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World Oceans Day : सागर विश्व के लिए कितने हैं जरूरी, जानिए खारे जल की अहमियत ? - Importance and information of World Oceans Day

World Oceans Day : हर साल 8 जून के दिन विश्व महासागर दिवस यानी वर्ल्ड ओसियन डे मनाया जाता है. जिसमें महासागर को बचाने के लिए कार्यक्रम निर्धारित होते हैं.

Importance and information of World Oceans Day
सागर विश्व के लिए कितने हैं जरूरी
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Published : Jun 8, 2022, 5:58 AM IST

रायपुर : सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण होने के कारण महासागर अत्यंत उपयोगी हैं. महासागरों के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से हर साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस के रूप में मनाया जाता है.प्रत्येक साल एक थीम विशेष पर पूरे विश्व में महासागर दिवस से संबंधित आयोजन किए जाते हैं. थीम जारी करने का उद्देश्य लोगों तक समुद्र के बारे में जागरूक करना है. इस बार 2022 की थीम- पुनरोद्धार: महासागर के लिए सामूहिक कार्रवाई (Collective Action for the Ocean)है.

वर्ल्ड ओसियन डे का इतिहास : विश्व महासागर दिवस पहली बार 08 जून 1992 को रियो डी जनेरियो में ग्लोबल फोरम में प्रस्तावित किया गया था, जो पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र ने एक समांतर कार्यक्रम रखा था. वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 8 जून (World Oceans Day june) को विश्व महासागर दिवस मनाने का संकल्प लिया (revitalization of the oceans) था. जिसके बाद पहला विश्व महासागर दिवस वर्ष 2009 में ‘हमारे महासागर, हमारी जिम्मेदारी’ विषय के साथ मनाया गया था.

समुद्र हैं जीवन का हिस्सा : पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व यहां उपस्थित वायुमंडल और महासागरों जैसे कुछ विशेष कारकों के कारण ही संभव हो पाया है. अपने आरंभिक काल से आज तक महासागर जीवन के विविध रूपों को संजोए हुए हैं. पृथ्वी के विशाल क्षेत्र में फैले अथाह जल का भंडार होने के साथ ही महासागर अपने अंदर और आसपास अनेक छोटे-छोटे पारितंत्रों को बसेरा देते हैं. जिससे उन स्थानों पर कई प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पतियां पनपती हैं. महासागरों में प्रवाल भित्ति क्षेत्र ऐसे ही एक पारितंत्र का हिस्सा है, जिसमें असीम जैवविविधता का समाई है.

क्यों हैं समुद्र उपयोगी : मौसम के संतुलन (World Oceans Day ) में समुद्री जल की लवणता का भी विशेष महत्व है. समुद्री जल के खारेपन और पृथ्वी की जलवायु में बदलाव की घटना आपस में अन्तःसंबंधित होती है. हम जानते ही हैं कि ठंडा जल, गर्म जल की तुलना में अधिक घनत्व वाला होता है. इसके अलावा महासागर में किसी स्थान पर सूर्य के ताप के कारण जल के वाष्पित होने से उस क्षेत्र के जल के तापमान में परिवर्तन होने के साथ वहां के समुद्री जल की लवणता और आसपास के क्षेत्र की लवणता में अंतर उत्पन्न हो जाता है. जिसके कारण गर्म जल की धाराएं ठंडे क्षेत्रों की ओर बहती है और ठंडा जल उष्ण और कम उष्ण प्रदेशों में बहता है.

समुद्र का जल खारा ना होता तो क्या होता : इसलिए महासागर के जल का खारा होना समुद्री धाराओं के बहाव की घटना का एक मुख्य कारण है. यदि सारे समुद्रों का जल मीठा होता तो लवणता का क्रम कभी न बनता और जल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाली धाराएं सक्रिय न होतीं. परिणामस्वरूप ठंडे प्रदेश बहुत ठंडे रहते और गर्म प्रदेश बहुत गर्म. तब पृथ्वी पर जीवन के इतने रंग न बिखरे होते क्योंकि पृथ्वी की असीम जैव विविधता का एक प्रमुख कारण यह है कि यहां अनेक प्रकार की जलवायु मौजूद है .जलवायु के निर्धारण में महासागरों का महत्वपूर्ण योगदान नकारा नहीं जा सकता है.

सागर से कितनी आबादी प्रभावित : पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति महासागरों में ही हुई. आज भी महासागर जीवन के लिए आवश्यक परिस्थितियों को बनाए रखने में सहायक हैं. क्योंकि महासागर पृथ्वी के एक तिहाई से अधिक क्षेत्र में फैले हैं. इसलिए महासागरीय पारितंत्र में थोड़ा सा परिवर्तन पृथ्वी के समूचे तंत्र को अव्यवस्थित करने की सामर्थ्य रखता है.आज जब विश्व की कुल जनसंख्या का 30 प्रतिशत तटीय क्षेत्रों में निवास करता है तो ऐसी स्थिति में महासागर उनके लिए खाद्य पदार्थों का प्रमुख स्रोत साबित हो सकते हैं. महासागर खाद्य पदार्थों का एक प्रमुख स्रोत होने के कारण हमारी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की मदद से महासागरों से पेट्रोलियम सहित अनेक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों को निकाला जा रहा है. वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अंतर्गत गोवा में कार्यरत राष्ट्रीय समुद्रविज्ञान संस्थान में ऐसे अनेक अध्ययन किए जा रहे हैं.

