काम करने वाले अकुशल हस्त कर्मकारों हेतु छत्तीसगढ़ के लिए 204 रूपए प्रतिदिन की मजदूरी तय की गई है. यह नई दर 1 अप्रैल 2022 से प्रभावी होंगी. केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 193 रूपए मजदूरी दर निर्धारित की थी. लेकिन अब आगामी वित्तीय वर्ष के लिए इसमें 11 रूपए की बढ़ोतरी की गई है.

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क्या है मनरेगा : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को मनरेगा कहते है. मनरेगा भारत सरकार द्वारा लागू की गई एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया. इसके बाद 2 फरवरी 2006 को 200 जिलों में योजना शुरू हुई. शुरुआत में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी नरेगा (NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कर दिया गया. मनरेगा योजना विश्व की एकमात्र ऐसी योजना है जो 100 दिन रोजगार की गारंटी देती है.

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