रायपुर : राज्यसभा चुनाव को लेकर पूरे देश की निगाहें टिकी थी. वहीं छत्तीसगढ़ के लिए है यह चुनाव खास था, क्योंकि देश के 2 राज्यों की जवाबदारी कांग्रेस हाईकमान ने छत्तीसगढ़ के दो वरिष्ठ नेताओं को सौंपी थी. जिसके तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) को हरियाणा और स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया गया था. ऐसे में राज्यसभा चुनाव दोनों के लिए साख का सवाल था.
राज्यसभा में किसने मारी बाजी : अब राज्यसभा चुनाव परिणाम आ गए हैं जिसमें राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने 4 में से 3 सीटें जीती हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी को एक सीट मिली है. बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा जीत हासिल करने में नाकाम रहे. राजस्थान से कांग्रेस के तीनों प्रत्याशी प्रमोद तिवारी, रणदीप सुरजेवाला और मुकुल वासनिक विजयी हुए, जबकि बीजेपी के पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी ही उच्च सदन पहुंच सके.
हरियाणा में किसका बिगड़ा खेल : वहीं हरियाणा की 2 राज्यसभा सीटों पर चुनाव थे. कयास लगाए जा रहे थे कि एक सीट पर बीजेपी तो दूसरी पर कांग्रेस की जीत पक्की है, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा ने उलटफेर करते हुए कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया. जिससे हरियाणा में कांग्रेस को जोरदार झटका लगा और पार्टी के उम्मीदवार अजय माकन को हार का सामना करना पड़ा. हरियाणा में बीजेपी के कृष्ण लाल पंवार तो वहीं निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा (Independent candidate Kartikeya Sharma) ने जीत दर्ज की है.
कौन हुआ साख बचाने में कामयाब : राज्यसभा चुनाव परिणाम (Impact of Rajya Sabha election results in Chhattisgarh) को देखते हुए कहा जा सकता है कि टीएस सिंहदेव राजस्थान में अपनी साख बचाने में कामयाब रहे. जबकि हरियाणा में भूपेश बघेल कुछ खास नहीं कर सके. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस हाईकमान आने वाले दिनों में इन चुनाव परिणामों के मद्देनजर इन दोनों नेताओं को लेकर कोई बड़ा निर्णय ले सकता है, या फिर यह सामान्य प्रक्रिया है.
क्या कहते हैं राजनीति के जानकार : छत्तीसगढ़ की राजनीति में बने इस माहौल को लेकर राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार रामअवतारे तिवारी का कहना है कि इस राज्यसभा चुनाव का भूपेश बघेल और टी एस सिंह देव के आगामी दिनों में पार्टी स्तर पर कोई खासा प्रभाव नहीं रहेगा, क्योंकि यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसके तहत दोनों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. दोनों ने अपने अपने स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भले ही चुनाव परिणाम कुछ भी रहे हो लेकिन इसका इन दोनों के पार्टी स्तर के राजनीतिक करियर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
भूपेश बघेल को सौंपी थी जिम्मेदारी : बता दें कि हरियाणा में क्रॉस वोटिंग की संभावना को देखते हुए कांग्रेस ने अपने विधायकों को रायपुर भेजा था.लेकिन 2 मई को हरियाणा कांग्रेस के 31 में से महज 28 विधायक ही रायपुर पहुंचे. इसके बाद यह कयास लगाए जाने लगा था कि कांग्रेस में क्रॉस वोटिंग हो सकती है. हालांकि कांग्रेस लगातार दावा करती रही कि क्रॉस वोटिंग नहीं होगी. हरियाणा के इन विधायकों को संभालने की जवाबदारी कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सौंपी थी. भूपेश बघेल ने भी दावा किया था कि जो विधायक रायपुर में हैं और जो नहीं पहुंचे हैं वे सभी साथ हैं. कांग्रेस के उम्मीदवार की राज्यसभा चुनाव में जीत होगी. लेकिन चुनाव परिणाम इसके विपरीत रहा.
कौन हारा है चुनाव : कांग्रेस राज्यसभा उम्मीदवार अजय माकन हार गए. ऐसे में कहा जा सकता है कि क्रॉस वोटिंग रोकने के लिए भूपेश बघेल के चक्रव्यू को विपक्ष ने तोड़ दिया. वहीं राजस्थान की कमान संभाल रहे टीएस सिंहदेव अपनी जवाबदारी निभाने में कामयाब रहे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आने वाले समय पार्टी हाईकमान इन चुनाव परिणाम को देखते हुए दोनों के भविष्य का निर्णय लेगी या फिर यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसका आगामी दिनों में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.