रायपुर : सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण होने के कारण महासागर अत्यंत उपयोगी हैं. महासागरों के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से हर साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस के रूप में मनाया जाता है.प्रत्येक साल एक थीम विशेष पर पूरे विश्व में महासागर दिवस से संबंधित आयोजन किए जाते हैं. थीम जारी करने का उद्देश्य लोगों तक समुद्र के बारे में जागरूक करना है. इस बार 2022 की थीम- पुनरोद्धार: महासागर के लिए सामूहिक कार्रवाई (Collective Action for the Ocean)है.

वर्ल्ड ओसियन डे का इतिहास : विश्व महासागर दिवस पहली बार 08 जून 1992 को रियो डी जनेरियो में ग्लोबल फोरम में प्रस्तावित किया गया था, जो पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र ने एक समांतर कार्यक्रम रखा था. वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 8 जून (World Oceans Day june) को विश्व महासागर दिवस मनाने का संकल्प लिया (revitalization of the oceans) था. जिसके बाद पहला विश्व महासागर दिवस वर्ष 2009 में ‘हमारे महासागर, हमारी जिम्मेदारी’ विषय के साथ मनाया गया था.

समुद्र हैं जीवन का हिस्सा : पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व यहां उपस्थित वायुमंडल और महासागरों जैसे कुछ विशेष कारकों के कारण ही संभव हो पाया है. अपने आरंभिक काल से आज तक महासागर जीवन के विविध रूपों को संजोए हुए हैं. पृथ्वी के विशाल क्षेत्र में फैले अथाह जल का भंडार होने के साथ ही महासागर अपने अंदर और आसपास अनेक छोटे-छोटे पारितंत्रों को बसेरा देते हैं. जिससे उन स्थानों पर कई प्रकार के जीव-जंतु और वनस्पतियां पनपती हैं. महासागरों में प्रवाल भित्ति क्षेत्र ऐसे ही एक पारितंत्र का हिस्सा है, जिसमें असीम जैवविविधता का समाई है.

क्यों हैं समुद्र उपयोगी : मौसम के संतुलन (World Oceans Day ) में समुद्री जल की लवणता का भी विशेष महत्व है. समुद्री जल के खारेपन और पृथ्वी की जलवायु में बदलाव की घटना आपस में अन्तःसंबंधित होती है. हम जानते ही हैं कि ठंडा जल, गर्म जल की तुलना में अधिक घनत्व वाला होता है. इसके अलावा महासागर में किसी स्थान पर सूर्य के ताप के कारण जल के वाष्पित होने से उस क्षेत्र के जल के तापमान में परिवर्तन होने के साथ वहां के समुद्री जल की लवणता और आसपास के क्षेत्र की लवणता में अंतर उत्पन्न हो जाता है. जिसके कारण गर्म जल की धाराएं ठंडे क्षेत्रों की ओर बहती है और ठंडा जल उष्ण और कम उष्ण प्रदेशों में बहता है.

समुद्र का जल खारा ना होता तो क्या होता : इसलिए महासागर के जल का खारा होना समुद्री धाराओं के बहाव की घटना का एक मुख्य कारण है. यदि सारे समुद्रों का जल मीठा होता तो लवणता का क्रम कभी न बनता और जल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाली धाराएं सक्रिय न होतीं. परिणामस्वरूप ठंडे प्रदेश बहुत ठंडे रहते और गर्म प्रदेश बहुत गर्म. तब पृथ्वी पर जीवन के इतने रंग न बिखरे होते क्योंकि पृथ्वी की असीम जैव विविधता का एक प्रमुख कारण यह है कि यहां अनेक प्रकार की जलवायु मौजूद है .जलवायु के निर्धारण में महासागरों का महत्वपूर्ण योगदान नकारा नहीं जा सकता है.

सागर से कितनी आबादी प्रभावित : पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति महासागरों में ही हुई. आज भी महासागर जीवन के लिए आवश्यक परिस्थितियों को बनाए रखने में सहायक हैं. क्योंकि महासागर पृथ्वी के एक तिहाई से अधिक क्षेत्र में फैले हैं. इसलिए महासागरीय पारितंत्र में थोड़ा सा परिवर्तन पृथ्वी के समूचे तंत्र को अव्यवस्थित करने की सामर्थ्य रखता है.आज जब विश्व की कुल जनसंख्या का 30 प्रतिशत तटीय क्षेत्रों में निवास करता है तो ऐसी स्थिति में महासागर उनके लिए खाद्य पदार्थों का प्रमुख स्रोत साबित हो सकते हैं. महासागर खाद्य पदार्थों का एक प्रमुख स्रोत होने के कारण हमारी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की मदद से महासागरों से पेट्रोलियम सहित अनेक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों को निकाला जा रहा है. वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अंतर्गत गोवा में कार्यरत राष्ट्रीय समुद्रविज्ञान संस्थान में ऐसे अनेक अध्ययन किए जा रहे हैं.

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